- पद्मविभूषण पं। छन्नूलाल मिश्र की बड़ी बेटी संगीता मिश्रा की मौत मामले की जांच तेज

- लखनऊ टीम ने वाराणसी जांच कमेटी की रिपोर्ट पर उठाए सवाल

- टीम के सदस्यों ने सभी पक्षों से की गहन पूछताछ, दर्ज किया बयान

24 घंटे तक सीएमओ दफ्तर, मेडविन अस्पताल के कई चक्कर लगाए टीम ने

09 अधिकारियों ने अस्पताल प्रबंधक समेत कर्मचारियों के सामने खड़ा किए सवाल

29 अप्रैल की देर रात संगीता मिश्रा का इलाज के दौरान निधन हो गया था

पद्मविभूषण पं। छन्नूलाल मिश्र की बड़ी बेटी संगीता मिश्रा की मौत के प्रकरण में बहुत जल्द ही चौकाने वाली जानकारी सामने आ सकती है। सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा गठित नौ सदस्यीय जांच कमेटी गुरुवार को लखनऊ से वाराणसी पहुंची। टीम ने 24 घंटे तक सीएमओ दफ्तर, मेडविन अस्पताल के कई चक्कर लगाए। लखनऊ से आए नौ अधिकारियों ने बारी-बारी से डीएम द्वारा गठित जांच टीम के लेकर अस्पताल के प्रबंधक समेत सभी कर्मचारियों के सामने सवालों की छड़ी लगा दी। वाराणसी की जांच रिपोर्ट पर भी तमाम सवाल खड़े किए। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज देखे बिना कैसे क्लीनचीट दे दी।

पं। छन्नूलाल मिश्र से एक घंटे तक हुई बातचीत

लखनऊ टीम का नेतृत्व सीएचसी-पीएचसी के निदेशक डॉ। रवींद्र कुमार कर रहे थे। उनके साथ डॉ। यतींद्र कुमार त्रिपाठी और डा। सुजीत कुमार भी थे। नौ सदस्यीय टीम ने सबसे पहले पूरे मामले की जानकारी पं। छन्नूलाल मिश्र से ली। उसके बाद उनसे शिकायत और मांग पत्र लिया। लगभग एक घंटे बातचीत के दौरान टीम ने उनसे कहा कि आपकी पहली मांग है कि अस्पताल प्रबंधन हमें सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराए, यदि किन्हीं कारणों से सीसीटीवी फुटेज नहीं उपलब्ध हो पाए तब। इस पर पंडितजी ने कहा कि आप लोग जांच करें। यदि अस्पताल दोषी है तो उस पर कार्रवाई करें। इसके बाद टीम ने उनसे और उनके परिवार से अस्पताल में भर्ती होने के दिन से लेकर मृत्यु के समय तक की दिनचर्या और अस्पताल की कार्यप्रणाली के बारे में विधिवत पूछताछ की। इस दौरान कई अहम सवाल भी पूछे गए। टीम पं। छन्नूलाल मिश्र को उचित न्याय का भरोसा दिलाते हुए लौट गई।

14 घंटे तक डॉ। मनमोहन श्याम से सवाल-जवाब

लखनऊ से आई जांच टीम ने मेडविन अस्पताल के प्रबंधक डॉ। मनमोहन श्याम और डॉ। अंजना से कबीरचौरा अस्पताल में सुबह 10 से रात 12 बजे तक पूछताछ की। जांच टीम ने दोनों डॉक्टरों से 24 सवाल पूछे। इलाज में इस्तेमाल की गई दवाइयों का ब्योरा मांगा। उसकी कितनी कीमत ली गई है। शव का चेहरा दिखाने के लिए 25 हजार लेने की बात पर टीम ने अस्पताल प्रबंधन से कहा कि आप प्रमाणित कीजिए कि आपने पैसा नहीं लिया है। अगर लिया है तो रसीद क्यों नहीं दी। इसके बाद टीम ने अस्पताल के हर कर्मचारी से अलग-अलग पूछताछ की। उस दिन रात में तैनात गार्ड और एंबुलेंस के ड्राइवर से भी गहन पूछताछ हुई। टीम ने 14 घंटे के भीतर अस्पताल का तीन बार दौरा किया। इस दौरान उन्होंने आक्सीजन प्लांट, आईसीयू, वेंटिलेटर सब चलाकर देखा। टीम ने अस्पताल प्रबंधन से कहा कि आप अपने ऊपर लगे आरोप को गलत साबित करने के लिए प्रमाण दीजिए।

डीएम द्वारा गठित जांच कमेटी से भी पूछताछ

जांच टीम ने डीएम कौशलराज शर्मा द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच कमेटी से भी लगभग पांच घंटे तक पूछताछ की। टीम ने डीएम की जांच कमेटी से जांच के आधार के बारे में सवाल किया। सीसीटीवी फुटेज जब्त क्यों नहीं किया गया, इस पर फटकार भी लगाई। कहा कि बिना सीसीटीवी फुटेज देखे कैसे क्लीन चिट दे दी गई। इस पर मेडिकल बोर्ड के सभी सदस्य चुप थे। गत 29 अप्रैल की देर रात पं। छन्नूलाल मिश्रा की बड़ी बेटी संगीता मिश्रा का इलाज के दौरान निधन हो गया था। उसके बाद परिवार के लोगों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था। तब डीएम ने इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया था। टीम ने जांच कर अस्पताल को क्लीन चिट दे दी थी। इस जांच रिपोर्ट से असंतुष्ट पंडितजी ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात पूरे मामले से अवगत कराया था। इसके बाद उन्होंने उच्चस्तरीय जांच का निर्देश दिया था।

सीएम ने दिया था जांच का भरोसा

नौ मई को जब सीएम योगी आदित्यनाथ वाराणसी विजिट पर आए थे तो सर्किट हाउस में पद्मविभूषण पं। छन्नूलाल मिश्र ने उनसे मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने बेटी संगीता के इलाज में हुई लापरवाही से अवगत कराया था। सीएम ने उक्त मामले की दोबारा जांच कराने का भरोसा दिया था।