वाराणसी (ब्यूरो)बाबा की नगरी में बड़े-बड़े धोखे हैैंटूरिस्टों के साथ बर्तनों की खरीदारी में भी बेईमानी हो रही हैहर बर्तन की खरीदारी पर दुकानदार टूरिस्टों को ठग रहे हंैमार्केट से मिले फीडबैक के मुताबिक जिस प्रकार से शहर में टूरिस्टों की संख्या में इजाफा हुआ, उसी प्रकार से बर्तन, रुद्राक्ष माला और अंगवस्त्रम की दुकानें खुल गईंआश्चर्य करने वाली बात है कि टूरिस्टों की वजह से शहर में पिछले दो साल में करीब सौ से अधिक दुकानें सिर्फ बर्तन की खुल गई हैंइसमें छोटी-बड़ी दोनों ही दुकानें शामिल हंै.

हर बर्तन की खरीदारी पर बेईमानी

मार्केट यह सिनेरियो है कि साउथ के सबसे अधिक टूरिस्ट साड़ी के साथ बर्तन की खरीदारी जरूर करते हैंइनमें तांबे और पीतल का लोटा, पीतल की आरती, प्लेट और रूद्राक्ष माला शामिल हैटूरिस्ट पर जब बर्तन की दुकान पर पहुंचते हैं तो दुकानदार पहले ही बर्तनों का भाव बढ़ा देते हैं, जो तांबे का छोटा लोटा सौ रुपए में मिलता है, उसे दो सौ रुपए में देकर ठगते हैंइसी तरह पीतल के लोटे में भी टूरिस्टों के साथ बेईमानी करते हैं.

दशाश्वमेध और चौक में सबसे अधिक टूरिस्ट

मार्केट में अधिकतर दुकानें चौक, गोलघर, भैंसासुर, प्रहलादघाट, गोदौलियाप, कैंटोमेंट एरिया होटलों के अलावा सारनाथ में बर्तन की दुकानें खुली हैं, क्योंकि इन एरिया में सबसे अधिक टूरिस्ट आते हंैदशाश्वमेध और चौक एरिया में तो साउथ के टूरिस्टों की ठसाठस भीड़ रहती हैबाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के बाद ज्यादातर टूरिस्ट खरीदारी करने में व्यस्त हो जाते हैं.

बर्तन में भी घालमेल

बर्तन दुकानदार अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में टूरिस्टों के साथ खुलेआम ठगी कर रहे हैंदुकानदारों के बीच इतना अधिक कॉम्पीटिशन हो गया है कि हर दुकानदार चाहता है कि सबसे अधिक टूरिस्ट मेरे यहां ही आएंइसको देखते हुए घटिया किस्म का बर्तन अपनी दुकानों पर रख लेते हैं, ताकि वह अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकेबर्तन भी ऐसे कि ऊपर से पीतल का लगेगा, लेकिन अंदर स्टील का रहता हैस्टील के बर्तन पर तांबे का पानी चढ़ाकर और तांबा का बर्तन बताकर बेच देते हैइसमें उनको अच्छा-खासा मुनाफा होता है.

हल्के क्वालिटी की आरती

मार्केट में हल्के क्वालिटी की आरती भी आ गई हैदेखने में दूर से अच्छी है लेकिन छूने पर बिल्कुल कागज की तरह हल्काइन आरती को सबसे अधिक दुकानदार टूरिस्ट को ही बेचते हैंछोटी आरती की कीमत करीब 3 सौ रुपए से लेकर पांच सौ रुपए वसूलते हैं, जबकि आरती की असली कीमत 70 से 80 रुपए होती हैबाबा की नगरी में आने के बाद टूरिस्ट निशानी के तौर पर ज्यादातर आरती, लोटा, प्लेट और रुद्राक्ष की माला के अलावा शिवलिंग की खरीदारी जरूर करते हैं.

ऐसे करें पहचान

-जब भी पीतल का बर्तन खरीदने जाएं तो उसे दबाकर जरूर चेक कर लें.

-अन्य धातुओं की तुलना में पीतल काफी मजबूत होता हैदबाने पर नहीं दबता हैयदि दबाने पर उसमें निशान या दाग बन जाए तो पीतल का बर्तन नकली है.

-असली पीतल का रंग देखने में काफी अलग होता हैइसलिए आप पीतल की पहचान उसका रंग देखकर भी कर सकते हैंदेखने में पीतल सोने की तरह ही पीला होता है.

-पीतल अन्य धातुओं की तुलना में अधिक मजबूत होता हैअगर आप पीतल की तुलना तांबे से करते हैं तो यह काफी ज्यादा भारी होता हैआप पीतल के बर्तन को अपने हाथ से उठाकर वजन से भी कर सकते हैं.

-तांबे के बर्तन को भी खुरुच कर देख सकते हैंअगर असली होगा रंग नहीं हटेगा, नकली होगा तो अंदर का रंग स्टील की तरह दिखने लगता है.

अक्सर होती किचकिच

खरीदारी को लेकर अक्सर टूरिस्ट और दुकानदारों के बीच किचकिच होती रहती हैअभी हाल में दशाश्वमेध घाट किनारे लाइन से लगी मूर्ति और बर्तन की दुकान पर साउथ के टूरिस्ट के साथ किचकिच हो गयीदुकानदार ने जिस शिवलिंग की कीमत पांच रुपए बताया था, वहीं शिवलिंग तीन दुकान आगे 3 सौ रुपए में मिल रहा थाउस दुकानदार तीन सौ रुपए में देने के लिए आवाज लगायी तो टूरिस्ट शिवलिंग लेने के लिए उस दुकानदार के पास चला गयाफिर पहले दुकानदार और टूरिस्ट के बीच कहासुनी होने लगीइस तरह के वाकया हर दिन दशाश्वमेध क्षेत्र में टूरिस्टों के साथ हो रहा है

टूरिस्टों की सहूलियत के लिए प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत हैटूरिस्टों के साथ आए दिन ठगी हो रही हैबर्तन की दुकानों पर तो कोई लगाम ही नहीं है.

सुशील लखमानी, व्यापारी

दो साल के अंदर शहर में काफी तेजी से बर्तन की दुकानें खुली हैंज्यादातर दुकान पक्के महाल, दशाश्वमेध और घाट किनारे देखने को मिलती हैइस पर रोक लगना चाहिए.

शाहिद कुरैशी, दुकानदार

असली पीतल का लुटिया बताकर नकली पीतल की लूुटिया टूरिस्टों को थमा दे रहे हंैकीमत भी तीन से चार गुना ले रहे हैं

गौरव जायसवाल, दुकानदार

टूरिस्टों की संख्या काफी बढ़ गई है लेकिन सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया गया हैआए दिन टूरिस्टों के साथ ठगी हो रही है.

शैलेश कुमार गुप्ता, कारोबारी