- फेक आईडी की मदद से गलत इरादा पाले बैठे लोग कर सकते हैं कई फर्जी काम

- किसी का ध्यान न जाने के चलते है बड़ा रिस्क फैक्टर

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का फेक वोटर आईडी कार्ड हो या फिर दाऊद इब्राहिम का फेक आधार कार्ड या फिर सीएम अखिलेश का फेक आधार कार्ड। ये हाईली सेंसेटिव आईडीज का झट से बन जाना ये साफ करता है कि अपने देश में सुरक्षा को लेकर सरकारें और प्रशासनिक महकमा कितना लापरवाह है। हर महीने खुफिया विभाग भी कई मामलों और थ्रेट को लेकर अलर्ट जारी करता है लेकिन न ही सरकार और न ही खुफिया विभाग फेक आईडी मेकर जैसे ऐप को लेकर जरा भी अलर्ट है। इसके कारण इन ऐप की मदद से कोई भी आसानी से कुछ भी खुराफात कर सकता है।

बनारस है हाईली सेंसेटिव

कई आतंकी वारदात झेल चुके बनारस में डेली हजारों सैलानियों का आना जाना है। होटल, लॉज से लेकर छोटे मोटे गेस्ट हाउस हो या फिर कुछ दिनों से लिए सिम लेकर यहां इसका इस्तेमाल करना हो। हर काम के लिए अब आईडी जरूरी है लेकिन अगर इस तरह के फेक ऐप के जरिए इन आईडीज को बनाकर इनका इस्तेमाल कोई गलत व्यक्ति कर लेता है तो शहर के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते इस तरह के खतरनाक और रिस्की ऐप को गूगल प्ले स्टोर से प्रशासन और लोकल पुलिस अपने संज्ञान में लेते हुए हटवाने की कार्रवाई शुरू करे ताकि पीएम के संसदीय क्षेत्र को कोई खतरा न रह जाये।

कई इस्तेमाल हो सकता है इस फेक आईडी का

- फेक ऐप से बनने वाली आईडी में थोड़ी चीजों में अंतर है

- हालांकि इनको खोजने के लिए बड़े ध्यान से चेक करना होगा

- अगर बगैर ध्यान दिए आईडी ले ली तो फिर खतरा पैदा हो सकता है

- होटल लॉज या गेस्ट हाउस में रुकने के लिए इन फेक आईडी का यूज हो सकता है

- फेक सिम के बल पर आसानी से मिल सकता है

- कहीं नौकरी पाने के लिए इस फेक आईडी का भी यूज कोई कर सकता है

क्योंकि बस पूरा होता है कोरम

- ये फेक आईडी इसलिए भी रिस्की है, क्योंकि शहर कई आतंकी हमले झेल चुका है

- रेकी करने के लिए कई आतंकी बनारस आ चुके हैं

- फेक आईडी पर स्टे करने से लेकर फेक आईडी पर सिम तक इनको आसानी से मिले थे

- जिसके चलते कैंट, संकटमोचन, कचहरी और शीतलाघाट ब्लास्ट को ये लोग अंजाम देकर निकल गए

- होटल और लॉज भी बस आईडी लेकर कोरम पूरा करते हैं इनको चेक करने की कोई जरूरत कोई नहीं समझता

- जिसके चलते ये फेक आईडी का यूज कोई भी कर सकता है