वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस के मणिकर्णिका घाट पर राजा हरिश्चंद्र से लेकर आज तक शवों को अग्नि देकर भव-सागर से तारने वाले डोमराजा को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है। इस सम्मान से अभिभूत परिवार के लोगों में उत्सव का माहौल है। काशी के डोम राजा स्व। जगदीश चौधरी को मरणोपरांत मंगलवार यानी 9 नवंबर 2021 को पद्यश्री से सम्मानित किया गया। ये सम्मान उनके पुत्र ओम नारायण चौधरी ने ग्रहण किया। डोमराजा की परंपरा और विरासत आज भी बनारस के गंगा घाट किनारे डोम परिवारों में कायम है। करीब पांच हजार की आबादी वाले डोम समाज के लोग आज भी सम्मान और श्रद्धा रखते हुए उनके आदेश और निर्णय को बैगर क्षण गवाए मानने को तैयार रहते हैैं।

डोमराजा की गद्दी का एकलौता वारिस
काशी के डोम राजा स्व। जगदीश चौधरी के असामायिक निधन के बाद एकलौता पुत्र ओम नारायण चौधरी (16) अपने पुश्तैनी विरासत को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैैं। अभी ओम कक्षा 7वीं के छात्र हैैं। इनकी दिली-ख्वाहिश है कि वे आगे पढ़-लिखकर डॉक्टरी को अपना पेशा बनाएं।

प्रस्तावक बनने से चर्चा में आया डोम समाज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब वाराणसी लोकसभा से चुनाव के लिए नामांकन भरा, तब प्रस्तावक की सूची में एक नाम काशी के डोमराजा जगदीश चौधरी का भी था। पीएम पद के उम्मीदवार का प्रस्तावक होने की वजह से इन्हें देशभर में ख्याति मिली। इसके लिए इनके परिवार के लोगों ने पीएम मोदी का आभार भी जताया है।

मुख्यधारा से जुड़ रहा डोम समाज
अब डोम समाज भी अन्य समाजों की तरह देश की मुख्यधारा से जुडक़र आगे बढ़ रहा है। डोम समाज के बच्चे पढऩे में अधिक रूचि ले रहे हैैं। इसी समाज का एक युवक मेडिकल सेक्टर में दुबई मेें काम करता है। कुछ पढ़-लिखकर टीचर बनना चाहते हैैं।

पहलवानी के शौकीन थे जगदीश चौधरी
डोमराजा स्व। जगदीश चौधरी अपने पुश्तैनी काम के साथ अपने एक शौक को भी पूरा करते रहे। ये शौक था बनारस की मूल पहचान वाली पहलवानी। इनके कमरे के बगल में ही अखाड़ा जैसा प्रांगण है। जहां वे रोजाना कसरत किया करते थे। मुग्गदल, डंबल, गोल पिंड समेत कई कसरत करने वाले उपकरण रखें गए हैैं।