-मेगा कैंपेन के एक दिन बाद ही वैक्सीनेशन की संख्या हो जा रही आधे से कम

-वैक्सीन उपलब्ध न होने से सेंटर और डोज में आ रही कमी

- 54 हजार हर दिन है वैक्सीनेशन का टारेगट

- 19325 लोगों को 4 अगस्त को किया गया वैक्सीनेट

- 67 केंद्रों में सीमित रह गया वैक्सीनेशन

- 44357 लोगों को 3 अगस्त को कैंपेन में वैक्सीनेशन

- 267 केंद्रों में लगाए गए टीके

- 18510 लोगों का 2 अगस्त को वैक्सीनेशन

- 70 केंद्रों पर लगाए गए टीके

कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए जहां एक ओर सरकार अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन लगवाने का अभियान चला रही है। वहीं जमीनी स्तर पर वैक्सीनेशन टारगेट से आधा भी नहीं हो रहा है। लोग वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें खुराक मिल ही नहीं रही है इसकी वजह वैक्सीन की कमी है। ये पिछले तीन दिनों के आंकड़े साबित कर रहे हैं। 3 अगस्त को कैंपेन चलाकर वैक्सीनेशन किया गया। फिर भी टारगेट के आंकड़े से 10 हजार पीछे रहे। वहीं कैंपेन के एक दिन पहले यानी 2 अगस्त और एक दिन बाद 4 अगस्त को वैक्सीनेशन की संख्या 20 हजार तक नहीं पहुंच सकी। इस हालात में अगर कोरोना की तीसरी लहर आई, तो मुसीबत बढ़ेगी।

एक दिन में 54 हजार का कोटा

शासन की ओर से वाराणसी जिले में एक दिन में 54000 लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य तय किया गया। लेकिन यह लक्ष्य भी मेगा कैंपेन के दौरान पूरा नहीं हो पाया। इसका हालिया प्रमाण तीन अगस्त को देखने को मिला। इस दिन मेगा कैंपेन के बावजूद 44357 लोगों को टीका लगाया जा सका। जिनमें 18 से 44 साल तक के 41048 व 45 साल तक के 3311, महिला 213 व एनआरआाई सेंटर पर 16 लोगों को टीका लगाया गया। इस दिन टीकाकरण के लिए 267 सेंटर बनाए गए थे। वहीं एक दिन पहले यानी दो अगस्त महज 18510 लोगों को ही टीका लग पाया। इनके लिए सिर्फ 70 सेंटर ही बनाया गया था। जबकि अगले दिन यानी चार अगस्त को 67 सेंटर पर महज 19325 लोगों को टीका लगा।

सिर्फ 67 सेंटर पर लगा टीका

टीकाकरण के मेगा अभियान के दूसरे दिन यानी बुधवार को सिर्फ 67 केंद्र पर ही वैक्सीन लगाया गया। इस दिन 19325 को टीका लगाया गया। जबकि एक दिन पहले 44 हजार से अधिक लोगों को टीका लगा। वहीं 267 सेंटर बनाए गए थे। ऐसे में एक दिन बाद ही दो सौ सेंटर कम कर दिए गए। इससे हजारों लोग चाहकर भी टीका नहीं लगवा पाए। यह तो सिर्फ उदाहरण है इस तरह का वाकया आएदिन होता है, जब वैक्सीन की कमी के चलते सेंटर भी कम हो जाता है। इससे लोगों को अपने घर से दूर बने सेंटर तक की दौड़ लगाना पड़ता है।

सप्लाई की कमी का हवाला

कभी सप्लाई मिल पा रही है तो कभी नहीं। इसके कारण डेली सेंटर व डोज का एलाटमेंट होता है। इसी आधार पर स्लॉट भी बुक किए जाते हैं। जरूरी नहीं कि डेली एक समान सेंटर की संख्या रहे। इससे लोगों को परेशानी का सामाना करना पड़ता है। एक दिन पहले जिस सेंटर पर टीका लगता है कोई जरूरी नहीं कि अगले दिन भी उस सेंटर पर टीका लगेगा। यही वजह है कि लोग स्लॉट बुक करते समय जैसे ही सेंटर का नाम फीड करते हैं वह जंप हो जाता है। जब तक वो सेंटर कंफर्म करते हैं तब तक वेटिंग स्टार्ट हो जाता है।

वर्जन--

जितना वैक्सीन उपलब्ध कराया जाता है उतना डेली लगा दिया जाता है। कैंपेन की डेट भी शासन की ओर से ही तय किया जाता है। इसमें डिस्ट्रिक्ट लेवल पर कोई डिसीजन नहीं लिया जाता।

डॉ। वीबी सिंह, सीएमओ

कोरोना टीकाकरण पर सरकार का पूरा फोकस है। वह हर नागरिक से टीका लगवाने की अपील कर रही है, लेकिन सरकारी अस्पतालों को वैक्सीन की पर्याप्त डोज ही नहीं मिल पा रही है। यहां कैंपेन के दूसरे ही दिन लोग वैक्सीन की कमी से जूझने लग जा रहे हैं। पर्याप्त वैक्सीन न होने से सेंटर की संख्या भी घटा दी जा रही है। लोगों को स्लॉट भी नहीं मिल पा रहा है। जबकि पब्लिक का कहना है कि मेगा अभियान की बजाए अगर डेली वैक्सीन सेंटर की संख्या बढ़ाकर टीकाकरण होता तो लोगों को परेशान ही न होना पड़ता। लोगों को आसानी से टीका लग जाता।

एक समान नहीं रहता वैक्सीनेशन सेंटर

कोरोना से लड़ाई में जीत के लिए पहले 60 वर्ष से ऊपर तो फिर एक अप्रैल से 45 वर्ष से ऊपर वालों और एक जून से 45 वर्ष से नीचे व 18 वर्ष से ऊपर वालों के लिए कोरोना टीकाकरण का अभियान युद्ध स्तर पर छेड़ा गया। लेकिन प्रॉपर वैक्सीन की उपलब्धता न होने से पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी वैक्सीन की किल्लत की तस्वीर सामने आई है। जहां कई टीकाकरण केंद्र व अस्पतालों में आएदिन वैक्सीनेशन ठप हो जाता है तो सेंटर की संख्या भी एक समान नहीं रहती है। इससे टीका लगवाने को पहुंचने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अक्सर चौकाघाट स्थित जिला वैक्सीन स्टोर पर भी ताला लटका रहता है।

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मैं पिछले कई दिनों से स्लॉट बुक करने के लिए जुटा हुआ हूं लेकिन वैक्सीन के लिए स्लॉट नहीं मिल पा रहा है। अगर वैक्सीन व सेंटर अधिक रहते तो यह समस्या न आती।

अनुषा

मेगा कैंपेन से जरूरी है कि डेली एक समान टीका लगता। इससे अधिक लोगों को फायदा होता। पर एक दिन कैंपेन चलाने के अगले दिन ही वैक्सीन की कमी हो जाती है। यह तरीका समझ में नहीं आया। इससे पब्लिक को परेशानी हो रही है।

सुनील कुमार

केवल डाटा दुरुस्त करने के लिए कैंपेन चलाने की क्या जरूरत है। अच्छा होता कि एक समान कोटा बनाकर डेली वैक्सीनेशन होता। इससे लोगों को चक्कर न काटना पड़ता। वहीं स्लॉट भी आसानी से बुक हो जाता।

सीमा मिश्रा

कैंपेन के पहले और बाद में संख्या कम हो जा रही है। इससे साबित होता है कि वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। अगर वैक्सीन पर्याप्त संख्या में होता तो डेली कैंपेन जैसी हालात होते।

प्रदीप साहू