वाराणसी (ब्यूरो)देश के कोने-कोने से रोजाना लाखों की तादात में सैलानी, श्रद्धालु, स्टूडेंट और पेशेंट इलाज के लिए बनारस आते हैैंतकरीबन दस लाख लोग शहर की सड़कों पर गतिमान रहते हैैंसमय के साथ शहर की आबादी बढ़ती गईकुछेक को छोड़कर सड़कों की स्थिति पहले जैसी है

लगता है जाम का झाम

धर्म, शिक्षा, चिकित्सा, व्यापार, परिवहन, टूरिज्म सेमत अन्य वजहों से बनारस पड़ोस के एक दर्जन से अधिक राज्यों से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ हैमसलन, शहर के अधिकतर रूटों पर सुबह से देर शाम तक जाम के झाम से पब्लिक परेशान रहती हैहो भी क्यों न, वाराणसी यातायात पुलिस विभाग में ट्रैफिक जवानों की संख्या आवश्यकता के सापेक्ष महज आधी है

1000 जवानों की तैनाती

शहर के ट्रैफिक लोड को संभालने के लिए लगभग 1000 हजार जवानों को निर्धारित समय 12 घंटे से अधिक 16 घंटे काम करने पड़ते हैैंइसमें में भी सीएम-पीएम समेत अन्य वीवीआईपी लोगों के आने पर आठ-आठ घंटे के शिफ्ट में 24 घंटे काम करने पड़ते हैैंलगातार काम की वजह से जवानों से शारीरीक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकरात्मक असर देखने को मिल रहा है.

चरमरा जाती है व्यवस्था

कैंट, सिगरा, मलदहिया, गोदौलिया, लंका, मैदागिन, नदेसर, कचहरी, पांडेयपुर, नक्खी घाट, राजघाट, रथयात्रा, गुरुबाग, कमच्छा, भेलूपुर, नई सड़क समेत तीन दर्जन रूटों पर रोजाना लाखों-लाख की तादात में नागरिक, सैलानी, श्रद्धालु, व्यापारी, स्टूडेंट, मरीज और आसपास के नागरिकों का आना-जाना होता हैलिहाजा, सिमित स्पेस में वाहनों और पब्लिक का बोझ बढऩे से व्यवस्था में जवानों के तैनात होने के बाद भी अव्यवस्था व जाम की स्थिति पैदा हो जाती है

आधा है आधे की जरूरत

आंकड़ों के मुताबिक वाराणसी कमिश्नरेट ट्रैफिक पुलिस में वर्तमान समय में तकरीबन एक हजार जवान पदस्थ हैैंइसमें कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल व टीआई को मिलाकर 400 जवान और यूपीहोमगार्ड के 500 जवान संयुक्त रूप से शहर की यातायात व्यवस्था को संभालते हैैंजबकि, एक्सपर्ट के मुताबिक वाराणसी शहर की व्यस्ततम ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने के लिए इतने ही यानि एक हजार और जवानों की जरूरत है

लगातार ड्यूटी का बोझ

आमतौर पर यातायात जवानों को 12 घंटे की ड्यूटी करनी होती हैलेकिन, बनारस शहर की बोझिल यातायात को देखते हुए जवानों को चौराहों, बूथों, मार्केट, रूटों, मोड़ समेत अन्य स्थानों पर 16 घंटे की नौकरी करनी पड़ रही हैटीआी पंकज तिवारी कहते हैैं कि वीवीआईपी मूवमेंट के दौरान 8-8 घंटे की शिफ्ट में 24 घंटे काम करना पड़ता हैआने वाले दिनों में गंगा पार टेंट सिटी और बैलीन शो को लेकर और जवानों की आवश्यकता होगी

ट्रैफिक विभाग में कर्मियों की संख्या आधी हैये लोग शहर की यातायात व्यवस्था को सुचारू करने के लिए अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैविशेष अवसरों पर इनके ड्यूटी के घंटे बढ़ जाते हैैं

डीके पुरी, एडीसीपी, ट्रैफिक