वाराणसी (ब्यूरो)वाणिज्यकर विभाग ने ऐसे फर्मों को भी टारगेट पर लिया है, जिन्होंने दो साल पहले ही कारोबार बंद कर दिए हैंऐसे फर्मों को चिह्नित कर नोटिस जारी किया हैऐसे फर्मों की संख्या 150 के आसपास हैविभाग ने नोटिस के जरिए खरीद-बिक्री और इन्कम का ब्योरा मांगा हैजबकि कई फर्म संचालकों ने अपने फर्म बंद करने से पहले सारा ब्योरा रिटर्न के समय दाखिल कर दिए थे.

संशय में कारोबारी

सिटी के कारोबारी नोटिस को लेकर परेशान हंैउनको चिंता इस बात की सता रही है कि जो फर्में बंद हो चुकी हंै, आय-व्यय का ब्यौरा भी बंद करने से पहले से सबमिट कर दिया गया थाइसके बाद भी विभाग ने नोटिस भेजकर उन फर्मों का ब्यौरा मांगा हैअब फिर से फर्म के सारे कागजात को ढूंढना पड़ेगासारा डाक्टयमेंटस भी मिलना मुश्किल हैक्योंकि जब फर्में चल रही थी तो कारोबार से संबंधित डाक्यूमेंट्स रखे जाते थे.

50 से अधिक छोटी दुकानें

जीएसटी विभाग ने नोटिस जारी करने से पहले यह भी नहीं देखा है कि कौन सी फर्मे छोटी है और कौन सी बड़ीबस टैक्स वसूली के लिए नोटिस जारी कर दिया गया हैछोटे फर्मों में कई ऐसे जिनका सालाना टर्नओवर पांच लाख रुपए भी नहीं हैइसके बाद भी उनसे खरीद-बिक्री का ब्यौरा मांगा गया हैरिटर्न कब फाइल किए यह भी मांग गया है.

इलेक्ट्रिक गुड्स, खिलौना

150 फर्मों में ज्यादातर फर्में इलेक्ट्रिक गुड्स के हैंयह सभी छोटे दुकानदार हैंकोरोना काल के समय दुकानें नहीं चली तो बंद कर दिए हैंइसके बाद खाने-पीने की दुकानें चला रहे हैंकई ऐसे भी हंै जो खिलौने की दुकान खोल रखे थे और न चलने पर बंद कर दिएइनसे भी सारा ब्यौरा मांगा गया हैइन छोटे कारोबारियों को नोटिस का जवाब देना काफी मुश्किल होगा.

सीमेंट, लोहे के सरिया भी शामिल

जीएसटी डिपार्टमेंट ने सीमेंट, लोहे का सरिया, कोयला, बालू और लोहे का चद्दर का काम करने वालों से भी कारोबार का विवरण मांगा है, जबकि इन कारोबारियों ने कारोबार बंद कर किसी दूसरे जिले में दूसरा व्यवसाय कर रहे हैंकोरोना काल के दौरान इन कारोबारियों ने कारोबार नहीं चला तो बंद कर दिए थे, क्योंकि कारोबार में काफी नुकसान हुआ थाइन कारोबारियों के फर्जी पता और नंबर होते तो विभाग का नोटिस नहीं पहुंचता लेकिन सब कुछ सही था इसलिए विभाग ने नोटिस जारी की है.

जीएसटी के नियम के तहत सभी को नोटिसें जारी किए जा रहे हैैंअगर टैक्स का बकाया नहीं है तो वह कार्यालय में आकर फर्म से संबंधित डाक्यूमेंट्स जमा कर देंउनका उत्पीडऩ विभाग के अधिकारी नहीं करेंगे.

प्रिंस कुमार, एडिशनल कमिश्नर, ग्रेड-1