वाराणसी (ब्यूरो)स्मार्ट सिटी बनारस स्मार्टनेस के साथ स्व'छता में भी इंदौर की तरह दिखाई देस्व'छता रैंकिंग में भी देशभर में सबसे आगे हो जाए, ऐसा सपना देख रहे वाराणसी नगर निगम की ओर से तमाम प्रयास करने का दावा किया जाता हैलेकिन, जब इस व्यवस्थाओं को करीब से देखा गया तो नगर निगम के दावों की पोल खुल गईशहर को स्व'छ बनाने के लिए स्मार्ट सिटी के तहत शहर भर में करोड़ों रुपये खर्च कर गीला और सूखा कचरा रखने के लिए 1320 प्लास्टिक के डस्टबिन लगवाए थेलेकिन, करीब ढाई साल बाद अब इन स्थानों पर एक भी डस्टबिन देखने को नहीं मिल रहाअब सवाल उठता है कि इन डस्टबिन का क्या हुआ.

सीन-1

शहर के सबसे फेमस एरिया में शुमार अस्सी घाट से पहले स्थित क्षेत्र में स्टैंड पर दो हैंगिंग डस्टबिन लगाए गए थे, ताकि लोग सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग डाल सकेंमगर अफसोस कि अब यहां सिर्फ स्टैंड खड़ा है और डस्टबिन गायब हो चुके हैंइसके चलते अब इस एरिया का कचरा आसपास रोड किनारे पड़ा रहता है.

सीन-2

लक्सा रामकृष्ण मिशन आश्रम के ठीक सामने भी दो साल पहले दो हैंगिंग डस्टबिन लगाए गए थेलेकिन यहां अब डस्टबिन तो नहीं है, लेकिन प्रमाण के लिए इसका स्टैंड जरूर पड़ा हैयह डस्टबिन कहां गया, किसी को पता नहीं हैबगल में ही आईपीडीएस जंक्शन बॉक्स होने से सड़क पड़ फेंका जाने वाला कचरा यही पड़ा रहता है.

कूड़ा हो गया कूड़ेदान

इतनी बड़ी संख्या में शहरभर में लगाए गए डस्टबिन को जब मौके पर जाकर देखा गया तो पता चला कि ज्यादातर कूड़ेदान ही कूड़ा हो गएयानि पूरे शहर में जहां-जहां कूड़ेदान लगवाए गए थे या तो वहां से चोरी हो गए, उखाड़ गए या फिर शहर में चल रहे निर्माण कार्य के लिए उखाड़ कर उस कूड़ेदान को कूड़े में ही फेंक दिया गया.

सिर्फ पैसे की बर्बादी

नगर निगम ने जहां पूरे शहर में दो-दो बार डस्टबिन लगवाए, कहने को उनकी जियो टैगिंग भी करवा दी, लेकिन नतीजा सिफरक्योंकि जितना पैसा नगर निगम ने डस्टबिन को लगवाने के लिए खर्च किया वह तो अधिकतर बर्बाद ही हो गएशहर में निर्माण कार्य के चलते उखाड़ कर इधर-उधर फेंके गए कूड़ेदान को नगर निगम ने उठाकर भी नहीं रखवायाइससे वह कूड़े में सड़कर फेंक दिए गएशहर के प्रमुख चौराहों के आसपास और कॉलोनी में बड़े कूड़ेदान और अन्य जगह छोटे कूड़दान लगाए गए थेमगर, अफसोस कि आज किसी स्थान पर ये देखने को नहंी मिल रहा.

सिर्फ नाम के स्टैंड

नगर निगम की तरफ से लगाए गए स्टैंड पर कूड़ेदान के स्टैंड इतने कमजोर लगाए गए कि वह हल्का झटका लगने पर या अपने आप ही उखड़ कर गिरे पड़े हुए हैंइसलिए अधिकतर कूड़ेदान कूड़ा होने की स्थित में पहुंच गए हैं.

पब्लिक भी है बर्बादी का जिम्मेदार

नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि शहर को कचरा मुक्त करने के लिए कूड़ेदान की व्यवस्था की गई थीलोग कचरा सड़कों पर न फेंके इसके लिए शहर के हर गली-मुहल्लों में कूड़ेदान लगवाए गए थेइसके नष्ट होने की वजह यहां की पब्लिक ही हैयह कूड़ा फेंकने के लिए है, लेकिन कोई इसमें कूड़ा जला देता है तो कोई जलता हुआ सिगरेट फेंक देता हैकई सारे डस्टबिन तो लोग घरों में उठा ले गए.

फैक्ट फाइल

16

कूड़ाघर है शहर में

330

कूड़ा वाहन है नगर निगम के पास

03

बार सफाई होता है दिनभर में

01

एक प्राइवेट कंपनी डोर टू डोर करती है कूड़ा कलेक्शन

4700

सफाईकर्मी है नगर निगम के पास

यह सही है कि शहर में लगे डस्टबिन के पास सिर्फ उसके स्टैंड बचे हैंपब्लिक में अवेयरनेस की कमी के चलते इनकी ऐसी हालत हुई हैकुछ डस्टबिन गायब हो गए तो कुछ लोगों ने कूड़े के साथ जला दिएजल्द शहर में नए डस्टबिन लगाए जाएंगे.

डॉएनपी सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी