देव दीपावली पर असंख्य दीयों की रोशनी से जगमग हुए घाट

विभिन्न घाटों पर मां गंगा की हुई महाआरती, शामिल हुए वीवीआईपी

शहर के कुंड तालाब और मंदिरों में भी देव दीपावली का हुआ आयोजन

VARANASI

मां गंगा का 8ब् घाटों पर फैला आंचल और इस आंचल में दीयों के रूप जड़े हुए लाखों नगीने। मां के आंचल की छटा ऐसी कि स्वर्ग लोक से देवता भी अदृश्य रूप में धरती पर उतरे हों तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं। यहां से वहां और वहां से जहां तक नजर गई जगमग दीयों की लंबी श्रृंखला झिलमिलाती दिखी। मौका था शनिवार को कार्तिक पूर्णिमा पर मनाये जाने वाले पर्व देव दीपावली का। उत्सवधर्मी शहर बनारस ने देव दीपावली को अपना बनाया और गंगा के घाट असंख्य दियों की स्वर्णिम आभा से आलोकित हुए।

जिसने भी देखा देखता रह गया

जिसने भी देव दीपावली के इस खास नजारे को देखा देखता ही रह गया। शब्दों ने इस खास नजारों का बखान करने से इनकार कर दिया। पर लोगों ने अद्भुत, अलौकिक, अद्वितीय जैसे शब्दों के जरिये इस अनुपम दृश्य को वर्णित करने की कोशिश की। गंगा के घाटों पर सजे असंख्य दीपों की रोशनी की जगमगाहट ने हर किसी का मन मोह लिया। घाटों पर जल रहे दीपक और गंगा में पड़ रहे उसके प्रतिबिंब ने कुछ अजब ही दृश्य उपस्थित किया।

हर कोई दिखा बेताब

देवताओं की दीपावली का एक नजर देख लेने के लिए घाटों पर लोगों का रेला उमड़ता रहा। हर आंख की कोशिश की कहीं कुछ छूट न जाय। घाटों पर लोगों के पहुंचने का सिलसिला दोपहर बाद से शुरू हुआ और सूरज अस्त होने के साथ बढ़ता ही गया। दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट, राजेन्द्र प्रसाद घाट, मानमंदिर घाट, अस्सी घाट, मीरघाट, त्रिपुरा भैरवी घाट, ललिता घाट, मणिकर्णिका घाट, सिंधिया घाट, पंचगंगा घाट, संकटा घाट, भोसले घाट, मेहता घाट, ब्रह्माघाट आदि घाटों पर तिल रखने की जगह नहीं थी।

लहरों पर लगा नावों का मेला

देव दीपावली पर गंगा की लहरों पर नावों का मेला लगा। शायद ही कोई नाव हो जो किनारे पर हो। हर नाव पर लोग और सबकी नजर घाटों की तरफ। छोटी से लेकर बड़ी तक हर नाव लहरों पर मचलती दिखी। बजड़ों की तो रौनक ही अलग थी। बिजली के रंग बिरंगे झालरों व फूलों से सजे बजड़े लहरों को थामे इस घाट से उस घाट तक लोगों को देव दीपावली के अनुपम नजारा दिखाते रहे। नावों की बुकिंग पहले से ही हो गयी थी। बहुत से लोगों ने शाम को घाट पर पहुंच कर नाव बुक करने की कोशिश की पर उन्हें निराशा ही हाथ लगी। नावों की बुकिंग ख्0 हजार से लेकर पांच लाख रुपये तक हुई।

मां गंगा की हुई महाआरती

दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि की ओर से देव दीपावली का आयोजन हुआ। ख्क् ब्राह्माणों ब्ख् कन्याओं ने मां गंगा का वैदिक रीति से पूजन-अर्चन किया। कार्यक्रम में बतौर चीफ गेस्ट गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन उपस्थित हुई। कार्यक्त्रम का शुभारंभ डॉ रेवती साकलकर ने भजन व राष्ट्रगीत से किया। चीफ गेस्ट के साथ अन्य मेहमानों ने ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। प्रख्यात शास्त्रीय गायिका अध्यक्षता फ्9 जीटीसी के ब्रिगेडियर एसए रहमान ने की। इसी क्त्रम में शीतला घाट पर गंगोत्री सेवा समिति की ओर से भी देव दीपावली महोत्सव का आयोजन हुआ। पूरा कार्यक्रम पुलिस व पीएसी के शहीदों को समर्पित रहा। कार्यक्रम में बतौर चीफ गेस्ट महिला एवं परिवार कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने शिरकत की। केन्द्रीय देव दीपावली समिति की ओर से देव दीपावली कार्यक्रम का आयेाजन किया गया। अस्सी घाट, पंचगंगा घाट आदि घाटों पर भी मां गंगा के भव्य आरती का आयेाजन किया गया।

देवताओं की है ये दीपावली

काशी में देव दीपावली मनाने की परंपरा प्राचीन काल से है। पहले ये परंपरा सिर्फ पंचगंगा घाट पर थी। देव दीपावली का वर्तमान स्वरूप क्989 में वजूद में आया जो आज महोत्सव का रूप ले चुका है। देव दीपावली के आयोजन के सम्बन्ध में दो पौराणिक मान्यताएं प्रचलित हैं। पहली यह कि काशी के पहले राजा दिवोदास ने अपने राज्य में देवताओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाई थी। लेकिन कार्तिक मास में पंचगंगा घाट पर स्नान के महात्म्य का लाभ लेने के लिए देवता छिप कर यहां आते रहे। बाद में देवताओं ने राजा दिवोदास को मना लिया और खुशी में दीपोत्सव हुआ। दूसरी कहानी के अनुसार त्रिपुर नामक राक्षस पर विजय के बाद देवताओं ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपने सेनापति कार्तिकेय के साथ भगवान शंकर जी की महाआरती की थी और नगर को दीपमालाओं से सजा कर विजय दिवस मनाया था।