हर ओर बस चिता ही चिता

कुछ ऐसा ही नजारा इन दिनों शहर के दोनों श्मशान घाटों पर देखने को मिल रहा है। हरिश्चन्द्र पर तो फिर भी ठीक है लेकिन मणिकर्णिका के हालात बहुत ज्यादा खराब हैं। इस श्मशान घाट पर शवों का दाहसंस्कार करने के लिए तीन प्लेटफॉम्र्स बने हुए हैं लेकिन इन सभी प्लेटफॉम्र्स पर तिल रखने तक की भी जगह नहीं है। आम दिनों में इन प्लेटफॉम्र्स पर तीन से चार चिताओं को लगाया जाता था लेकिन बढ़ती गर्मी के चलते यहां आने वाले शवों की संख्या को देखते हुए इन दिनों एक प्लेटफॉर्म पर छह से आठ चिताओं पर लाशों का दाहसंस्कार हो रहा है। इलाके के लोगों की मानें तो ऐसे हालात दस साल पहले पड़ी गर्मी के वक्त देखने को मिले थे। उस वक्त भी पारा 46 के आसपास ही था और दोनों घाटों पर शवों की संख्या हर रोज की अपेक्षा दुगने से ज्यादा होती थी। ऐसे ही हालात इन दिनों भी बन चुके हैं।

वेटिंग है लंबी, चौड़ी

यूं तो आपने गाड़ी लेने में वेटिंग, ट्रेन में वेटिंग की बात सुनी होगी लेकिन बढ़ती गर्मी के चलते इन दिनों महाश्मशान पर भी लंबी वेटिंग है। विश्वास नहीं होता न लेकिन सच यही है। दरअसल मणिकर्णिका व हरिश्चन्द्र दोनों श्मशान घाटों पर सिर्फ शहर से ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों के अलावा दूसरे राज्यों जैसे बिहार, एमपी और झारखंड से भी डेड बॉडीज लोग क्रिमिनेशन के लिए लेकर आते हैं। इन दिनों आने वाली लाशों की बात करें तो ये संख्या आम दिनों की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा है। घाट पर मौजूद डोम समाज के लोगों की मानें तो आम दिनों में 100 से 120 लाशें सुबह से रात तक जलाई जाती हैं लेकिन बीते पांच दिनों से ये संख्या दुगने से भी ज्यादा हो गई है। मतलब प्रेजेंट में डेली 700 से ज्यादा लाशों का दाहसंस्कार सिर्फ मणिकर्णिका घाट पर किया जा रहा है। इस वजह से दूर-दराज से लाशों को लेकर आने वाले लोगों को दाहसंस्कार के लिए दो से तीन घंटे तक वेट करना पड़ रहा है।

जगह ही नहीं है क्या करे

लाशों के दाहसंस्कार के लिए वेटिंग क्यों है इसके पीछे भी कई वजहें हैं। दरअसल पूरे मणिकर्णिका घाट पर लाशों को जलाने के लिए नीचे जो तीन प्लेटफॉम्र्स बने हैं उनकी हालत बहुत ज्यादा खराब है। लगातार चिताओं की गर्मी और निगम की उदासीनता के चलते इन प्लेटफाम्ॅर्स के ईंट, पत्थर उखड़ गए हैं और पूरा प्लेटफॉर्म खंजाट में कनवर्ट हो चुका है। इसके चलते लाश को मुखाग्नि देते वक्त लोग गिरते पड़ते रहते हैं। घाट के डोम समाज के लोगों का कहना है कि निगम चाहे तो घाट के हालात को बेटर कर सकता है। लेकिन ध्यान ही नहीं दे रहा है। इस वजह से भी हर साल गर्मी में लाशों की संख्या ज्यादा होने पर यहां वेटिंग की कंडीशन बन आती है।

भाग गए हैं मजदूर

इस भीषण गर्मी में हर कोई अपने घर में ही दुबक कर रहना चाह रहा है। इसका असर श्मशान घाट पर भी देखने को मिल रहा है। घाट पर लकड़ी ढोने से लेकर डेड बॉडीज को जलाने के लिए लगभग 50 से 60 लेवर वर्क करते हैं। ये लेबर्स बिहार, झारखंड से आकर घाट पर ही रहकर काम करते हैं। लेकिन बढ़ती गर्मी ने इनके भी हौंसलों को पस्त कर दिया है। इस वजह से इन लेबर्स में से आधे से अधिक लोग गर्मी से छुटकारे के लिए अपने घरों को लौट गए हैं। इस वजह से दोनों घाटों पर हालात और बिगड़ गए हैं। एक घाट इलाके के लकड़ी कारोबारी गोपाल की मानें तो उनके यहां काम करने वाले लेबर्स 20-25 रुपये कुंतल मजदूरी पर लकड़ी ढोने का काम करते हैं लेकिन इस समय इनके न होने से बाहरी मजदूरों को 200 से 300 रुपये पर डे पर बुलाकर लकड़ी ढुलाई का काम कराना पड़ रहा है। गर्मी में इस समय हालत यह है कि श्मशानघाट पर आ रहीं लाशों में जो लोग शामिल रहते हैं उन्हीं को चिता सजाने से लेकर लाश को जलाने तक का काम करना पड़ रहा है।

लकड़ी वालों की हो गई है चांदी

भले ही तपती गर्मी में महाश्मशान तप रहा हो लेकिन इस तपन का जबरदस्त फायदा उठा रहे हैं इलाके के लकड़ी कारोबारी। घाट पर डेली आने वाली लाशों की संख्या में हुए दुगने से भी ज्यादा इजाफे के चलते इन कारोबारियों ने लकड़ी के रेट में चौगुने से भी ज्यादा का इजाफा कर दिया है। आम दिनों में जहां लकड़ी का रेट 250 से 300 रुपये प्रति मन हुआ करता था, उसी लकड़ी को मौके का फायदा उठाते हुए ये कारोबारी 700 से 750 रुपये प्रति मन बेच रहे हैं। ऐसा ही हाल दाहसंस्कार के लिए यूज होने वाले अन्य सामानों का भी है। राल, चंदन आम दिनों में 180 रुपये किलो हुआ करते थे वो इस समय 250 रुपये किलो बिक रहे हैं। देशी घी का रेट प्रति किलो 30 से 37 रुपये बढ़ा दिया गया है। इस बारे में घाट के लकड़ी कारोबारियों का कहना है कि गर्मी के चलते लेबर्स भाग गए हैं और बाहरी लेबर्स से काम लेने के चलते उनको पैसा अधिक देना पड़ रहा है। इस वजह से चीजों की कीमतें बढ़ाना हमारी मजबूरी है। इसके अलावा डेली बड़ी संख्या में लाशों के जलने से लकड़ी की भी शार्टेज है।

दिन में नर्म, रात में और भी गर्म

गर्मी ने इन दिनों सभी को परेशान कर रखा है। क्या इंसान और क्या जानवर हर कोई इस भीषण गर्मी में खुद को बचाने की कवायद में जुटा हुआ है। मणिकर्णिका व हरिश्चन्द्र घाट पर आने वाले शवयात्री भी गर्मी से बचना चाहते हैं। इन दोनों दोनों श्मशानों पर दूर-दराज से सैकड़ों की संख्या में लोग क्रिमिनेशन को आते हैं लेकिन गर्मी के कारण यहां आने वालों की संख्या दिन की अपेक्षा रात में ज्यादा है। आंकड़ों पर अगर गौर करें तो दिन में सूरज की तपिश के चलते श्मशान पर 100 से 200 शवों का दाहसंस्कार हो रहा है जबकि रात में ये संख्या 400 से 500 तक पहुंच जा रही है। शायद यही वजह है कि दो दिनों पहले रात में मणिकर्णिका घाट पर क्रिमिनेशन के लिए लाशों को लेकर पहुंचे परिजन यहां जगह न मिलने पर लाशों को लेकर हरिश्चन्द्र घाट चल गये थे।

बचत की चाह में बढ़ी इलेक्ट्रानिक की मांग

बढ़ती महंगाई से श्मशान घाट भी अछूता नहीं है। लकड़ी की शार्टेज के चलते बढ़े रेट से परेशान लोग न चाहते हुए भी हरिश्चन्द्र घाट पर बने बिजली शवदाह गृह की ओर रुख कर रहे हैं। महज 500 रुपये में दाह संस्कार होने के चलते यहां पर डे 12 से 15 लाशों को जलाने का काम चल रहा है। इस सेंटर पर मौजूद कर्मचारियों की मानें तो आम दिनों में लोग यहां आने से कतराते हैं लेकिन लकड़ी के बढ़े रेट के चलते इस समय लोग यहा ज्यादा आ रहे हैं।

बच नहीं रहा है माल

गर्मी भले ही इस समय लोगों को मार डाल रही हो लेकिन इस भीषण गर्मी में भी कुछ लोग मजा काट रहे हैं। श्मशान घाट पर दुकानें लगाने वालों की इन दिनों जबरदस्त चांदी है। घाट पर जनरल मर्चेंट की दुकान लगाने वाले संजय रस्तोगी का कहना है कि दिन हो या रात, मैं तो फुल टाइम दुकान खोल रहा हूं। क्योंकि घाट पर लोगों की जबरदस्त भीड़ हो रही है। इस समय कोल्ड ड्रिंक से लेकर अन्य सामान झट से बिक जा रहे हैं। धंधा चोखा चल रहा है।

Report By : Gopal Mishra