वाराणसी (ब्यूरो)बनारस की गंगा-जमुनी तहजीब, सौहार्द, प्रेम, मोहब्बत, प्यार, लव की मिसाल हैंबनारस के मौजूदा माहौल में सौहार्द का संदेश भी हैजबकि ज्ञानवापी विवाद से पूरे देश में नई बहस छिड़ी हैअधिकांश लोगों की जुबान पर सिर्फ बनारस और ज्ञानवापी की चर्चा हैज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रही अदालती कार्यवाही के बीच कुछ गलत लोगों की कारसतानी से सौहार्द बिगड़ते-बिगड़ते बची है, लेकिन बनारस के ये युवा गंगा-जुमनी तहजीब और सौहार्द की मिसाल बनकर सामने आए हैंइन जोड़ों ने इंटर कास्ट मैरिज का फैसला लेकर सर्व धर्म समभाव का संदेश दिया है

केस-1

नई बस्ती बजरडीहा के रहने वाले मुस्लिम युवक को अमरा की रहने वाली हिन्दू लड़की से प्रेम हो गयादोनों शादी करना चाहते हैंउन्होंने शादी को कानूनी मान्यता देने के लिए एडीएम सिटी के यहां अर्जी दी है

केस-2

नवलपुर बसही के रहने वाले हिन्दू युवक को जौनपुर की रहने वाली मुस्लिम की लड़की से लव हो गयाये दोनों भी अपने रिश्ते को शादी रूपी कानूनी मान्यता देना चाहते हैंइन्होंने भी एडीएम सिटी के यहां अर्जी दी है

केस-3

चौकाघाट के रहने वाले सिख समुदाय के युवक को हिन्दू लड़की से प्यार हो गयादोनों ने अब एक साथ रहने का फैसला किया हैभविष्य में इन्हें कोई जुदा न कर पाए, इसके लिए इन्होंने स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के सेक्शन-5 के तहत एडीएम सिटी के यहां अर्जी दी है

जारी होता है नोटिस

एडीएम सिटी आफिस के बाहर नोटिस बोर्ड में स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के सेक्शन-5 के तहत अंतर-धार्मिक एवं अंतर्जातीय विवाह को कानूनी मान्यता देने के लिए नोटिस जारी किया जाता हैनोटिस बोर्ड में इन तीनों जोड़ों के अलावा कई ऐसे भी हैं, जो लव की मिसाल हैंइन धाराओं के तहत विवाह करने के इच्छुक पक्षों के लिए यह अनिवार्य है कि वे अथवा उनमें से कोई एक पक्ष जो कि पिछले तीस दिनों से जिस क्षेत्र में निवास कर रहा है, वहां के संबंधित विवाह अधिकारी को अपने विवाह संबंधी नोटिस देइसके पश्चात विवाह अधिकारी अपने कार्यालय में विवाह की सूचना प्रकाशित करता हैहाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह के भावी पक्षों के लिए विवाह से 30 दिन पूर्व नोटिस जारी करना वैकल्पिक बना दिया है.

क्या है विशेष विवाह अधिनियम 1954

विशेष विवाह अधिनियम भारत में अंतर-धार्मिक एवं अंतर्जातीय विवाह को पंजीकृत करने एवं मान्यता प्रदान करने हेतु बनाया गया है.

यह एक नागरिक अनुबंध के माध्यम से दो व्यक्तियों को अपनी शादी विधिपूर्वक करने की अनुमति देता है.

अधिनियम के तहत किसी धार्मिक औपचारिकता के निर्वहन की आवश्यकता नहीं होती है.

विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधान

धारा-4 अधिनियम की धारा-4 में कुछ शर्तें निर्धारित की गई हैं.

इसके अनुसार, दोनों पक्षों में से किसी का भी जीवनसाथी नहीं होना चाहियेदोनों पक्षों को अपनी सहमति देने में सक्षम होना चाहिये, अर्थात वे वयस्क हों एवं अपने फैसले लेने में सक्षम हों

दोनों पक्ष के बीच कानून के तहत निर्धारित निषिद्ध संबंध नहीं होना चाहियेइसके साथ ही पुरुष की आयु कम-से-कम 21 वर्ष और महिला की आयु कम से-कम 18 वर्ष होनी चाहिये.