-डीरेका ईयरली 400 रेल इंजन बनाने के लक्ष्य पर कर रहा है काम

-वर्कशॉप की बढ़ी क्षमता, सारे कर्मचारी हुए ट्रेंड

VARANASI

डीएलडब्ल्यू अपने डीजल इंजन के लिए पूरी दुनिया में अलग पहचान रखता है। यहां के बने इंजन देश ही नहीं दुनिया के कई देशों की रेलवे में भी धाक जमाए हुए हैं। इसी कड़ी में डीएलडब्ल्यू ने डीजल इंजन को इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट करने में भी महारथ हासिल कर ली है। वर्तमान में डीएलडब्ल्यू की क्षमता डीजल व इलेक्ट्रिक इंजन को मिलाकर कुल 400 रेल इंजन बनाने की हो गयी है।

2018-19 में 75 इंजन का लक्ष्य

डीएलडब्ल्यू को सन् 2016-17 में दो इलेक्ट्रिक इंजन बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। जिसको समय रहते पूरा कर लिया गया। इसे देखते हुए सन् 2017-18 में टारगेट बढ़ाकर 25 इंजन का कर दिया गया। डीएलडब्ल्यू ने इस लक्ष्य को भी पूरा कर लिया। फाइनेंशियल ईयर 2018-19 में 75 इलेक्ट्रिक इंजन का टारगेट मिला है। जीएम रश्मि गोयल के मुताबिक इसे भी हम समय रहते पूरा कर लेंगे। कहा कि वर्कशॉप के सारे कर्मचारी इलेक्ट्रिक इंजन को बनाने में ट्रेंड हो चुके हैं।

वर्कशॉप में हो रही टेस्टिंग

डीएलडब्ल्यू में अब इलेक्ट्रिक इंजन की टेस्टिंग भी होने लगी है। इससे पहले यह सुविधा मुगलसराय में थी। तब डीरेका से इंजन के बनने के बाद उसे टेस्टिंग के लिए मुगलसराय भेजा जाता था, इसमें समय व पैसे दोनों की बर्बादी होती थी। वर्कशॉप में ही इलेक्ट्रिक इंजन के टेस्टिंग की व्यवस्था होने का फायदा डीरेका को मिलेगा। यहां फरवरी 2017 से इलेक्ट्रिक इंजन बनाया जा रहा है। इसके अलावा डीजल व इलेक्ट्रिक दोनों से चलने वाले डुअल इंजन बनाने के लिए भी तेजी से काम चल रहा है। इस इंजन के बन जाने के बाद ट्रेन की स्पीड में बढ़ोतरी होना तय है।

तब पॉल्यूशन रोकने में मिलेगी मदद

डीरेका एक के बाद एक कदम आगे बढ़ा रहा है। इसी क्रम में जीरो कार्बन उत्सर्जन पर भी विशेष ध्यान दे रहा है, जिसके चलते हाइड्रो लोको पर काम चल रहा है। डीरेका की यह योजना सफल हो जाती है तो रेलवे ट्रैक पर जीरो कार्बन उत्सर्जन करने वाले इंजन दोड़ैंगे। इन इंजनों को चलाने के लिए डीजल की जगह हाइड्रोजन की आवश्यकता होगी, जिससे पॉल्यूशन रोकने में बड़ी हेल्प मिलेगी।