वाराणसी (ब्यूरो)। पीएम नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन के जरिए सभी मेयर से काशी की तर्ज पर अपने शहर को विकसित करने का आह्वान किया। इसको लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने मेयर से बातचीत की और उनके फ्यूचर प्लान का जाना। पेश है बातचीत के कुछ अंश

काशी की संस्कृति को अपनाएंगे
मेरी कल्पना से भी ज्यादा सुंदर और आकर्षक है काशी। श्री काशी विश्वनाथ की भव्यता से मन ही नहीं भर रहा है। मंदिर में शंकराचार्य, अहिल्याबाई, भारत माता का स्टैच्यू देखकर काफी अच्छा लगा। इसी की तर्ज अपने शहर में स्टैच्यू लगवाएंगे। काशी से तेलंगाना को जोडऩे के लिए यहां की संस्कृति को अपनाया जाएगा।
-काव्या, जवाहर नगर, तेलंगाना

पुराने मंदिर को देंगे नया आयाम
काशी में आकर बहुत अच्छा लगा। गंगा नदी की तरह रुड़की में भी नहर है, जहां घाट बनाकर गंगा आरती शुरू कराई जाएगी। श्री काशी विश्वनाथ की तर्ज पर पुराने मंदिरों को भव्य स्वरूप दिया जाएगा। पर्यटकों को लुभाने के लिए तरह-तरह के धार्मिक आयोजन भी किए जाएंगे।
-गौरव गोयल, रुड़की

तवी नदी दिखेगी नये कलेवर में
काशी की तरह जम्मू भी धार्मिक शहर है। वहां तवी नदी है, गंगा की तर्ज पर उसका भी विकास कराया जाएगा। विश्वनाथ धाम की तर्ज पर तिरुपति बालाजी के साथ अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों के निर्माण होंगे। इसके अलावा पर्यटकों के लिए क्रूज, नौका विहार समेत अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
-चंद मोहन गुप्ता, जम्मू

हम भी लगवाएंगे एसटीपी प्लांट
काशी पहली बार आयी हूं। आकर बहुत अच्छा लगा है। यहां का धार्मिक वातावरण अद्भुत है। दूषित पानी को दोबारा यूज करने के लिए काशी के एसटीपी प्लांट की तर्ज पर पनवेल में भी काम कराया जाएगा। गंगा नदी की तरह हमारे शहर में मौजूद पंडावकड़ा को विकसित किया जाएगा।
-डॉ। कविता किशोर चौटमोल, पनवेल

काशी से है मुधर रिश्ता
काशी से हमारे शहर का मधुर रिश्ता है। आरा के बहुत से लोग बनारस में रहते हैं। जिसने बार-बार काशी के बारे में सुनती थी, लेकिन आज यहां आने का सौभाग्य मिला। श्री काशी विश्वनाथ धाम देखकर तो मन ही खुश हो गया है। काशी मॉडल की तर्ज पर आरा का विकास कराने का प्रयास किया जाएगा।
-रुबी तिवारी, आरा

डल झील पर कराएंगे आरती
काशी और श्रीनगर में बहुत कुछ एक जैसा है। बनारस की तरह श्रीनगर भी डल झील के किनारे बसा है। वहां का सब कुछ डल झील के सहारे चलता है। गंगा आरती देखकर मन काफी प्रसन्न है। डल झील पर भी आरती शुरू कराएंगे। क्रूज भी चलाएंगे। पर्यटकों के लिए एतिहासिक धरोहरों को विकसित किया जाएगा।
-जुनैद मट्टू, श्रीनगर