45 दिनों में 54 अपराधियों लगा गुंडा एक्ट

बनारस शहर में हर साल सैकड़ों गुंडे और गैंगेस्टर पैदा हो रहे हैं। इनकी लगातार बढ़ रही संख्या ने जहां पुलिस की बेचैनी को बढ़ा दिया है, वहीं उन गुंडों को जिले के बाहर खदेड़ने के लिए पुलिस उनपर जिला बदर तक की कार्रवाई करने में लगी हुई है। पुलिस रिकॉर्ड की मानें तो बनारस जिले में हर साल पांच से छह सौ गुंडे पैदा हो रहे हैं।

बता दें कि बनारस शहर में मारपीट, हत्या, अपहरण जैसी घटनाएं आए दिन सुनाई देती रहती हैं। जिनके खिलाफ पुलिस गुण्डा एक्ट की कार्रवाई करती है। बनारस में पिछले डेढ़ महीने के अंदर 54 अपराधियों पर गुंडा एक्ट दर्ज किया किया गया है।

पुलिस रिकॉर्ड में कोई ऐसे बनता है गुंडा

आम जनमानस में भय व्याप्त करने वालों पर गुण्डा एक्ट की कार्रवाई पुलिस करती है। पुलिस के अनुसार एक से अधिक मुकदमें दर्ज होने के बाद यह कार्रवाई की जाती है। यही नहीं अगर एनसीआर भी दो या तीन बार दर्ज हो जाता है और पुलिस को यह लगता है कि आम जनमानस में इसके माध्यम से भय व्याप्त हो सकता है तो ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ गुंडा एक्ट की कार्रवाई पुलिस कर सकती है।

गुंडों को किया जाता है जिला बदर

गुंडा एक्ट की कार्रवाई के बाद पुलिस डीएम के यहां गुंडा की फाइल ले जाकर उसके आपराधिक गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए जिला बदर की कार्रवाई करवाती है। छह महीने तक ऐसे गुंडों को जिले से बाहर भगाया जाता है। यदि समयावधि के पहले वो जिले में आते हैं और पुलिस उन्हें पकड़ती है तो फिर से उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाती है।

लॉकडाउन में बढ़ गए गुंडे

साल 2020 में लॉकडाउन लगने के बावजूद गुंडों की संख्या शहर में बढ़ गई है। पुलिस रिकॉर्ड की मानें तो 2019 में गुंडा एक्ट के 579 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2020 में इनकी संख्या 695 हो गई है। वहीं 2019 में 68 अपराधियों पर गैंगेस्टर की कार्रवाई की गई थी। जबकि 2020 में 71 गैंगस्टर के मामले दर्ज किए गए।

1 जनवरी 2021 से 15 फरवरी 2021 के बीच

54 पर लगा गुंडा एक्ट

::: कोट :::

जिले को भय और अपराध मुक्त करना मेरी पहली प्राथमिकता है। शहर में अपराधियों के लिए कोई स्थान नहीं है। जो भी ऐसे कृत्य करते हैं उनके खिलाफ गुंडा एक्ट की कार्रवाई की जाएगी। अपराध करने वालों का रास्ता सलाखों के पीछे ही जाकर समाप्त होता है।

अमित पाठक, एसएसपी, वाराणसी