किसी भी नशे का शरीर और दिमाग पर पड़ता है बुरा प्रभाव

-तमाम गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है नशीले पदार्थ का सेवन

ड्रग्स लेकर दुनिया भूल जाने वाली चाहत रखने वालों को एहसास तक नहीं होता कि वो चंद लम्हों के मजे के लिए अपनी जिंदगी के लम्हे कम कर रहे हैं। ड्रग्स शुरुआत में तो लोगों को मजा देता हैं, लेकिन बाद में इसके दुष्परिणाम सामने आने लगते हैं वो भी इतने खतरनाक कि जिंदगी ही दाव पर लग जाती है। ज्यादा नशा करने वाला अवसाद में चला जाता है। ऐसी स्थिति में कई बार खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचा जाता है। आइए जानते हैं किस कितने तरह का नशा होता है, उसका प्रभाव क्या होता है और उसे लेने वाले की पहचान कैसे कर सकते हैं?

गांजा

गांजा बनारस में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला नशा है। इसे मेरिजुएना भी कहते हैं। इसे कैनेबिस के पौधे से तैयार किया जाता है। लगभग 150 प्रकार के कैनेबिनॉइड्स पाए जाते हैं। इनमें से टीएससी और सीबीडी दो केमिकल स्पेशल होते हैं। गांजे का सेवन करने वालों को लगता है उन्हें बहुत आनंद आ रहा है। इसका सेवन लंबे समय तक करने से अवसाद और फेफड़े की बीमारी हो सकती है। ये शरीर के कई अंगो पर प्रभाव डालता है। इससे मानसिक और शारीरिक रोग हो सकते हैं।

दिमाग पर करता है असर

- गांजा का लम्बे समय तक सेवन करने से बुद्धि मंद होती है।

- मनोरोग का खतरा लगातार बना रहता है

- मेमोरी लॉस होने का खतरा भी रहता है

-बात-बात पैनिक होना नशा करने वाली की आदत बन जाती है

- नींद न आना सामान्य लक्षण हैं

हेरोइन

यह ओपियम पॉपी नामक पौधे के फूल से प्राप्त लेटेक्स से बनती है। जब शरीर में ओरल या इंजेक्शन की मदद हेरोइन का सेवन किया जाता है तो इसका सीधा असर ब्रेन (मस्तिष्क) पर पड़ता है। इससे डोपामाइन रिलीज होता है। डोपामाइन शरीर में मौजूद एक कार्बनिक रसायन है, जो एक न्यूरोट्रांसमीटर के रूप में कार्य करता है। इसके अलावा डोपामाइन हार्मोन हो खुशी का एहसास कराने वाला हार्मोन भी माना जाता है।

दिल के लिए खतरनाक

- हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट बढ़ जाता है हेरोइन सेवन करने वाले का

- प्यूपिल डायलेट होना सामान्य बात है

- पैनिक होना उसकी आदत बन जाती हा

- नींद न आना सामान्य लक्षण

इन बीमारियों का खतरा

- ट्यूबरक्लॉसिस

- अर्थराइटिस

- हार्ट में इंफेक्शन

कोकीन

कोकीन कोका नामक पौधे की पत्तियों से बनाई जाती है। कोकीन को कोक, लैक स्नो, तुत, ब्लो, नोज कैंडी, लिक्विड लेडी, स्पीडबॉल, क्रैक और रॉक कैसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसका इस्तेमाल टोपिकल एनेस्थेटिक के तौर से किया जाता है। इसका सेवन सीधे नाक से, मसूड़ों पर लगा कर, पानी में मिलाकर पीने से या फिर इंजेक्शन से किया जाता है।

बढ़ा देता है ब्लड प्रेशर

- जरूरत से ज्यादा तेजी से बात करना

- ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट बढ़ना

- प्यूपिल डायलेट होना

- पैनिक होना

- नाक से खून आना

- नींद न आना

इन बीमारियों का खतरा

- एंग्जाइटी

- मेंटल स्ट्रेस

- शरीर का वजन कम होना

= हिंसक भावना

= काíडयोंवेस्कुलर कॉ प्लिकेशन

= स्ट्रोक

मेथ

मेथ मेथफेटामिन क्रिस्टल का एक फॉर्म है। इसके सेवन से सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर बुरा प्रभाव पड़ता है। दरअसल हेरोइन ड्रग्स की तरह इसके सेवन से डोपामाइन रिलीज होने लगती है। अन्य ड्रग्स के मुकाबले इसकी मात्रा काफी ज्यादा होती है।

शरीर कर देता है कमजोर

- शरीर का वजन जरूरत से ज्यादा

कम होने लगता है

-नींद न आना

- मतली होना

- परेशानी महसूस होना

इन बीमारियों का खतरा

- याददाश्त कमजोर होना

- मूड स्विंग होना

- ब्लड वेसल्स से जुड़ी परेशानी

- लिवर, किडनी और फेफड़ों की समस्या

एलएसडी

यह जिलेटिन या टेबलेट के रूप में आते हैं। इस ड्रग का कोई मेडिकल उपयोग नहीं है। माना जाता है इसके सेवन के 13 से 19 मिनट के बाद इसका असर व्यक्ति पर पड़ने लगता है।

कई अंग होत हैं प्रभावित

-मुंह का सूखना

-कमजोरी महसूस होना

-अत्यधिक पसीना आना या जरूरत से ज्यादा ठंड महसूस होना

-दिल की धड़कन तेज होना

ये बीमारियां हो सकती हैं

-भ्रम में रहना

-देखने की समस्या

- पैनिक अटैक

- डिप्रेशन

- आवाज, रंग या किसी भी चीज को पहचानने में परेशानी होना

किसी भी नशीले पदार्थ के अत्यधिक सेवन के कई दुष्परिणाम हो सकते हैं। इससे शारीरिक और मानसिक बीमारियां हो सकती हैं। ड्रग्स का सेवन करने से प्रत्येक व्यक्ति को बचना चाहिए। किसी दवा को डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए।

डॉ। आनंद चौधरी, आयुष विभाग-बीएचयू