महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने अपने शताब्दी वर्ष में स्थल डेवलप करने का लिया गया डिसीजन

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने अपने शताब्दी वर्ष में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व राष्ट्ररत्न शिव प्रसाद गुप्त के प्रतिमा स्थल को भव्य स्मारक के रूप में डेवलप करने का डिसीजन लिया है। स्मारक को मूर्त रूप देने के लिए चुनार के पत्थरों को तराशने का काम भी जारी है। राष्ट्रपिता व राष्ट्ररत्न दोनों महापुरुषों की प्रतिमाओं को करीब पांच फीट पीछे करने के लिए प्लेटफार्म भी बनकर लगभग तैयार हो चुका है। मेन गेट के सामने लगे दोनों प्रतिमा के ऊपर की छतरी भी बदलने की योजना है। इसके स्थान पर पत्थर की आकर्षक छतरी बनवाने की योजना है। हालांकि प्लेटफार्म पर पत्थर लगाने का कार्य अभी जारी है। प्रतिमा कैंपस को छोटे पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा।

महात्मा गांधी ने रखी थी आधारशिला

इसमें लगे फाउंटेन को भी आकर्षक बनाने की योजना है। महात्मा गांधी की प्रेरणा से राष्ट्ररत्न बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने काशी विद्यापीठ की स्थापना 10 फरवरी 1921 को किया था। वहीं इसकी आधारशिला महात्मा गांधी ने स्वयं अपने हाथों से रखी थी। यही नहीं बनारस आने के दौरान महात्मा गांधी मानविकी संकाय के कक्ष में सात बार ठहरे थे, जिस कक्ष में वह रूके थे उसे बापू स्मृति दीर्घा के रूप में विकसित किया गया है। वहीं गेट नंबर एक से मानविकी संकाय में एंट्री करते ही तत्कालीन वीसी प्रो। डीएन चतुर्वेदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व राष्ट्ररत्न शिव प्रसाद गुप्त की प्रतिमा लगवाई थी। इसका अनावरण 31 मार्च 1985 को पं। कमलापति त्रिपाठी ने किया था। स्थापना के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में वीसी प्रो। टीएन सिंह ने इसे स्मारक के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। करीब 15 लाख रुपये की लागत से इस स्थल को छोटे पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। नक्काशीदार पत्थर से इसकी बाउंड्री बनाने का भी क्रम जारी है। स्मारक का निर्माण दो महीने में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।