- ईद मिलादुन्नबी का शहर में दिखा जश्न

-मस्जिदों-मोहल्लों में महफिल-ए-मिलाद कर पेश किये सलातो-सलाम

पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद मुस्तफा (सल्ल.) की यौमे पैदाइश की खुशी शुक्रवार को शहर में हर खास-ओ-आम ने अकीदम संग मनाई। कोरोना के मद्देनजर जुलूस निकालने की बजाय मस्जिदों-मोहल्लों में महफिल-ए-मिलाद का आयोजन कर अकीदतमंदों ने सलातो-सलाम का नजराना पेश किया। वहीं, उलमा-ए-कराम ने तकरीर कर युवाओं को नबी की सीरत पर अमल करते हुए ¨जदगी गुजारने की ताकीद की।

कोरोना गाइडलाइन का किया पालन

रातभर नातिया कलाम पेश करने का सिलसिला चलता रहा तो वहीं सुबह फज्र की नमाज के बाद मस्जिदों में कुरआनख्वानी हुई और महफिल-ए-मिलाद सजी। इसी क्रम में सुबह आठ बजे रेवड़ी तालाब नगीना वाली मस्जिद के मैदान में गाइडलाइन का पालन करते हुए जलसे का आयोजन हुआ। उलमा-ए-कराम ने तकरीर कर लोगों से सामाजिक कार्यो में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की। कहा नबी-ए-करीम से पहले पूरा अरब सामाजिक और धार्मिक बुराइयों का शिकार था। लोग तरह-तरह के पाखंड में फंसे थे।

असंख्य कबीले थे, जिनके अलग-अलग नियम और कानून थे। कमजोर और गरीबों पर जुल्म होते, तो वहीं औरतों का जीवन सुरक्षित नहीं था। नबी-ए-करीम ने अल्लाह की इबादत करने की शिक्षा दी। साथ ही लोगों को पाक-साफ रहने के नियम बताए। गरीबों, यतीमों, बेवाओं की सामाजिक सुरक्षा व समाज में न्याय एवं अन्याय में भेद के लिए इस्लामिक नियम बनाए। इन्हीं नियमों का पालन करते हुए युवा वर्तमान सामाजिक बुराइयों से खुद को महफूज रख सकते हैं। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना जहां ईमान का हिस्सा है, तो वहीं इससे कोरोना वायरस से भी महफूज रहा जा सकता है। इस दौरान मौलाना जमील अहमद, मौलाना डा। शफीक अजमल, मौलाना डा। कमालुद्दीन, मौलाना अबू शहमा, मौलाना तारिक अंजुम आदि ने तकरीर की। मोहम्मद जकी रजवी ने नबी की शान में नातिया कलाम का नजराना पेश किया। इस दौरान अमनो-आमान की सलामती, मुल्क की तरक्की और कोरोना महामारी से निजात के लिए सामूहिक दुआख्वानी भी हुई। सदारत काजी-ए-शहर मौलाना गुलाम यासीन व निजामत मौलाना शकील अहमद ने किया। उधर, मौलाना हसीन अहमद हबीबी के संयोजन में मस्जिदों में कुरआनख्वानी के साथ ही महफिल-ए-मिलाद सजाई गई।

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