वाराणसी (ब्यूरो)यूपी बोर्ड की सभी परीक्षाएं शनिवार को समाप्त हो गईंसुनहरे भविष्य की चाह में तमाम छात्र-छात्राओं ने पूरी ताकत के साथ परीक्षा में भाग लियाइन सबके बीच कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने जीवन में गलतियां कीं और इन गलतियों में किसी ने हत्या की तो किसी ने लूट को अंजाम दिया और जेल गएलेकिन अब जाकर उन्हें अहसास हो रहा है कि उन्होंने गलत किया और खुद में सुधार करने की कोशिश के लिए पढ़ाई करेंगेजेल प्रशासन के अधिकारियों ने भी इन 5 बंदियों की मदद की और लाइब्रेरी से किताबों के साथ-साथ टीचर भी उपलब्ध करवाया

पांच में से दो बंदी रिहा

पांच ऐसे परीक्षार्थी रहे, जो जिला जेल में हैैंइनमें से एक ने हाईस्कूल तो चार ने इंटरमीडिएट की परीक्षा दीपरीक्षार्थी गोविंद ने हाईस्कूल की परीक्षा में भाग लिया, जिनका अंतिम पेपर 7 मार्च को थावहीं, इंटरमीडिएट में आदेश भारती, जावेद अहमद, आशुतोष गुप्ता व साहिल गुप्ता ने परीक्षा दीइसी दौरान इनमें आशुतोष व साहिल रिहा भी हो गए

गाजियाबाद में सबसे ज्यादा बंदी परीक्षार्थी

यूपी बोर्ड में इस साल प्रदेश के 257 बंदियों ने परीक्षा दीइन बंदियों के लिए प्रदेश में कुल 8 सेंटर बनाए गए थेसबसे ज्यादा 69 बंदियों में गाजियाबाद की जेल में परीक्षा दीइसके बाद फिरोजाबाद में 51 बंदी परीक्षा में शामिल हुएबरेली, लखनऊ, फतेहगढ़, बांदा, गोरखपुर, वाराणसी में केंद्र बनाए गए थे

नहीं लेते फीस

बंदियों का सबसे पहले यूपी बोर्ड के जरिए 10वीं या फिर 12वीं में नामांकन करवाया जाता हैइसके लिए बंदियों से प्रूफ मांगा जाता है कि वह 8वीं या फिर 11वीं की पढ़ाई कर चुके हैंकिसी तरह की कोई फीस नहीं ली जाती है

डीआईओएस को भेजी जाती लिस्ट

परीक्षा से कुछ दिन पहले परीक्षा में बैठने वाले बंदियों की लिस्ट जेल अधीक्षक के पास जाती है तो वह डीआईओएस को भेजी जाती हैडीआईओएस बंदियों की संख्या और सुविधा के आधार पर सेंटर तय करते हैंज्यादातर सेंटर मॉडल जेल को ही बनाया जाता हैपरीक्षा से कुछ दिन पहले कैदियों को यहां शिफ्ट कर दिया जाता हैजेल अधीक्षक ही यहां केंद्र व्यवस्थापक होते हैं.

फैक्ट एंड फीगर

52,157 परीक्षार्थियों ने दी दसवीं की परीक्षा

46,729 परीक्षार्थियों ने दी 12वीं की परीक्षा

126 सेंटर्स पर हुई परीक्षा

5 बंदियों ने जेल से दी परीक्षा

जेल में कैदियों के लिए सुधार कार्यक्रम हमेशा होते रहते हैंपढ़ाई भी उसका एक हिस्सा हैजिन लड़कों ने किसी अपराध को अंजाम दिया और जेल आ गए, अगर वह पढऩा चाहते हैं तो जेल प्रशासन उनकी सारी मदद करता है.

उमेश सिंह, जिला जेल अधीक्षक