वाराणसी (ब्यूरो)महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के हॉस्टल में रहने वाले छात्र-छात्राओं के मेस का पैसा लेकर फरार होने वाले संचालक को भले ही महाविद्यालय प्रशासन पकड़ न पाया हो, लेकिन बच्चों के खाने के लिए मेस का प्रबंध कर लिया गया हैहालांकि मेस की समस्या तो सिर्फ एक बानगी भर है, यहां के हॉस्टलर्स अन्य कई सारी समस्याओं से भी जूझ रहे हैंविद्यापीठ में कोई भी ऐसा हॉस्टल नहीं है जहां छात्र-छात्राओं को मुकम्मल सुविधाएं मिल रही होहॉस्टल में न तो पीने के लिए साफ पानी है और न ही बीमार पडऩे पर प्राथमिक इलाज का कोई इंतजामयहीं नहीं अगर कोई छात्र गंभीर रूप से बीमार हो जाए तो एंबुलेंस तक नहीं हैभीषण गर्मी में भी छात्रों को महज एक पंखे के नीचे ही रहना पड़ता है

इस तरह की है समस्या

आचार्य नरेन्द्रदेव छात्रावास में रहने वालों छात्रों का कहना हैं कि उनके हॉस्टल में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे इस हॉस्टल की तारिफ की जाएपिछले कई साल से रंग रोगन न होने से दीवार से चूना गिर रहा हैगैलरी में सीलन होने की वजह से पूरी दीवारें खराब हो चुकी हैजहां कपड़ा फैलाने पर चूना का उस पर गिरने लगता हैइसके अलावा कुछ बाहरी छात्रों का भी हॉस्टल में कब्जा हैहॉस्टल के 130 रूम में 160 बच्चे रहते हैं, लेकिन इसमें 25 से 30 छात्र यही के लोकल है, जबकि नियमत: हॉस्टल में लोकल को अलाउ नहीं होता हैइसके साथ ही यहां जिस जगह पर पीने के पानी का वाटर कूलर लगा है, वहां जल निकासी का साधन नहीं हैपीने का पानी भी सही नहीं हैगंदा पानी होने की वजह से छात्र बीमार हो जाते हैं

4 छात्रावास, सबकी हालत खराब

विद्यापीठ में यूजी छात्रों के लिए आचार्य नरेन्द्र देव छात्रावास, पीजी के लिए लाल बहादुर छात्रावास और पीएचडी के लिए संपूर्णानंद छात्रावास के अलावा छात्राओं के लिए जेके महिला छात्रावास है, लेकिन करीब-करीब हर छात्रावास की हालत ऐसी ही हैछात्रों का कहना है कि हॉस्टल में वार्डन भी नहंी आते हैंलाइट खराब होने पर उसे बनने में दो दिन लग जाते हैं

क्या कहते हंै छात्र

मेस संचालक का पैसा लेकर भागने के बाद से छात्रों का खाना बंद हैशुक्रवार को उन्हें खाना नहीं मिला, बाहर से जाकर खाना पड़ाहालांकि शनिवार को एलबीएस में एक मेस चालू हो गया हैलेकिन अभी एएनडी में नहीं हुआ हैयहां के मेस में ताला लगा हुआ है

विवेक गुप्ता, हॉस्टलर्स व छात्र नेता

हमने मेस के लिए पूरे महीने का एक साथ पैसा दिया हैइसलिए हमें खाना तो चाहिएहॉस्टल में हमें वे सभी सुविधाएं नहीं मिल रही, जिसकी हमें जरूरत हैसिर्फ खाना नहीं, साफ पानी के लिए भी जूझना पड़ता हैशिकायत करने के बाद भी कोई सुनने वाला है नहीं हैमेस का खाना न मिलने की वजह से हमें खुद खाना बनाना पड़ रहा है

यजेन्द्र जोशी, छात्र-एएनडी छात्रावास

हम सात हजार रूपए हॉस्टल का फीस देते है, लेकिन महाविद्यालय का कोई भी ऐसा छात्रावास नहीं है जो पूरी तरह से परफेक्ट होहर जगह खामियां हैसिर्फ यहीं नहीं गल्र्स हॉस्टल का भी बुरा हाल हैवहां बंदरों का आतंक हैवहां के चीफ वार्डेन का व्यवहार भी छात्राओं के प्रति अच्छा नहीं है

अनीस कुमार, छात्र-एएनडी छात्रावास

तीन साल पहले यहां मेस की सुविधा शुरू की गई थीपहले साल सिर्फ एक सप्ताह ही मेस चला और बंद हो गयाइसके बाद अब दोबारा शुरू हुआ और दो दिन में बंद हो गयाविवि प्रशासन को छात्रों के खाने के लिए बीएचयू की तरह टोकन सुविधा का सुझाव दिया गया था, लेकिन वैसा नहीं किया गया

शिवजनक गुप्ता, छात्रसंघ उपाध्यक्ष

हॉस्टल्स में करीब आठ वॉटर कूलर लगे हैं, जो अच्छी स्थिति में हैंहर महीने पानी की जांच भी होती हैइसके लिए एक एजेंसी भी हॉयर कर रखा गया हैसफाई भी नियमित होता हैसमय-समय हॉस्टल्स का रंगरोगन भी होता है.

प्रोअमिता सिंह, चीफ प्रॉक्टर