प्रेशर हॉर्न के चलते शहर में पिछले चार दिनों में तीन लोगों की हुई मौत

इसके बावजूद ट्रैफिक पुलिस को नहीं सुनाई देता हॉर्न का कानफाड़ू शोर

VARANASI:

केस : क्

रोडवेज बस स्टैंड के पास सात जुलाई को पिता के साथ बाइक से कॉलेज में एडमिशन लेने जा रही छात्रा पीछे आ रहे टैंकर में लगे प्रेशर हॉर्न के अचानक बजने से डर गई। डर के कारण वह बाइक से गिर पड़ी और टैंकर ने उसे रौंद दिया और भाग निकला।

केस : ख्

कपसेठी में साइकिल से जा रहा युवक पीछे आ रहे ट्रेलर में लगे प्रेशर हॉर्न के बजते ही साइकिल लेकर गिर पड़ा। जबतक वह खुद को संभालता तब तक ट्रेलर ने उसे रौंद दिया और भाग निकला।

ये दो केस आपको ये बताने के लिए हैं कि अपने शहर की सड़कों पर प्रेशर हॉर्न अब जानलेवा बन चुका है। कभी इनके कारण लोगों की मौत हो रही है तो कभी कोई इनकी तेज आवाज सुनकर अपना बैलेंस खोकर गिरने से चोटिल हो रहा है। इसके बावजूद प्रेशर हॉर्न को लेकर ट्रैफिक पुलिस महकमा उदासीन बना हुआ है। ये हाल तब है जब अपने बनारस के सांसद देश के प्रधानमंत्री हैं। इसके बाद भी इस जानलेवा हॉर्न को लेकर कहीं कोई सख्ती नहीं है।

प्रेशर हॉर्न के लिए नहीं कोई कैंपेन

अपने शहर के हर इलाके में प्रेशर हॉर्न लगे वाहनों की भरमार है। कानफाड़ू हॉर्न के शोर से हादसे तो हो ही रहे हैं साथ ही साथ शहर के अलग अलग इलाकों में बने साइलेंट जोन भी डिस्टर्ब हो रहे हैं। इसके बाद भी चौराहों पर मौजूद ट्रैफिक पुलिस के जवान गाडि़यों में लगे प्रेशर हॉर्न को देख पाने में फेल हैं। कैंट, रोडवेज, कचहरी, डीएम आवास, गोलघर चौराहा, पुलिस लाइन, तेलियाबाग संस्कृत यूनिवर्सिटी के पास, लहुराबीर चौराहा, कबीरचौरा मंडलीय हॉस्पिटल के बाहर समेत तमाम हॉस्पिटल और स्कूलों के बाहर साइलेंट जोन बनाये गए हैं लेकिन इसका पालन कहीं होता नहीं दिख रहा है। यही वजह है कि बाइक से लेकर कार और ट्रक से लेकर बसों तक में लोग बेखौफ होकर प्रेशर हॉर्न का यूज कर रहे हैं और इनके खिलाफ अभियान चलाकर कोई कार्रवाई करना तो दूर इनको कोई रोकने टोकने वाला भी नहीं है।

गलियों में भी बहरा कर रहा है प्रेशर

प्रेशर हॉर्न का असर सिर्फ शहर की सड़कों पर ही नहीं है बल्कि गलियों में भी सुनने को मिल रहा है। बाइक्स में लगे प्रेशर हॉर्न का यूज बाइकर्स जमकर सकरी गलियों में भी इस कदर कर रहे हैं कि कमजोर दिल वाले सहम जा रहे हैं। दारानगर, चौक, गायघाट, राजमंदिर, चौखम्भा, ठठेरी बाजार, रामघाट समेत कई ऐसी गलियां हैं जहां बाइक लेकर निकलने वाले प्रेशर हॉर्न को बजाते हुए चलना अपनी शान समझते हैं। इसके कारण गलियों में भी हादसे होते रहते हैं।

रोकेगा कौन ये बड़ा सवाल

प्रेशर हॉर्न के कारण आये दिन हो रहे हादसों को कौन रोकेगा ये सवाल बड़ा है। क्योंकि इसकी जिम्मेदारी ट्रैफिक पुलिस की है कि वह अभियान चलाकर प्रेशर हॉर्न के खिलाफ कार्रवाई करे लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है। नंवबर ख्0क्ब् में भी ट्रैफिक मंथ के दौरान ट्रैफिक पुलिस का पूरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ वसूली और रोड साइड अतिक्रमण करने वालों को हटाने में था। इस वजह से प्रेशर हॉर्न लगाकर चलने वाले बेखौफ होकर फर्राटा भरते रहे और अब भी हाल सेम है। नियम के मुताबिक प्रेशर हॉर्न लगाकर चलने वालों को भ्00 से क्000 रुपये तक चालान के अलावा गाड़ी सीज की कार्रवाई हो सकती है लेकिन ऐसा कम ही होता है कि प्रेशर हॉर्न को लेकर ट्रैफिक पुलिस सख्त हुई हो।

प्रेशर हॉर्न से बढ़ रहा है शोर

शहर की रोड पर आप अगर चल रहे हैं तो ये कंफर्म है कि आपके पीछे कोई बाइक या कार वाला प्रेशर हॉर्न लगाकर उसे कंटीन्यू बजाते हुए आगे निकलने के लिए परेशान रहेगा। ये हर रोज हर इलाके में देखने को मिल जाएगा। प्रेशर हॉर्न के बढ़ रहे यूज को रोकने में नाकाम ट्रैफिक पुलिस के चलते शहर में न सिर्फ शोर का लेवल बढ़ रहा है बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन करने वालों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है।

ये हैं बनारस के साइलेंट जोन

कैंट, रोडवेज, कचहरी, डीएम आवास, गोलघर चौराहा, पुलिस लाइन, तेलियाबाग संस्कृत यूनिवर्सिटी केपास, लहुराबीर चौराहा, कबीरचौरा मंडलीय हॉस्पिटल के बाहर, महमूरगंज रोड पर बने प्राइवेट हॉस्पिटल्स के पास की सड़क, चौक चौराहा, संकटमोचन मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, बीएचयू कैंपस, डीएलडब्ल्यू कैंपस, दुर्गा मंदिर, लंका, सिगरा आईपी मॉल के बाहर, शहर के सभी स्कूलों के आसपास के इलाके, बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूटस के पास के इलाके।

शोर है हर ओर

प्रेशर हॉर्न के बढ़ते यूज के कारण हर इलाके में बढ़ रही आबादी के शोर को कैसे रोका जाये इसे लेकर कोई प्लैनिंग किसी के पास नहीं है। यही वजह है कि सिटी में नॉयज पॉल्यूशन का लेवल बढ़ता ही जा रहा है। ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पिछले दिनों अपने किए सर्वे में एक चौंकाने वाला खुलासा किया था। इस सर्वे में सिटी के बीएचयू, रविन्द्रपुरी, गोदौलिया के अलावा कई अन्य इलाकों में भी शोर का लेवल निर्धारित मानक से कहीं ऊपर मिला था।

शहर में है शोर का ये हाल

इलाका मानक दर्ज लेवल मानक से ज्यादा

रविन्द्रपुरी ब्भ् डेसीबल 7क्.ख् डेसीबल भ्8.ख् प्रतिशत

गोदौलिया म्भ् डेसीबल 79.8 डेसीबल ख्ख्.7 प्रतिशत

लहुराबीर म्भ् डेसीबल 77.भ् डेसीबल क्9.ख् प्रतिशत

कचहरी भ्0 डेसीबल भ्8.8 डेसीबल क्7.म् प्रतिशत

लहरतारा 7भ् डेसीबल 8ख्.ब् डेसीबल 9.8 प्रतिशत

सारनाथ भ्0 डेसीबल भ्फ्.ब् डेसीबल म्.8 प्रतिशत

बीएचयू भ्भ् डेसीबल भ्8.फ् डेसीबल म्.0 प्रतिशत

(नोट: आंकड़े प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से पिछले दिनों किए गए सर्वे में सामने आये थे)