-दुकानदारों ने पांच सौ एक हजार की नोट लेने से किया इनकार

-बाजारों में भीड़ नहीं के बराबर रही, जो ग्राहक के रूप में पहुंचे, उन्हें भी मायूस होकर लौटना पड़ा बैरंग

VARANASI

पीएम के मंगलवार की रात बड़े नोट बैन करने की घोषणा के बाद बनारसियों की बेचैनी बुधवार को और बढ़ गयी। जरूरत के सामानों की खरीद-फरोख्त करने घर से बाजार पहुंचे तो जरूर लेकिन बैरंग लौटना पड़ा। दुकानदारों का फंडा क्लियर था। अगर कोई छोटा नोट लेकर आया तो उसका स्वागत, बड़े नोट वालों को हाथ जोड़कर लौटा दिया। असर यह हुआ कि बनारस की छोटे-बड़े बाजार से लेकर मंडियां तक कस्टमर्स के अभाव में ठंडी पड़ी रहीं। जिनके लिए फिलहाल खरीदारी जरूरी थी, वो जुगाड़ में लग गए। फुर्सत में दुकानदार आगे की रणनीति की चर्चा में मशगूल रहे। बड़ी-बड़ी बातों को भूलकर रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने का हिसाब-किताब लगभग हर घर में होता रहा। नोट बैन ने लोगों के सामने मुश्किलें तो जरूर खड़ी कर दी हैं लेकिन इस बात का एहसास हर किसी को है कि कुछ ही दिनों में हालात सामान्य हो जाएंगे। ऐसे में कारोबारी से लेकर ग्राहक तक धैर्य बनाए हुए हैं।

कस्टमर्स को गए तरस

बड़े नोट बैन का असर रहा कि पूरे दिन पूर्वाचल का सबसे बड़ा कारोबार केन्द्र बनारस के बाजार और मंडिया सुनसान पड़ी रहीं। जिस गोदौलिया बाजार में पैर रखने की जगह नहीं मिलती थी वहां लोग गाडि़यों से फरार्टा भर रहे थे। चौक, बांसफाटक समेत साड़ी कारोबार के यहां आने वाले नहीं के बराबर रहे। जहां खरोद-फरोख्त की शुरुआत ही हजारों में होती हो वहां बड़े नोट के बिना क्या कारोबार हो सकता था? ग्राहकों के अभाव में रेशम कटरा, ठठेरी बाजार, नारियल बाजार सराफा मंडी भी ठंडी पड़ी रही। लगन और त्योहार के सीजन में खचाखच भरे रहने वाले ब्रांडेड शोरूम में भी सेल्समैन की मौजूदगी थोड़ी रौनक बनाए हुए थे। हर छोटे-बड़े मार्केट के साथ ही कॉलोनी-मोहल्ले की दुकानों में खरीद-बिक्री नहीं के बराबर हुई।

अब क्या करें?

सोनिया की रहने वाली कुसुमलता की बेटी की शादी एक सप्ताह बाद है। उन्हें गहनों की खरीदारी से लेकर सारी तैयारी करनी है। लेकिन बड़े नोट के बैन से सारी तैयारी थम गयी। कुसुमलता जैसे सैकड़ों परिवारों की हालत इस वक्त यही है। शादी के कार्ड से लेकर लड़की गहने और कपड़े कैसे खरीदे जाएं इसका उपाय सूझ नहीं रहा है। गाजीपुर के रहने वाले मुकेश पाठक कपड़ों की खरीदारी के लिए परिवार समेत बनारस आए थे। पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट ने खाली हाथ कर दिया। इनके जैसे ही हजारों लोग बाजार तो पहुंचे लेकिन बड़े नोटों की मजबूरी से खरीदारी नहीं कर पाए।

नोट मत दो, भले उधार ले लो

बड़े नोटों के बैन ने कारोबार की गति जरूर थाम दी है लेकिन लोगों की जरूरतें किसी न किसी तरह से पूरी हो रही हैं। इसमें बिजनेसमैन भरपूर सहयोग कर रहे हैं। दुकानदार ग्राहकों से बड़ा नोट नहीं ले रहे हैं लेकिन उन्हें जरूरी सामान मुहैया करा दे हैं। यह कहते हुए कि भाई जब नया नोट आएगा तब दे देना। लंका, गोदौलिया, अर्दली बाजार दूध मंडी, चौक खोवा मंडी समेत अन्य जगहों पर मिल्क और मिल्क प्रॉडक्ट बनाने वालों ने सामान कुछ दिन की उधारी पर दे दिया। इंग्लिशिया लाइन, बांसफाटक चौक मंडी में भी कारोबारी उधार में लेन-देन करते रहे।

मौके का फायदा भी उठा रहे

मौकापरस्त इसका फायदा भी उठा रहे हैं। सराफा बाजार में सोना-चांदी के रेट मनमाना लगा दिया। जिनके पास बड़े नोट हैं उनके लिए सोने का रेट ब्9 हजार तक पहुंचा दिया। इसी तरह चांदी के रेट में दस हजार का इजाफा कर दिया। पहले की बुकिंग को रद करके नए रेट पर रुपये लेने की बात करने लगे हैं। पेट्रोल पम्प, रेस्तरां, रोजमर्रा की दुकानों पर पांच सौ हजार रुपये की खरीदारी निर्धारित कर दिया। भले ही सौ रुपये का सामान लें बाकी रुपये लौटाएंगे नहीं। ऐसे ही तरह-तरह के बोर्ड प्रतिष्ठानों पर लगा दिया है।