वाराणसी (ब्यूरो)ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण में जिला जज की अदालत में चल रहे मुकदमे का रुख क्या होगा यह महज सात मिनट में तय हो गयाजिला जज डाअजय कृष्ण विश्वेश ने आदेश की जानकारी वादी व प्रतिवादी पक्ष को दीमंगलवार को मुकदमे की सुनवाई दोपहर 2.30 बजे शुरू हुईअन्य दिनों में लंच के तुरंत बाद दो बजे सुनवाई होती थीवादी व प्रतिवादी पक्ष पहले ही अदालत में पहुंच चुका थामुकदमे की पोषणीयता की पहले सुनवाई का आदेश मिलने के बाद वादी पक्ष ने एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट की नकल देने की बात अदालत के समक्ष रखीइसके लिए मौखिक की बजाय लिखित निर्देश का आग्रह कियाजिला जज ने इसे स्वीकार करते हुए इसके लिए अलग से आदेश दियाइसके साथ ही 2.37 बजे अदालत की कार्यवाही स्थगित हो गईइसके पहले अदालत कक्ष को खाली कराकर पुलिस के पास मौजूद सूची में जिन लोगों का नाम था पुष्टि के बाद उन्हें प्रवेश दिया

नियुक्त हुए एडवोकेट कमिश्नर

मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और देवी-देवताओं के विग्रह को सुरक्षित करने की मांग करते हुए पांच महिलाओं ने 18 अगस्त 2021 को सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में मुकदमा दाखिल किया थाइसके साथ ही इस मुकदमे में प्रतिवादी बनाए गए अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद ने मुकदमे की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए मुकदमे को निरस्त करने की मांग की थीउसी दिन अदालत ने मौके की वस्तुस्थिति जानने के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश जारी कर दिया था

हाई कोर्ट ने किया निरस्त

दो एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किए गए लेकिन उनकी ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गयी हैएक बार फिर अदालत ने आठ अप्रैल 2022 को अजय कुमार मिश्र को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कियाकमीशन की कार्यवाही की जिम्मेदारी सौंपते हुए मुकदमे की पोषणीयता (आदेश 7 नियम 11 सीपीसी) के प्रार्थना पत्र को इससे अलग मानासिविल जज के आदेश के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयीहाईकोर्ट ने 21 अप्रैल 2022 को इस याचिका को निरस्त कर दिया

जिला जज के पास पहुंचा मामला

इसके बाद प्रतिवादी पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में सिविल जज के आदेश को चुनौती देते हुए वाद की पोषणीयता की पहले सुनवाई करने की अपील की। 20 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए उक्त मुकदमा सिविल जज (सीनियर डिविजन) की अदालत से जिला जज के न्यायालय को स्थानांतरित कर दियासाथ ही यह निर्देश दिया कि प्रतिवादी की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र (वाद की पोषणीयता) की सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर की जानी चाहिए