- अपने आराध्य राम के भव्य मंदिर निर्माण में करेंगे पूरा सहयोग

-गुजरात से 1200 तो पूरे पूर्वाचल से शामिल हुए समाज के हजारों लोग

प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात से क्षत्रिय समाज के 1200 लोग बुधवार को डॉ। जयेंद्र सिंह जडेजा के नेतृत्व में उनके संसदीय क्षेत्र बनारस में आयोजित क्षत्रिय धर्म संसद में शामिल होने के लिए पहुंचे। उनकी मेजबानी में पूरे पूर्वाचल से हजारों लोग पहुंचे। सभी ने मिलकर धर्म संसद में सीएए और एनआरसी को समर्थन देते हुए प्रचार का प्रस्ताव पास किया। साथ ही अयोध्या में अपने आराध्य भगवान राम के मंदिर में निर्माण में तन-मन-धन से सहयोग करने का संकल्प लिया। संत अतुलानंद स्कूल के कोइराजपुर परिसर में आयोजित क्षत्रिय धर्म संसद काशी की शुरुआत श्री रामचन्द्र जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर चीफ गेस्ट राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह ने की। कहा, जब देश की सुरक्षा खतरे में आती है तो निश्चित रूप में क्षत्रियों की भूमिका समाज के प्रति बढ़ जाती है। विशिष्ट अतिथि काशी विद्यापीठ के वीसी प्रो। टीएन सिंह ने कहा कि देश में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने के लिए क्षत्रिय समाज को लोगों के बीच जाकर जागरूक करने की जरूरत है। संत शिरोमणि गंगे हंस ने अध्यक्षता की। सभी क्षत्रिय संगठन के प्रतिनिधियों का स्वागत अतुलानंद के मैनेजर राहुल सिंह ने किया। संसद को अखिल गुजरात राजपूत महिला संघ की प्रदेश अध्यक्ष दशरथ परमार, एमएलसी चेतनारायण सिंह, महाधिवक्ता गुजरात राजेंद्र सिंह, करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह वंशी, श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह, अखिल गुजरात राजपूत युवा संघ के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष पीके जडेजा व मैनपाल सिंह राघव, आनन्द मोहन सिंह आदि ने संबोधित किया। स्वागत प्रो। गुरु प्रसाद सिंह, संचालन डॉ। राम सुधार सिंह व धन्यवाद रणवीर सिंह ने किया। संसद आयोजन में डॉ। संजय सिंह गौतम, प्रो। पीके सिंह, डॉ। अरविंद सिंह, अजय सिंह बाबी, डॉ। रमेश सिंह, इन्द्रजीत सिंह, महेंद्र सिंह सिसौदिया, डॉ। अविनाश सिंह, केके सिंह, प्रो। आरपी सिंह, ठाकुर डॉ। राम कीर्ति सिंह, कुश सिंह, राजबहादुर सिंह, अशोक सिंह, डॉ। रवि प्रताप सिंह, राजबहादुर सिंह आदि रहे।

पारंपरिक वेश में मत्था टेका

सभी क्षत्रिय प्रतिनिधियों को स्मृति स्वरूप 2900 प्रति यथार्थ गीता प्रदान की गई। संसद के बाद सभी बसों से संस्कृत यूनिवर्सिटी के पास पहुंचे और वहां से श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में मत्था टेका। दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती में शामिल हुए। लौटकर सभी कोईराजपुर पहुंचे और शिवपुर में खड़ी स्पेशल ट्रेन से वापस चले गए।