-उत्तर प्रदेश में ब्रेकथ्रू के पांच साल के लंबे हस्तक्षेप के कारण लड़कियों की विवाह योग्य आयु में लगभग 2 वर्ष की बढ़ोत्तरी देखी गई।

-कोविड-19 महामारी के बावजूद 2015-16 से 2021 के बीच किशोर-किशोरियों में स्कूल छोड़ने की दर में 6 फीसदी की गिरावट आई है

महिला अधिकारों पर काम करने वाली संस्था ब्रेकथ्रू ने उत्तर प्रदेश में अपने पांच साल तक चले किशोर-किशोरी सशक्तिकरण (एईपी) कार्यक्रम के निष्कर्ष साझा किए। आईकिया फाउंडेशन के सहयोग से यह कार्यक्रम 2015-16 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के 6 जिलों की 511 ग्राम पंचायतों और 694 स्कूलों के 11-19 वर्ष की आयु के लगभग 150,000 किशोर -किशोरियों के साथ शुरू किया गया था। यह कार्यक्रम किशोर-किशोरियों को उनके घरों में और समुदाय में खुद के और दूसरों के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा में लैंगिक समानता तक पहुंचने में मदद करता है। इस पांच साल चले कार्यक्रम के अंत में किए गए अध्ययन के आंकड़े किशोर-किशोरियों में लिंग, स्वास्थ्य, शिक्षा और हिंसा से संबंधित व्यवहार में महत्वपूर्ण सुधार दिखाते हैं।

6 जिलों में हुई ब्रेकथ्रू की एन्ड-लाइन स्टडी

यह स्टडी उत्तर प्रदेश के 6 जिलों लखनऊ, गाजीपुर, जौनपुर, गोरखपुर, महाराजगंज और सिद्धार्थ नगर में की गई, जिसमें 12000 से अधिक घरों वाले 104 गांव शामिल थे। कार्यक्रम के आंकलन और मूल्यांकन के लिए मुख्य फोकस क्षेत्रों में हेल्थ, एजुकेशन, जेंडर और वायलेंस शामिल थे। एनआर मैनेजमेंट कंसल्टेंट्स (एनआरएमसी) जो एक तकनीकी और सामाजिक विकास सलाहकार फर्म और आविष्कार समूह ने कार्यक्रम की निगरानी और मूल्यांकन किया है।

लिंग आधारित भेदभाव

इस कार्यक्रम में तीन प्रमुख घटकों जैसे घरेलू कामों का विभाजन, अंतर लिंग संवाद और विवाह के विषय पर काम किया गया। एंड-लाइन स्टडी में यह तथ्य निकल कर आया कि कार्यक्रम शुरू होने के बाद से घरेलू काम के लैंगिक आधार पर असमान और भेदभाव पूर्ण वितरण का समर्थन करने वाले लोगों के रवैये में बदलाव आया है। 2016 में कार्यक्रम की शुरूआत में लगभग 36 फीसदी लोग इस कथन से असहमत थे कि लड़कों को घर के कामों में मदद करने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन 2021 में किए गए अंतिम मूल्यांकन में 76 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने माना कि लड़कों को घर के कामों में अधिक समय देना चाहिए।

ब्रेकथ्रू की सीईओ सोहिनी भट्टाचार्य ने एन्ड-लाइन स्टडी पर कहा कि यूपी में हमारा यह 5 साल पुराना किशोर-किशोरी सशक्तिकरण कार्यक्रम यह साबित करता है कि अगर हम एक लैंगिक समानता वाले भविष्य का निर्माण करना चाहते हैं, तो हमें किशोर-किशोरियों को केंद्र में रखना होगा।

लड़कियों की विवाह योग्य आयु में लगभग 2 वर्ष की बढ़ोत्तरी

ब्रेकथ्रू के हस्तक्षेपों के मूल्यांकन से पता चला है कि कम उम्र में होने वाले विवाह में कमी आई है। 2017 में 11-22 वर्ष के आयु वर्ग के जहां 6 फीसदी किशोर-किशोरियों का विवाह कम उम्र में होता था वहीं एंड-लाइन स्टडी में यह घटकर 1.19 फीसदी पर आ गया। जो लगभग 5 प्रतिशत कमी को दर्शाता है।