- बनारस में पहली बार आई इलेक्ट्रिक कुरान, इसकी किसी भी सूरह को टच करते ही साउंड के साथ होगी तिलावत

-रमजान माह को देखते हुए दुबई की मार्केट से बनारस के दालमंडी में पहुंचा ई-कुरान, चार हजार रुपये है प्राइज

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VARANSAI:

मुस्लिम बंधुओं के लिए रमजान का महीना बहुत ही इम्पॉर्टेट होता है। इस मंथ में मुस्लिम बंधु पांच वक्त की नमाज अता करते हैं। कुरान की तिलावतें करते हैं। लेकिन कुछ मुस्लिम बंधु ऐसे भी है जिन्हें कुरान पढ़ने में काफी प्रॉब्लम्स होती हैं। एकदम शुद्ध कुरान नहीं पढ़ पाने का उन्हें काफी मलाल रहता है। ऐसे मुस्लिम बंधु एक बार दालमंडी जरूर जाएं। उनके लिए बनारस की फेमस दालमंडी में पहली बार आ गई है ई-कुरान। इसके सूरह को टच करते ही कुरान की आयतें फिजा में गूंज उठती हैं।

दुबई से दालमंडी पहुंचा

दुबई से चलकर मुंबई के रास्ते से होकर दालमंडी में पहुंची इस ई-कुरान को मुस्लिम बंधु बीस लैंग्वेजेज में पढ़ सकते हैं। व‌र्ल्ड के बीस स्पेशलिस्ट हाफिजों की वॉयसेज में इसे सुना जा सकता है। इसके साथ में सेंसरयुक्त एक पेन भी है। कुरान की किसी भी सूरह पर पेन को टच करते ही आयतें खुद-ब-खुद सुनाई पड़ने लगेंगी।

ई-कुरान विद पैकेज एसेसरीज

ई-कुरान के साथ सेंसर पेन, हॉली कुरान बुक, इलेक्ट्रिक चार्जर, यूएसबी केबल, हैंडस फ्री, शॉर्ट कार्ड, यूसर मैनुअल, मल्टी लैंग्वेज टॉकिंग डिक्सनरी, शाही अल-बुखारी हैंडिथ बुक के साथ-साथ वारंटी कार्ड भी मिलेगा। इसमें एमपी थ्री प्लेयर व ऑडियो रिकार्डिग की भी फैसिलिटीज दी गई हैं। साउंड के लिए इनबिल्ट स्पीकर लगा हुआ है। ब्यूटीफुल पेन के साथ बुइल्ट लीथियम बैटरी, चार जीबी मेमोरी कार्ड भी साथ में रहेगा।

आधा दर्जन कुरानें हुई सेल

दालमंडी स्थित नबी बुक सेलर के रेयाज अहमद ने बताया कि बनारस में पहली बार ई-कुरान आई हुआ है। इसकी प्राइज चार हजार रुपये है। अभी तक लगभग आधा दर्जन लोग इसे खरीद चुके हैं। जिनकी तिलावत अच्छी नहीं होती है वे इस ई-कुरान के जरिए अपनी तिलावत स्ट्रांग कर सकते हैं। रमजान माह में कुरान पढ़ने से सर्क हासिल होता है।

माशाल्लाह है यह ई-कुरान

यह कुरान वाकई में काफी हेल्पफुल साबित हो रही है। सूरह को टच करते ही तिलावत स्टार्ट हो जाती है। पेज पर ही वॉल्यूम का स्पीड फास्ट व लो करने के लिए सिस्टम लगा हुआ है। सबसे बड़ी बात यह है कि देश के चुनिंदा बीस हाफिजों की वॉयस में कुरान की तिलावत हो रही है।

हाजी खालिद वकार आबिद

रोजेदार,