वाराणसी (ब्यूरो)महंगाई पब्लिक का पीछा छोडऩे के मूड में नहीं हैपेट्रोल-डीजल, रसोई गैस और खाद्य तेल के बाद अब आटे की महंगाई ने किचन की इकोनॉमी को अनबैलेंस कर रख दिया है और अब इसका असर भी दिखने शुरू हो गए हैैंशहर में पिछले दो महीने पहले 2650 से 2890 रुपए प्रति क्विंटल बिकने वाला आटा अब 3300 रुपए प्रति क्विंटल के पार खुलेआम बिक रहा हैएक क्विंटल आटे के दाम में लगभग 400 रुपए की बढ़ोतरी से मिडल क्लास के सामने डाइट में रोटियों की संख्या को समेटने लगा हैलिहाजा, उन्हें चावल और अन्य सस्ते खाद्य पदार्थों की खरीदारी का रूख करना पड़ रहा हैघर की रसोई में आटे से एक रोटी पकाने का खर्च पांच रुपए और एवरेज होटल-रेस्त्रां में सात से दस रुपए की कीमत आ रही हैइससे होटलों में मेन्यू भी बदला जाने लगा हैैइधर, महंगी होती रोटी के मुद्दे पर चौक-चौराहे, कॉलेज-विवि कैंपस और सोशल मीडिया पर गरमा-गरम बहस छिड़ी हुई हैलोग बेलगाम होती महंगाई के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया भी दे रहे हैैं.

डीजल-पेट्रोल के बाद अब आटा

शहर में डीजल-पेट्रोल, खाद्य तेल के बाद अब आटा भी महंगाई के लपेटे में आ गया हैकाशी विद्यापीठ के सामने होटल संचालक विशाल बताते हैैं कि 'सभी किराना के सामानों का मूल्य आसमान छूने लगा हैमैैं अपने होटल के रसाईं के लिए महीने भर के 25 हजार रुपए तक का सामान मंगवाता थाअब यह बजट 35 हजार रुपए के अधिक हो चला हैचूंकी, हमारे मैन्यू के कमोबेश सभी डिशेज में रोटी की प्रधानता होतीइसलिए आटे की खपत अधिक हैअब प्रति क्विंटल 380 रुपए अधिक देकर आटा खरीदना पड़ रहा हैइसका असर व्यावसायी के कस्टमर्स भी देखने को मिल रहा हैलिहाजा, एक रोटी पकने के बाद 7 से 10 रुपए की पड़ रही हैमेन्यू में रोटी की कीमतों को बढ़ाया गया हैÓ.

किचन से भी निकल रहे आंसू

मिडल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखने वाले राजेश कुमार मौर्य कहते हैैं कि 'मां, पत्नी, एक बेटी और बेटे समेत कुल पांच फैमली मेंबर हैैंमहीने की 18-20 हजार रुपए की इनकम होती हैमहीने भर के 40 से 50 किलो आटा लगता हैहाल के दिनों में बढ़े प्रति किलो आटे पर बढ़े 4 से 5 रुपए से किचन का तानाबाना प्रभावित होने लगा हैबहरहाल, बनारस की आधी से अधिक आबादी मिडल वर्ग से जुड़ी है, लिहाजा, कम इनकम वाले परिवारों को महंगे हुए आटे का विकल्प तलाशने को विवश होना पड़ रहा है.

बनारसियों को पसंद है एमपी का गेहूं

बनारस के अधिकतर नागरिकों की पसंद अच्छे दाने और पोषणयुक्त गेहूं को स्थानीय मंडी से खरीद कर खाते हैैंवहीं, फ्लावर मील यानी चक्की वाले आटे भी बनारस में बिकता है लेकिन हाल के दिनों में बढ़ी कीमतों से व्यापारी और पब्लिक दोना परेशान हैैं.

आंकड़ों पर एक नजर

बनारस में बिकने वाले आटे की कीमत

फ्लावर मील का आटा (थोक) 2,500 से 2,600 रुपए प्रति क्ंिवटल

फ्लावर मील का आटा (खुदरा) 2,700 से 2,900 रुपए प्रति क्विंटल

बनारस की किराना मंडियों में बिकने वाले गेहूं की कीमत

शरबती गेहूं (थोक)2,600 से 2,700 रुपए प्रति क्ंिवटल

शरबती गेहूं (खुदरा) 2,900 से 3,000 रुपए प्रति क्विंटल

के68 गेहूं (थोक) 3,300 से 3,400 रुपए प्रति क्विंटल

के68 गेहूं (खुदरा) 3,600 रुपए प्रति क्विंटल

नोट- शरबती और के68 गेहूं ही औसत रूप से 3,200 रुपए से अधिक में बिक रहा हैइसे चक्की में पिसाने पर आटे के कीमत में और इजाफा होता है.

बेलगाम होती महंगाई पर ब्रेक लगाने की आवश्यकता हैट्रांसपोर्ट और अन्य खर्चों के महंगे होने से बढ़ी कीमतों का असर किराना के सामानों पर भी पड़ रहा है.

अशोक कसेरा, व्यापारी नेता, विशेश्वरगंज

बनारस के लोगों को मैक्सिमम एमपी का गेहूं और इससे बना आटा पसंद आता हैसीजन होने का बाद भी आटे पर महंगाई का असर देखने को लि रहा है.

भगवानदास, अध्यक्ष, काशी फडिय़ा-गल्ला संघ, विशेश्वरगंज