-नार्दर्न कोलफील्ड्स से एमओयू पर हुआ सिग्नेचर

-भारत का पहला कोयला गुणवत्ता प्रबंधन और उपयोग अनुसंधान सेंटर होगा

बीएचयू आइआइटी में अब कोयले पर रिसर्च के लिए सेंटर खोला गया है। ताकि कोयला उत्पादन की तकनीक से देश को परिचित कराया जा सके। बीएचयू आइआइटी नार्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के सहयोग से देश के सबसे पुराने खनन इंजीनियरिंग विभाग (1923 में स्थापित) में कोयला गुणवत्ता प्रबंधन और उपयोग अनुसंधान सेंटर खोलेगा। इसके लिए दोनों संस्थानों के बीच गुरुवार को एक एमओयू पर सिग्नेचर भी हो गया।

सेंटर निर्धारित करेगा ग्रेड

यह देश का अपनी तरह का पहला एकेडमिक-इंडस्ट्री पार्टनरशिप पर आधारित रिसर्च सेंटर है। जहां स्वच्छ कोयला उत्पादन व कोयले की गुणवत्ता बढ़ाने पर रिसर्च होगा। वहीं स्वच्छ कोयला तकनीक पर रिसर्च करने के लिए अत्याधुनिक सुविधा से इसे लैस किया गया है। इसके साथ ही यह कोयले की गुणवत्ता और ग्रेड का भी निर्धारण करेगा। इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर प्रो। प्रमोद कुमार जैन ने बताया कि सतत खनन के बावजूद स्वच्छ कोयले की आवश्यकता बढ़ती जा रही है। वहीं खनन के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए वैश्विक और नेशनल रिसर्च सेंटर के रूप में यह कार्य करेगा। इस विषय को ध्यान में रखते हुए कोयला गुणवत्ता प्रबंधन और उपयोग केंद्र की कल्पना की गई थी।

कार्बन उत्सर्जन रुकेगा

उन्होंने बताया कि आइआइटी और एनसीएल के वैज्ञानिक और सामूहिक प्रयासों से कोयला उपभोक्ताओं को एक स्थान पर सस्ता, कारगर और स्वच्छ कोयला मिल सकेगा। साथ ही पेरिस समझौते के अनुरूप कार्बन उत्सर्जन में कमी भी आएगी। उन्होंने बताया कि संस्थान तकनीकी ज्ञान, कोल इंडस्ट्री के लिए मैन पावर प्रशिक्षण के अलावा उपभोक्ताओं को सुविधा प्रदान करने में सहायक होगा। सेंटर का उद्देश्य एक तरफ एकेडमिक रूप से ज्ञान का स्तर बढ़ाने के लिए डाक्टरेट अनुसंधान, स्नातकोत्तर शोध प्रबंध, बीटेक प्रोजेक्ट्स के माध्यम से मानव संसाधन विकसित करना है और दूसरी तरफ पेशेवर रूप से स्वच्छ कोयला उपलब्धता के लिए उद्योग की जरूरतों को पूरा करना है।

आधे भारत को मिलेगा फायदा

आइआइटी बीएचयू में खुला सेंटर पूर्वांचल, उत्तरी और मध्य भारत में कोयला उत्पादन और कोयला आधारित छोटे-छोटे उद्योगों की आवश्यकता को पूरा करेगा। इसके साथ आधे भारत में स्वच्छ ऊर्जा पर रिसर्च स्कॉलर्स को प्रोत्साहित करने में सक्षम होगा।