-श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में सावन के अंतिम दिन विशेष झांकी

-सप्तऋषि आरती के बाद गर्भगृह में होगा बाबा का झूला श्रृंगार

बाबा को प्रिय मास सावन की अंतिम तिथि पूर्णिमा पर रविवार को काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ सपरिवार भक्तों को दर्शन देंगे। गर्भगृह में माता गौरा व पुत्र गणेश संग झूले पर विराजेंगे। सप्तर्षि आरती के बाद गर्भगृह में पंचवदन प्रतिमा की झूला झांकी सजाई जाएगी। परंपरानुसार सावन के प्रत्येक सोमवार को महादेव का अलग-अलग रूप में श्रृंगार होता है। इसी क्रम में रविवार को शिव-पार्वती और गणेश जी की चल प्रतिमाओं का सप्तर्षि आरती के बाद झूला श्रृंगार किया जाता है। परंपरानुसार महंत आवास से पंचवदन प्रतिमा और झूला विश्वनाथ मंदिर लाया जाता है। श्रावण पूर्णिमा पर मंदिर के गर्भगृह में महंत परिवार द्वारा हरियाली श्रृंगार कर झूलनोत्सव का आयोजन किया जाता है। इसमें झूले में बिठाकर बाबा की पंचवदन प्रतिमा, माता पार्वती व गणेश जी की विशेष आरती की जाती है।

- पूर्व संध्या पर हुआ कजरी उत्सव

झूलनोत्सव की पूर्व संध्या पर शनिवार को बाबा के कजरी उत्सव का टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर आयोजन किया गया। इसके पहले बाबा की पंचवदन प्रतिमा का पारंपरिक रूप से श्रृंगार किया गया। पद्मविभूषण गिरिजा देवी के शिष्य रोहित-राहुल मिश्र ने बाबा की कजरी और भजन गाए। आराधना मिश्रा, पूजा राय, अथर्व मिश्र, तरुण सिंह, सत्यम पटेल, सूरज प्रसाद ने भी स्वर दिए।

महंत डा। कुलपति तिवारी ने बताया कि रविवार को टेढ़ीनीम स्थित आवास पर बाबा विश्वनाथ की रजत पंचवदन प्रतिमा के विधि-विधानपूर्वक पूजन के बाद सिंहासन पर विराजमान कर साक्षी विनायक, ढुंढिराज गणेश, अन्नपूर्णा मंदिर होते विश्वनाथ मंदिर तक ले जाया जाएगा। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में झूलनोत्सव शाम 5.30 बजे के बाद आरंभ होगा। दीक्षित मंत्र से पूजन के बाद सर्वप्रथम महंत डा। कुलपति तिवारी बाबा को झूला झुलाएंगे। इसके उपरांत सप्तर्षि आरती कराने वाले महंत परिवार के सदस्य और फिर श्रद्धालु भी झूला झुला सकेंगे। झूले की डोर थामने की आज्ञा सिर्फ उन्हीं भक्तों को होगी जो बिना सिला वस्त्र धारण किए रहेंगे।