राजघाट पुल पर जयगुरुदेव के अनुयायियों की शोभायात्रा में 25 लोगों की मौत मामले की जांच को पहुंचा 'न्यायिक आयोग'

-प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी नहीं दे सके सवालों के जवाब, नापी गई राजघाट पुल की चौड़ाई और घटना स्थल की लंबाई

VARANASI

जय गुरुदेव सत्संग मंडल मथुरा द्वारा क्भ् अक्टूबर को आयोजित आध्यात्मिक समागम की शोभायात्रा के दौरान राजघाट पुल पर हुई भगदड़ में ख्भ् लोगों की मौत की जांच के लिए प्रदेश सरकार द्वारा गठित एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आरएमएस चौहान और सचिव ज्ञान चंद्रा मंगलवार को बनारस पहुंचे। उनके साथ जिले के आला प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी मौजूद रहे। जांच अधिकारियों ने उनसे घटना और घटनास्थल से जुड़े तमाम सवाल किए। जिसमें राजघाट पुल और समागम स्थल के एरिया के सवाल थे लेकिन इनका जवाब अधिकारियों के पास नहीं था। इसके बाद जांच टीम ने पैमाइश कराकर जानकारी हासिल की।

पहुंचे हर जगह

अधिकारियों की टीम के साथ आयोग के न्यायमूर्ति सुबह रामनगर डोमरी गांव स्थित समागम स्थल पहुंचे। वहां से शोभायात्रा के मार्ग से होते हुए राजघाट पुल के पड़ाव छोर पर पहुंचे। अधिकारियों ने उन्हें बताया कि शोभायात्रा के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। जब लोग पुल से गुजर रहे थे तो ट्रेन गुजरने से कंपन पैदा हुआ। अफवाह फैल गई कि पुल टूट रहा है। इससे मची भगदड़ की वजह से हादसा हो गया। आयोग ने भीड़ और हादसे की वजह जानने के लिए पुल की चौड़ाई आदि पूछी तो अधिकारी नहीं बता पाए। इसके बाद आयोग ने पुल की चौड़ाई व घटना स्थल की लंबाई की नापी कराई। न्यायिक आयोग ने समागम स्थल पर उस दिन बनाए गए पंडाल, गाडि़यों की पार्किंग, गंगा का किनारा आदि के बारे में जानकारी हासिल की। निरीक्षण में एक जिले के कानूनगो तो दूसरे के लेखपाल नहीं पहुंचे। उनके पास भी आवश्यक दस्तावेज नहीं थे। उन्होंने दोनों जिलों के बीच की सीमा रेखा, राजस्व नक्शा और दस्तावेज कल तक पेश करने का निर्देश दिया। आयोग चार जनवरी को जनसामान्य को बयान दर्ज करने का मौका देगा। इसके लिए कोई भी व्यक्ति सुबह क्0 से शाम पांच बजे तक सर्किट हाउस स्थित आयोग के कार्यालय में लिखित या मौखिक बयान दे सकता है। तत्कालीन पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों का बयान पांच जनवरी को दर्ज होगा।