लॉक डाउन के दौरान पति-पत्नी में कलह पहुंचा तलाक तक

-महिला सेल, विधिक प्राधिकरण और वन स्टॉप सेंटर में होता है सुलह का प्रयास

50 फीसद पति-पत्नी के बीच आपसी रजामंदी नहीं हो पा रही

07 से आठ तलाक की अर्जी पहुंच रही है औसतन हर दिन फैमिली कोर्ट में

360 झगड़े पति-पत्नी के एसएसपी दफ्तर स्थित महिला सेल में पहुंचे अक्टूबर से दिसम्बर 2020 तक

वाराणसी में पति-पत्नी के बीच शुरू कलह को खत्म कराने के लिए थाने से लेकर एसएसपी दफ्तर में सुनवाई हो रही है। महिला हेल्प लाइन और सेल में काउंसलर के जरिए सुलह-समझौता का प्रयास भी किया जाता है। बावजूद इसके 50 फीसद पति-पत्नी के बीच आपसी रजामंदी नहीं हो पा रही है। इनके बीच शुरू हुई कलह अब तलाक तक पहुंच गया है। आंकड़ों पर गौर करें तो एसएसपी दफ्तर स्थित महिला सेल में अक्टूबर से लेकर दिसम्बर तक पति-पत्नी के कुल 360 झगड़े पहुंचे, जिसमें सेल प्रभारी के प्रयास से करीब डेढ़ सौ मामलों में सुलह हो गया, लेकिन 128 से अधिक पति-पत्नी साथ रहने पर राजी नहीं हुए। उन्होंने विवाह विच्छेद के लिए फैमिली कोर्ट अर्जी दाखिल कर दी। इसी तरह विविध प्राधिकरण और वन स्टॉप सेंटर में सुलह नहीं होने पर हर महीने सौ से अधिक मामले फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए पहुंच रहे हैं। फैमिली कोर्ट में हर दिन औसतन 7 से आठ तलाक की अर्जी पहुंच रही है।

अनलॉक होते ही शिकायतें बढ़ीं

कोरोना संक्रमण को कंट्रोल करने के लिए वाराणसी में भी पूर्णरूप से लॉक डाउन लगा दिया गया था। किसी को घर से बाहर निकलने के इजाजत नहीं थी। ऐसी स्थिति में कोरोना पर नियंत्रण तो हुआ, लेकिन पूरे दिन साथ रहने पर पति-पत्नी के बीच कलह बढ़ गई। इस दौरान कई सुसाइड की घटनाएं भी हुई। अनलॉक होते ही महिला सेल, महिला थाना, सखी वन स्टॉप सेंटर और विधिक प्राधिकरण में पति-पत्नी के बीच कलह की शिकायतें पहुंचने लगी। औसतन हर दिन इन चार सेंटरों पर 20 से 25 शिकायतें पहुंचती हैं।

हर दिन पहुंच रही आठ अर्जियां

सभी सेंटरों पर पति-पत्नी के बीच कलह को सुलझाने के लिए काउंसिलिंग की प्रक्रिया अपनाई जाती है। हालांकि आधे से अधिक केसों में काउंसिलिंग के बाद सुलह-समझौता हो जाता है, लेकिन बाकी मामले फैमिली कोर्ट तक पहुंच जाते हैं। फैमिली कोर्ट में कार्यवाही शुरू होते ही तलाक की अर्जियां पहुंचने लगी हैं। फैमिली कोर्ट के पेशकार के अनुसार हर दिन सात से आठ तलाक की अर्जियां पहुंच रही हैं। हर महीने दस से 12 मामलों में फैसला होता है। बावजूद इसके अब तक ढाई हजार से अधिक तलाक के मामले पेंडिंग हैं।

इन वजहों से पहुंच रही तलाक की नौबत

-इगो की वजह से पति-पत्नी के बीच बढ़ रहा तकरार

-खुद को सबसे ज्यादा समझदार समझते हैं दोनों

-अधिकतर लड़की या लड़के का किसी और से चलता है अफेयर

-मायके और ससुराल वाले भी सुलह में बनते हैं बाधक

-लड़कियां अक्सर लड़के पर मां-पिता से अलग रहने की बनाती हैं दबाव

-फीस की लालच में कोर्ट में पैरवी करने वाले देते हैं गलत सलाह

-अप्राकृतिक संबंध बनाने का दबाव बनाते हैं पति

-पति द्वारा आए दिन शराब पीकर करते हैं मारपीट

-अलग-अलग प्रोफेशन में नौकरी के चलते टूट रही शादियां

-खाने और टीवी पर अपना पंसदीदा चैनल देखने को विवाद

::: कोट :::

सेल में तैनात अपने सहयोगियों की मदद से पिछले तीन माह के दौरान बातचीत के जरिए 142 पति-पत्नी के बीच तलाक होने से बचाया है। हालांकि यह उनका काम है। बिना डर भय दिखाए लोगों से बात करके मामले सुलझाने से मन को भी तसल्ली मिलती है। न्याय मिलने से पुलिस के प्रति विश्वास भी बढ़ता है।

-नीलम सिंह, प्रभारी महिला सेल

विधिक सेवा प्राधिकरण में करीब 11 काउंसलर हैं, जो पति-पत्नी को आमने सामने बैठाकर बातचीत करते हैं। एक-दूसरे के साथ न रहने पर क्या दिक्कतें आएंगी क्या नुकसान होगा, इसकी जानकारी भी देते हैं। आखिर प्रयास तक दोनों के बीच समझौता प्रयास किया जाता है। जहां मेरी जरूरत होती है, मैं भी मदद करती हूं।

-सुधा सिंह, सचिव विधिक प्राधिकरण