- नेपाल में भारतीयों संग हो रहे दु‌र्व्यवहार के बाद भी नेपाल की मदद को लोग बढ़ा रहे हैं हाथ

- गर्म कपड़े बेचने आये शरणार्थी मदद के लिए मांग रहे हैं लोगों से भूकंप पीडि़तों के लिए चंदा, खुले दिल से हर कोई कर रहा है मदद

VARANASI

भारत की संस्कृति, परम्परा और मदद करने की भावना ही इस देश को शायद दूसरे देशों से अलग करती है। यही वजह है कि भारत अपने दुश्मनों की भी वक्त पड़ने पर मदद करने से पीछे नहीं हटता। जिसका जीता-जागता उदाहरण इन दिनों बनारस में देखने को मिल रहा है। दरअसल नेपाल में नए संविधान बनने के बाद से भारतीयों पर वहां लगातार हो रहे हमले के चलते भारत नेपाल के संबध कुछ खट्टे हुए हैं लेकिन इसके बाद भी भारत इंसानियत के फर्ज से मुंह नहीं मोड़ रहा है और पिछले दिनों नेपाल में आई त्रासदी के बाद नेपाल को आर्थिक मदद देने के लिए हाथ आगे बढ़ा रहा है। भारत की इस मानवता का नजारा देखने के लिए आपको कहीं और नहीं शहर के उन गर्म कपड़ों के मार्केट में जाना होगा जो हिमाचल से आये शरणार्थियों ने लगाये हैं।

मैदागिन से बेनिया तक

हर साल ठंड की शुरुआत से ही बनारस में कई जगहों पर हिमालयन और तिब्बती शरणार्थी गर्म कपड़ों का मार्केट लगाते हैं। इस साल भी मैदागिन में हिमालयन बौद्धिष्ट वस्त्र मेला और बेनियाबाग में तिब्बती शरणार्थी वस्त्र मेले में ये नजारा देखने को मिल रहा है। मैदागिन पर तो नेपाल में आए भूकंप के बाद तबाह हुए कई परिवारों में से कुछ मौजूद भी हैं। इन लोगों ने ही अपनों की मदद नेपाल में करने के लिए लोगों से दिल खोल कर आर्थिक मदद देने की अपील की है। जिसके लिए मैदान में हर स्टॉल पर नेपाल पीडि़तों की मदद के पोस्टर तक लगे हैं। जिसे देखकर लोग इन स्टॉलों पर लगे बॉक्सेस में अपने हिसाब से रुपये डाल रहे हैं। प्रदर्शनी में स्टॉल लगाने वाले शाबा तीसो बताते हैं कि यहां लगी चार दर्जन से ज्यादा स्टॉल में अधिकतर परिवार नेपाल भूकंप में तबाह हो चुके हैं। इसलिए हमारा मकसद है कि हम यहां लोगों की मदद से चंदा जुटाये। इससे हमारी भी मदद होगी और हम नेपाल में बैठे अपनों की भी मदद कर सकेंगे।