बनारसी सहित देश के विभिन्न कोनों से आने वाले रामभक्त रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला से संभवत: इसवर्ष भी वंचित रहेंगे। कारण न तो अभी तक पात्रों का चयन हुआ और न ही कोई तैयारी दिख रही है। रामलीला प्रेमियों को प्रथम गणेश पूजन का इंतजार था, लेकिन श्रावण कृष्ण चतुर्थी बीत जाने से यह उम्मीद भी टूट गई। यह इस बात का संकेत है कि इस बार भी रामलीला का मंचन नहीं होगा। हालांकि अभी दुर्ग से जुड़े लोग कुछ भी बताने से कतरा रहे हैं। दबी जुबान में यह जरूर कह रहे हैं कि जब कोई प्रक्रिया ही शुरू नहीं हुई तो रामलीला होने का सवाल ही नहीं उठता।

तीन माह चलता था प्रशिक्षण

रामलीला से जुड़े लोगों का कहना है कि श्रावण कृष्ण चतुर्थी से पूर्व

रामलीला में पंच स्वरूपों की भूमिका निभाने वाले बालकों का चयन हो जाता था। प्रथम गणेश पूजन पर सभी स्वरूपों सहित भगवान श्रीगणेश व हनुमानजी के मुकुट की पूजा अर्चना होती थी। इसके बाद सभी पात्रों को बलुआ घाट स्थित धर्मशाला में व्यासजी के सानिध्य में प्रशिक्षण दिया जाता था। तीन माह तक चलने वाले इस प्रशिक्षण में सभी पात्र धर्मशाला में ही रहते थे। इस साल रामलीला अनंत चतुर्दशी के दिन यानी 19 सितंबर से शुरू होनी थी। कोरोना के चलते धार्मिक कार्यक्रम पर रोक से पिछले साल भी रामलीला स्थगित कर दी गई थी। जनकपुर स्थित राम जानकी मंदिर में केवल रामचरित मानस का पारायण पाठ कराया गया था। आशंका है कि इस बार भी केवल वही प्रक्रिया अपनाई जाएगी।