-प्राइवेट हॉस्पिटल में पहली डोज ले चुके लोग काट रहे हैं चक्कर

-स्वास्थ्य विभाग ने कहा डायरेक्ट सीरम इस्टीट्यूट से मंगाए वैक्सीन

बनारस में कोरोना की दूसरी लहर ने हर किसी कीजान को खतरे में डाल दिया है। इससे बचने का लोगों के पास अब मात्र एक ही सहारा है वो है वैक्सीन, लेकिन अब इसकी भी किल्लत हो गई है। प्रदेश सरकार लगातार यह दावा करती आ रही है कि सरकार के पास कोरोना वैक्सीन की कोई कमी नहीं है। लेकिन अब जब लोग वैक्सीनेशन के लिए आगे आने लगे है तो स्वास्थ्य विभाग के पास पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन ही नहीं मिल पा रही है। हालात यह हैं कि निजी हॉस्पिटल में पहली डोज लगवाने वाले दूसरी डोज के लिए चक्कर काट रहे हैं।

शहर में कई ऐसे प्राइवेट हॉस्पिटल को सेंटर बनाया गया था जहां वैक्सीनेशन ड्राइव चल रहा था। लेकिन अचानक से इन प्राइवेट हॉस्पिटल्स में यह कहते हुए सप्लाई बंद कर दी गई है कि उनके पास पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन नहीं आ रही है। लिहाजा अब सिर्फ सरकारी टीकाकरण केन्द्रों पर ही कोरोना वैक्सीनेशन होगा।

30 अप्रैल के बाद से सप्लाई बंद

बनारस में स्वस्थ्य विभाग की ओर से जितने भी प्राइवेट हॉस्पिटल को वैक्सीनेशन करने की जिम्मेदारी दी गई थी। वे अब समाप्त कर दी गई है। अब सिर्फ सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर ही टीकाकरण किया जा रहा है। प्राइवेट हॉस्पिटल्स संचालकों का कहना है कि स्वस्थ्य विभाग से कहा गया है कि अब विभाग उन्हें वैक्सीन नहीं दे सकता। अगर उन्हें लोगो का टीकाकरण कराना है तो इसके लिए डायरेक्ट सीरम इंस्टीट्यूट या भारत बायोटिक्स से संपर्क करना होगा। संचालकों का कहना है की 30 अप्रैल से ही वैक्सीन की सप्लाई बंद हो गई है। जिसकी वजह से उनके हॉस्पिटल अभी तक तीसरे फेज की शुरुआत नहीं कर सके हैं। 30 अप्रैल से पहले जिन लोगो ने हॉस्पिटल में पहला डोज लिया है अब वे दूसरे डोज के लिए हॉस्पिटल का चक्कर काट रहे है। कुछ लोग तो वैक्सीन की दूसरी डोज न मिलने से हॉस्पिटल प्रबंधन पर आक्रोश भी दिखा रहे है।

पुराना स्टॉक भी ले लिया वापस

यही नहीं जिन-जिन प्राइवेट हॉस्पिटल में 30 अप्रैल से पहले का जितना भी वैक्सीन का स्टॉक बचा हुआ था उसे भी स्वास्थ्य विभाग ने वापस ले लिया है। जिससे सरकारी टीकाकरण केन्द्रो पर कोई कमी न होने पाए। स्टॉक वापस होने पर भी हॉस्पिटल संचालक नाराज है। उनका कहना है की अगर पुराना स्टॉक होता तो हम कम से कम यहां दूसरी डोज के लिए आने वालों की समस्या तो दूर कर सकते थे। लेकिन वैक्सीन न होने से उन्हें सरकारी केन्द्रों पर जाने की सलाह दी जा रही है।

हर कोई नहीं जाना चाहता

सिर्फ सरकारी केन्द्रों पर वैक्सीनेशन होने से उन लोगों के लिए समस्या खड़ी हो गई है जो सरकारी हॉस्पिटल या स्वास्थ्य केन्द्रों में जाना नहीं नहीं चाहते। अपर क्लास के लोग तो बिलकुल भी नहीं जाते। लेकिन वर्तमान में जो स्थिति बनी हुई है उसे देखते हुए अपनी जान बचाने के लिए कुछ लोग सरकारी केन्द्रों की तरफ बढ़ रहे हैं। इसमें वे लोग भी हैं जिन्होंने पहली डोज प्राइवेट हॉस्पिटल से लगवाई है। अगर वे 4 से 6 सप्ताह बाद सेकंड डोज नहीं लेते हैं तो उनकी इम्युनिटी पावर स्ट्रांग नहीं बन पायेगी। इसलिए इनका भी सरकारी केन्द्रों पर जाकर वैक्सीनेशन करना मजबूरी हो गई है।

कोविड शील्ड के लिए परेशान

बताया जा रहा है की अभी लोगों को को-वैक्सीन लगाई जा रही है। जबकि इससे पहले कोविडशील्ड लगाई जा रही थी। ऐसे में जिन लोगों ने पहली डोज कोविड शील्ड लगवाई है वे लोग इस वैक्सीन के लिए भी परेशान हो रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है जिन लोगों ने कोविडशील्ड लगवाई हुई है वह कोविडशील्ड के दूसरे डोज के लिए लगातार उनसे संपर्क कर रहे हैं। इसकी जानकारी जब स्वास्थ्य विभाग को दी जाती है तो वह से कोई संतोषजनक जवाब भी नहीं मिलता। अब ऐसे में जिन्होंने कोविड शील्ड लगवाया है वे को-वैक्सीन कैसे लगवाएंगे।

वर्जन

30 अप्रैल के बाद से ही स्वास्थ्य विभाग ने वैक्सीन की सप्लाई बंद कर दी है। जो पुराना स्टॉक था उसे भी मांगा लिया गया। दूसरे फेज में उनके हॉस्पिटल में करीब दो हजार लोगों ने पहली डोज ली थी। अब वे लोग दूसरी डोज लेने के लिए आने शुरू हो गए हैं, उन्हें जवाब देते नही बन रहा है। सीएमओ का कहना है वैक्सिन के लिए डायरेक्ट कंपनी से संपर्क करें। अब हम 20-20 वायल के लिए कंपनी से कैसे संपर्क करे ये बात समझ नहीं आ रही।

डॉ। अश्वनी टंडन-एमडी, जमुना सेवा सदन हॉस्पिटल