-हरहुआ व आराजी लाइन ब्लॉक के बाद अब पिंडरा में भी लाल निशान के करीब पहुंचा वाटर लेवल
- अति जलदोहन से खतरनाक हो रहे हैं जिले के हालात
गंगा, वरुणा अस्सी जैसी नदियों के किनारे बसा बनारस शायद आने वाले दिनों में बूंद-बूंद पानी के लिए तरस जाएगा। ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि जिस रफ्तार से जिले का जल स्तर गिर रहा है उससे यही संकेत मिल रहा है। भू-जल के अतिदोहन से डार्क जोन का दायरा बढ़ता जा रहा है। पहले हरहुआ व आराजी लाइन ब्लॉक पानी के लिए जूझ रहा था, जिसके बाद उन्हें डार्क जोन घोषित कर दिया गया। इसी क्रम में अब पिंडरा क्षेत्र में भी भू-गर्भ जल लाल निशान पार करने के कगार पर है। ये हालात बनारस के लिए अलार्मिग है।
किसी को नहीं फिक्र
जल ही जीवन है। पर शायद इसकी फिक्र किसी को नहीं है। तभी तो इस जीवन को बचाने के लिए कोई गंभीर नहीं है। जल संचय को लेकर न तो प्रशासन कुछ कर रहा है और न ही पब्लिक। जिस तरह से हम छोटे-छोटे कामों के लिए पानी बर्बाद करते हैं वो खतरनाक है। जहां एक मग पानी में काम हो सकता है वहां हम कई बाल्टी पानी यूं ही गिरा देते हैं।
तेजी से गिर रहा भू-जल स्तर
हर साल एक से 40 से 50 सेंटीमीटर तक भूजल स्तर गिर रहा है। प्रतिबंधित क्षेत्र हरहुआ व आराजी लाइन ब्लॉक में डीप बोरिंग होने की सूचनाएं संबंधित विभाग को दी जा रही हैं लेकिन किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही। पिंडरा में भी जल का दोहन अधिक है। हरहुआ, आराजी लाइन व पिंडरा ब्लॉक में गिरते जल स्तर की बात करें तो एक दशक में क्रमश: 2.05 मीटर, 2.10 मीटर व 3.64 मीटर भू-जल स्तर गिरा।
ब्लॉकवार भू-जल स्तर
ब्लॉक वर्ष वर्ष वर्ष
2015 2016 2017
आराजी लाइन 13.23 15.63 17.65
बड़ागांव 9.58 10.63 12.68
चिरईगांव 10.60 11.45 12.20
चोलापुर 7.78 6.81 7.81
हरहुआ 11.10 12.41 13.91
काशी विद्यापीठ 9.79 11.09 12.18
पिण्डरा 8.10 8.95 10.07
सेवापुरी 2.16 12.29 14.54
साल एक से 40 से 50 सेंटीमीटर की हो रही गिरावट
कैसे बचाएं पानी
-दंत मंजन, दाढ़ी बनाते वक्त मग का करें इस्तेमाल
-बर्तनों को मांजते वक्त बाल्टी में पानी स्टोर कर लें
-जल की धार हमेशा धीमी रखें
-टपकते टोटी को बदल दें
-सड़कों पर पानी का छिड़काव न करें
-जरूरत के हिसाब से बाग को सींचे
-सार्वजनिक नलों मे लीकेज की करें शिकायत
-पानी की टंकी में वाल्व अवश्य लगाएं
सरकारी प्रयास से ही कुछ नहीं होने वाला। इसके लिए जनसहभागिता जरूरी है। भू-जल के प्रति जागरुकता लानी होगी ताकि लोग पानी को बर्बाद न करें। कम पानी में अधिक काम करने की प्रवृत्ति लाएं।
महातिम सिंह यादव भू गर्भ जल, वैज्ञानिक