वाराणसी (ब्यूरो)पति से शराब छोडऩे के लिए कहने के बाद भी वो शराब और सिगरेट छोडऩे को राजी नहीं होतेपत्नियां अपने जानने वाले या डॉक्टर से नशा छुड़ाने की सलाह लेती रहती है, जिससे उनके पति को पता भी न चले और नशा छूट भी जाए, लेकिन इसमें वे सफल नहीं हो पातींअब यही महिलाएं सोशल मीडिया में आने वाले विज्ञापन के सहारे नशा छुड़ाने वाली दवा मंगाकर अपने पति के खाने में मिलाकर खिला दे रही हैंइसे देने के पहले वे डॉक्टर से सलाह तक नहीं लेतींनासमझी में वे इस तरह की दवा तो मंगा ले रही है, मगर नशा छुड़ाने की कोई दवा नहीं होती है इस बात को वे भूल जा रही हैंअंतत: बाद में इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

केस-1

महमूरगंज क्षेत्र के एक सम्पन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाली अनीता अपने पति के शराब पीने की लत और इसकी वजह से आए दिन होने वाले झगड़े से परेशान थीअपनी सहेली की सलाह पर अनीता ने पति के खाने में चुपके से शराब छुड़ाने वाली दवा मिलाकर दीशराब पीकर घर पहुंचे पति ने जैसे ही खाना खाया उनकी तबीयत बिगड़ गईमिचली के साथ उल्टी और घबराहट से पति की हालत खराब हो गईघबराई पत्नी ने पति को सच बताया तो घर में फिर से कलह बढ़ गई

केस-2

कमच्छा क्षेत्र की संध्या वर्मा भी अपने पति के शराब की लत से लंबे समय से परेशान थींएक दिन उन्होंने सोशल मीडिया पर शराब छुड़ाने वाली दवा का एड देखा तो तत्काल आर्डर कर दियाडाइसल्फिरैम टैबलेट आने के बाद जब उनका पति शराब पीकर घर आया तो उन्होंने उसे खाने में मिलाकर पति को खिला दियादूसरे दिन पति को उल्टी के साथ बेचैनी होने लगीजिसके बाद पति को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा

ये दोनों घटनाएं पूरी तरह से वास्तविक हैं, हालांकि पहचान छिपाने के लिए दोनों महिलाओं के नाम काल्पनिक दिए गए हैंबनारस में ऐसे सिर्फ दो नहीं सैकड़ों महिलाएं हैं जो अपने पति के नशे की लत के कारण घर में कलह और आर्थिक तंगी के साथ लगातार होने वाले झगड़े से परेशान रहती हैं

हॉस्पिटल पहुंचे कई केस

मंडलीय और जिला अस्पताल की ओपीडी के साथ सिटी के प्राइवेट हॉस्पिटल में पहुंचने वाले इस तरह के ऐसे कई केस बता रहे हैं कि पत्नियों के नासमझी भरे प्रयोग पतियों की सेहत पर भारी पड़ रहे हैंडाक्टर की सलाह के बिना सोशल मीडिया के विज्ञापन देखकर ऑनलाइन दवा मंगाने के साथ ही इसी प्लेटफार्म से आधी-अधूरी जानकारी लेकर डाइसल्फिरैम की गोली खरीदकर खिला दे रही हैंजिसके बाद दवा के रिएक्शन से पति में उल्टी के साथ के साथ बढ़ी बेचैनी की समस्या बढ़ जा रही हैप्रतिबंधित श्रेणी में न होने से यह दवा मेडिकल स्टोर पर मिल जा रही है

और काम हो जाए

मंडलीय अस्पताल में संचालित नशा मुक्ति केन्द्र में समय-समय पर मरीजों के साथ पत्नी व परिजनों की काउंसिलिंग की जाती हैइस दौरान बताया जाता है कि किसी भी दवा का इस्तेमाल बिना डॉक्टरी सलाह के न करेेंबावजूद इसके लोगों में अभी भी पूरी तरह से जागरूकता नहीं आई हैइसके अलावा लोगों के नशे की लत को छुड़ाने के लिए शहर में कई अन्य जगह पर प्राइवेट नशा मुक्ति केन्द्र भी संचालित किए जा रहे है, लेकिन काम भी हो जाए और पति को भनक तक न लगे इसके चलते पत्नियां खुद से ही इस तरह का प्रयोग कर रही है

नशा मुक्ति में इस्तेमाल

बता दें कि एल्डिहाइड डिहाईड्रोजनेज (एएलडीएच) नाम का एंजाइम शराब को शरीर में घुलने में मदद करता हैडाइसल्फिरैम टैबलेट एल्डिहाइड डिहाईड्रोजनेज एंजाइम को अवरुद्ध कर देती हैइसके इस्तेमाल से कुछ रिएक्शन होते हैं, जिन लक्षणों की वजह से लोग शराब पीने से बचने लगते हैंयदि किसी ने ज्यादा शराब पी है तो उसके लिए यह दवा जानलेवा भी बन सकती है.

नशा मुक्ति केन्द्र क्यों?

मंडलीय अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉआरपी कुशवाहा के मुताबिक डाइसल्फिरैम का अनियंत्रित इस्तेमाल हानिकारक हो सकता हैओपीडी में ऐसे कई लोग आते हैं, जिनको बिना बताए दवा दी गई थी, जिसके चलते उनमें खतरनाक लक्षण भी सामने आए थेमहिलाएं खासतौर से दूसरों के बताने या फिर सोशल मीडिया से ज्ञान लेकर अपने पतियों को दवाएं दे देती हैंऐसा करना खतरनाक हो सकता हैसही मायने में नशा छुड़ाने की कोई दवा नहीं होतीयदि ऐसा होता तो नशा मुक्ति केन्द्र की जरूरत ही नहीं पड़ती

बनारस ही नहीं पूरे पूर्वांचल से मरीज आते हैंकाउंसलिंग के साथ उनका उपचार किया जाता हैगंभीर केस होने पर यहां संचालित नशा मुक्ति केन्द्र में भेज दिया जाता हैइस केन्द्र में नशे का सेवन करने वाले तमाम लोगों का उपचार चल रहा हैडाक्टरों के साथ काउंसलर की टीम नशे की प्रवृत्ति छुड़ाने पर काम कर रही है

डॉआरपी कुशवाहा, मनोचिकित्सक, मंडलीय अस्पताल

शराब पीने वालों को अगर शराब देना बंद कर दिया जाए तो उसमें विड्रावल सिमटम्स दिखने लगता हैइसे दवा से नहीं दूर किया जा सकतानशा छुड़ाने के लिए योगा थेरेपी, काउंसलिंग, मेडिटेशन का प्रयोग किया जाता हैयह करीब 90 दिन का कोर्स होता हैइस दौरान मरीज में तलब लगने या बेचैनी के समय कुछ मेडिसिन दिये जाते हैंइसके अलावा नशा छुड़ाने की कोई न दवा होती है न दी जाती है

विरेन्द्र सिंह, निदेशक, नशा मुक्ति केन्द्र