-मोहब्बत का पैगाम देता है रमजान

-पाक महीने में नेक बंदे को मिलती है रहमत व बरकत

नदेसर जामा मस्जिद के मौलाना आफिफ एफबी ने बताया कि रमजान मोहब्बत का पैगाम देता है। अल्लाह ने इस पाक महीने में हर नेक बंदे को रहमत व बरकत से नवाजने का वादा किया है। रमजान में रोजेदार के दिल में अल्लाह प्यार का सैलाब भरने के साथ दूसरों के लिए हमदर्दी भी देता है। रोजा रखने से दिल को सुकून और रूह को ताजगी मिलती है। बुरी आदतों से इंसान दूर होता है और नेक राह पर चलने के लिए मोटीवेट होता है। मौलाना गफूर अहमद ने बताया कि पैगंबर-ए-आज़म के सामने वह सारे लोग थे, जिन्होंने उन्हे सताया था, गालियां दी थीं। वह लोग भी थे जो आपसे लड़ने पर उतारु थे, आपकी जान के दुश्मन थे। वह लोग भी थे जिन्होंने आपके चचा को क़त्ल करके उनके कलेजे को चबाने का वहशियाना काम को अंजाम दिया था, लेकिन दुनिया ने देखा कि आपने सबको माफ कर एक अनोखी मिसाल पेश की।

होती है तरक्की और तरबियत

लंगड़ा हाफिज मस्जिद के मौलाना जफरुल्लाह एसबी ने बताया कि रोजा से इंसान के अंदर तकवा और परहेजगारी की खूबी पैदा होती है। रोजेदार को अपनी ख्वाहिश पर काबू पाने की ताकत आती है। रूह की तरक्की और तरबियत होती, लेकिन इसके लिए रोजेदार को खाने-पीने के अलावा उन बातों से अपने को दूर रखना होता है। जिसके लिए अल्लाह और उसके रसूल ने मना किया है। जैसे झूठ न बोलें, बुराई न करें। किसी से झगड़ा या किसी को तकलीफ न पहुंचाएं। अल्लाह के रसूल ने फरमाया है कि रोजे के दिन कोई बुरी बात जुबान से न निकालें। मगफिरत का अशरा गुरुवार की शाम समाप्त होने वाला है। इसके बाद जहन्नम से आजादी का अशरा शुरू होगा। अंतिम अशरा में दस दिनों का एतिकाफ किया जाएगा। जो गुरुवार शाम से शुरू होगा। वहीं शब-ए-कद्र की ताक रातों में जागकर इबादत की जाएगी। बुधवार को 19वां रोजा अल्लाह-अल्लाह करते हुए बीता। शब-ए-कद्र की ताक रात गुरुवार 14 मई (21वीं रात), शनिवार 16 मई (23वीं रात), सोमवार 18 मई (25वीं रात), बुधवार 20 मई (27वीं रात) व शुक्रवार 22 मई (29वीं रात) को पड़ेगी।

फतेह मक्का का वाकया

ऐतिहासिक फतेह मक्का का वाकया 20 रमजान को हुआ। बनारस में कुरान ख्वानी व फातिहा ख्वानी कर यौमे फतेह मक्का मनाया जाएगा। अल रसीद मस्जिद के इमाम तारिक हसन सिददकी ने बताया कि फतेह मक्का एक शानदार फतेह थी। जो माह-ए-रमजान की 20 तारीख को हुई। यह एक ऐसी जंग थी कि जिसमें कोई मारा नहीं गया, बल्कि सही मायने में सबको बेहतरीन जिंदगी मिली। पैगंबर-ए-आजम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फतेह मक्का से लोगों का दिल जीत लिया। सभी को आम माफी दी गई। खून का एक कतरा भी नहीं गिरा और फतेह अजीम हासिल हो गई।