पराभव का होगा प्रभाव

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वासंतिक नवरात्र से नव संवत्सर की शुरुआत हो जाती है। ज्योतिषियों के मुताबिक इस साल शुरू हो रहे नव संवत्सर 2070 का नाम पराभव होगा। पराभव संवत्सर में राजा यानि राष्ट्रपति के पद पर देव गुरु बृहस्पति हैं जबकि मंत्री शनि होंगे। चूंकि राजा देवों के गुरु बृहस्पति हैं इसलिए ये पूरा साल धार्मिक अनुष्ठानों, उत्सवों से भरा रहेगा जबकि शनि के मंत्री पद पर बैठने से पब्लिक के अंदर हीन भावना, ज्यादा खर्च करने की प्रवृति पैदा होगी जो लोगों को चिड़चिड़ा बनायेगी।

दोनों हैं विरोधी

वैसे तो सत्ता में हर कोई अपनी हनक बनाने के लिए परेशान रहता है लेकिन जब दो महत्वपूर्ण पदों पर दो विरोधी बैठ जायें तो ये स्थिति पब्लिक के लिए मुसीबतों भरा हो सकती है। ऐसा ही हाल इस बार नव संवत्सर में होगा। ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक इस बार के नव संवत्सर में राजा और मंत्री दोनों एक दूसरे के प्रबल विरोधी हैं। विरोधी ग्रह होने के कारण दोनों के बीच सामंजस्य का अभाव होगा। इस वजह से दोनों फैसलों को लेकर आमने सामने आ सकते हैं। ऐसे में नुकसान पब्लिक का होगा।

दस में से छह हैं पाप ग्रह

भले ही इस साल गुरु बृहस्पति राजा बने हों लेकिन इनके मंत्रीमंडल में शामिल दस में से छह ग्रह पाप ग्रह हैं जबकि चार ही ग्रह ऐसे हैं जो शुभ मानें जाते हैं। ज्योतिष विज्ञान समिति के अध्यक्ष पं। पवन त्रिपाठी बताते हैं कि आकाशीय मंत्री मंडल में कुल 10 विभाग होते हैं। हर विभाग का स्वामी एक ग्रह होता है। इस साल जहां राजा गुरु और मंत्री शनि हैं वहीं बाकी के कई महत्वपूर्ण पदों पर पाप ग्रह ही विराजमान हैं। पंडित पवन के मुताबिक दुर्गेश यानि देश की सुरक्षा का जिम्मा शनि को है। शनि हैं तो देव लेकिन ज्योतिषी इनको पाप ग्रह मानते हैं। इसके अलावा मेघेश यानि बारिश का स्वामी भी शनि है। जबकि मंगल को भी ज्योतिष शास्त्र में उग्र्र ग्रह कहा गया है और इस बार मंगल के पास दो विभाग हैं। धनेश के अलावा नीरसेश का स्वामी भी मंगल है। इस वजह से इन पाप ग्रहों व एक उग्र्र ग्र्रह के चलते ग्रहों का मंत्रिमंडल डिस्टर्ब रहेगा और इसका सीधा प्रभाव देश, जनता और लोगों के बजट पर पड़ेगा।

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आने वाले नये साल को लेकर हर ज्योतिष का अपना मत है। बीएचयू ज्योतिष विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। सुभाष पाण्डेय का मानना है कि इस बार राजा गुरु के होने के चलते पूरे साल पब्लिक और देश में हर्षोल्लास का माहौल रहेगा। हां, शनि के मंत्री बनने से पब्लिक में विश्वास का अभाव होगा, लोगों का बजट बिगड़ेगा, महंगाई बढ़ेगी और पद परिवर्तन होने की पूरी संभावना है। वहीं ज्योतिष विमल जैन का कहना है कि आने वाला नया साल बहुत ही अच्छा रहेगा। चूंकि राजा गुरु हैं इसलिए कोई परेशानी की बात नहीं है। मंत्री शनि के होने से दिक्कत तो होगी लेकिन गुरु इसको मैनेज कर लेगा। विमल जैन के मुताबिक इस साल फसल अच्छी रहेगी और बारिश भी ठीक ठाक होगी लेकिन इस साल करप्शन और बढ़ेगा। पब्लिक के साथ लूट खसोट भी जमकर होगा। डॉ। सुभाष के मुताबिक शनि के मंत्री होने से पश्चिमी देशों में उपद्रवों की कंडीशन पैदा होगी, अपने देश की सत्ता में बड़ा परिवर्तन होगा और बहुत ही छोटा आदमी किसी बड़े पद पर बैठेगा। वहीं पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि इस वर्ष ग्रहों की स्थिति भारत का दूसरे देशों में प्रभाव बढ़ायेगी। सुरक्षा की दृष्टि से भारत बलवान होगा, संचार के साधनों में विकास होगा लेकिन महंगाई अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए पब्लिक का बजट जबरदस्त तरीके से बिगाड़ेगी।

एक नजर साल पर

- शनि व राहु की युति साल भर दुर्घटनाएं व प्राकृतिक आपदाएं बढ़ायेंगी।

- चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के आसपास भूकंप, साइक्लोन से नुकसान हो सकता है।

- 3 जुलाई के आसपास आकाशीय व समुद्री तूफान की आशंका।

- जनवरी 2014 में हिमपात, हिमस्खलन से देश में जनजीवन अस्त व्यस्त हो सकता है।

- फरवरी में शनि, राहु व मंगल की युति देश में कोई बड़ी घटना का संकेत दे रही है।

साल पर ग्रहों का प्रभाव

राजा- बृहस्पति - अच्छे काम करायेगा

मंत्री - शनि - मुसीबतें और अविश्वास बढ़ेगा

सस्येश- मंगल - दाल तिलहन व गेहूं की फसल अच्छी होगी

दुर्गेश- शनि - देश की सुरक्षा के लिए अच्छा

धनेश- मंगल - लोगों का बजट बिगाड़ेगा

रसेश- बृहस्पति - राज्यों में सुख बढ़ेगा

धान्येश- चंद्र - लोगों की इनकम में इजाफा होगा

नीरसेश- मंगल - लाल रंग की चीजों के रेट में वृद्धि

फलेश- शुक्र - फसल अच्छी होगी

मेघेश- शनि - बारिश ठीक ठाक होगी। कहीं कहीं पर ज्यादा भी होगी

कैसा रहेगा राशियों पर असर

मेष- सामान्य शुभ दायक

वृष- न्यायालय कार्य में सफलता, प्रमोशन

मिथुन- बच्चों को कष्ट, दाम्पत्य सुख

कर्क- मानसिक कष्ट, वाहन सुख

सिंह- बिजनेस में मुनाफा, शुभ कार्यों में खर्च

कन्या- आर्थिक कष्ट, चोट चपेट का खतरा

तुला- व्यापार में लाभ, शारीरिक पीड़ा

वृश्चिक- बेवजह दौड़ भाग, पारिवारिक मतभेद

धनु- स्टडी में दिक्कत, सुख की प्राप्ति

मकर- वाहन से भय, जॉब में प्रमोशन

कुंभ- मांगलिक कार्य, नये व्यापार का योग

मीन- चोट चपेट के चांसेज, ऋण बढऩे के चांसेज

11 अप्रैल को होगी कलश स्थापना

बुधवार यानि 11 अप्रैल से चैत्र के वासंतिक नवरात्र की शुरुआत हो रही है। नवरात्र में देवी आराधना का महत्व है और घरों में कलश स्थापना के साथ नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा होती है। इस बारे में ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानि 11 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 35 मिनट से 12 बजकर 25 मिनट तक कलश स्थापना का मुहूर्त है। इस अभिजीत मुहूर्त में देवी के कलश की स्थापना कर भक्त मनचाहा फल पा सकते हैैं। नवरात्र में देवी के नौ गौरी स्वरूप के दर्शन का विधान है। नौ गौरी का मंदिर सिटी के अलग अलग इलाकों में है। विमल जैन के मुताबिक इस बार नवरात्र पूरे नौ दिनों का है और 19 अप्रैल को रामनवमी मनाई जायेगी।

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पूरे साल का असर मिला जुला रहेगा। क्योंकि राजा बृहस्पति है और शनि, मंगल ये दोनों ग्रह एक दूसरे से अलग विचार रखेंगे लेकिन नुकसान कम होगा।

डॉ। सुभाष पाण्डेय, एसोसिएट प्रोफेसर, बीएचयू ज्योतिष विभाग

पराभव संवत्सर में पाप ग्रहों का असर ज्यादा है जबकि शुभ ग्रहों का कम। हालांकि गुरु राजा है। इस वजह से ये कंट्रोल में रहेंगे लेकिन पाप ग्रह होने से इनका दुष्प्रभाव साल भर रहेगा।

पंडित पवन त्रिपाठी, अध्यक्ष ज्योतिष विज्ञान समिति, काशी

ये साल अच्छा रहेगा, पाप ग्र्रह नहीं शुभ ग्रह मंत्रिमंडल में ज्यादा हैं। इस वजह से देश में खुशहाली आयेगी। शनि के मंत्री होने से थोड़ी परेशानी बढ़ेगी लेकिन राजा गुरु उसको संभाल लेंगे।

विमल जैन, ज्योतिषविद्