वाराणसी (ब्यूरो)। ज्ञान और संस्कार प्रदान करने के लिए विश्वविख्यात बनारस के शिक्षा मंदिरों में अपराध के विषबेल की जड़ें गहरी होती जा रही हैं। कॉपी-किताबें लेकर चलने वाले स्टूडेंट्स असलहे लेकर खुलेआम घूमते हैं। वर्चस्व के जंग में एक-दूसरे की जान लेने में उन्हें कोई हिचक नहीं होती है। लूट, छेडख़ानी की घटनाएं तो आम होती जा रही हैं। कैम्पस में बढ़ते अपराध से स्टूडेंट्स जहां चिंतित है तो वहीं कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन के माथे पर भी चिंता की लकीरें हैं।

वसूली के लिए बने अपराधी

बीएचयू में चल रहे करोड़ों रुपये के निर्माण कार्य, लाखों रुपये की होने वाली जांचें और दवाइयों में कमीशनबाजी व अंदर चलने वाली अधिकतर दुकानों से वसूली ने अपराध को मौका दे दिया। कैंपस में होने वाली अपराधिक घटनाएं इन वजह से भी हो रही हैं। दबंग किस्म के छात्रों के कई गुटों ने अपने-अपने गुर्गों को वसूली में सेट कर दिया है। पढ़ते-लिखते महीने में 40 से 50 हजार रुपये की इनकम सिर्फ बाहरियों को अंदर दाखिल कराने को मिल जा रही है। इसी वर्चस्व में 2 अप्रैल को बीएचयू कैंपस के अंदर छात्र गौरव सिंह बग्गा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। आरोपियों की गिरफ्तारी हुई तो यही राज उजागर हुआ। आयुर्वेद संकाय के पास चाय विक्रेता रामजतन उर्फ रामू की सिर कूंचकर हत्या की वजह भी यही होने की आशंका जतायी जा रही है। पांच माह के भीतर कैंपस में हत्या की यह दूसरी वारदात है। इसके अलावा कैंपस के अंदर कूरियर, फूड डिलेवरी मैन से लूटपाट और छात्राओं संग मोबाइल छिनैती की घटनाएं आम है।

यूपी कॉलेज में हुई थी हत्या

अपराध के सरगर्मी से प्रतिष्ठित यूपी कॉलेज भी नहीं बचा है। 24 फरवरी की रात यूपी कॉलेज के अंदर छात्र विवेक सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके पीछे कारणों को पुलिस ने खंगाला तो वर्चस्व की बात सामने आई थी। कैंपस से ही ठेकेदारी और चुनावी रंजिश की बात उजागर हुई थी। कैंपस के अंदर अपराधिक किस्म के छात्रों की जुटान पर विश्वविद्यालय प्रशासन की अनदेखी भारी पड़ रही है। स्थितियां अब भी बहुत अच्छी नहीं हुई है। अभी भी अपराधिक किस्म के युवकों की आवाजाही कैंपस में है।

विद्यापीठ में आए दिन सिर फुटौव्वल

31 अक्टूबर को जेएचवी दोहरे हत्याकांड के मुख्य आरोपी में विद्यापीठ के तत्कालीन छात्र आलोक उपाध्याय का नाम उजागर हुआ था। वारदात के बाद शूटरों संग आलोक हॉस्टल में पहुंचा और सामान लेकर फरार हुआ था। घटना से पूर्व भी बिहार के कई अपराधियों की पनाहगाह विद्यापीठ का एनडी हास्टल बना था। हालांकि दोहरे हत्याकांड की घटना के बाद से विद्यापीठ चेता और हॉस्टल में प्रत्येक छात्रों की इंट्री पर विशेष ध्यान दिया। कुछ दिनों तक तो बाहर से आने वाले छात्रों से आईडी प्रूफ तक मांगे गए थे। अभी भी हालात यहां के अच्छे नहीं हैं। आए दिन छात्र गुटों में सिर फुटौव्वल होता रहता है।

हरिश्चंद्र में हुई बमबाजी

हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज भी अपराध सिर चढ़ा रहता है। छात्रसंघ चुनाव के दौरान कैंपस में बमबाजी भी हुई थी। दो गुटों के बीच खुलेआम असलहे लहराए गए थे। हालांकि मामले में पुलिस भले ही आरोपियों को अरेस्ट किया था लेकिन यह भी बात सामने आ गई थी कि विद्या के मंदिर में कुछ भी संभव है। संस्कृत यूनिवर्सिटी में भी बात-बात पर असलहे चमकाए जाते है। प्रोफेसर से लेकर कर्मचारियों तक को क्लास रूम में बंधक बनाकर मारपीट की घटनाएं तक होती है।

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