- बनारस से बिहार तक चोरी की बाइक का होता था सौदा

-बिहार में शराब की तस्करी में चोरी की बाइक का होता था प्रयोग

- जैसी और जिस गाड़ी की डिमांड, उसी आधार पर होती थी चोरी

- वाट्सएप ग्रुप पर लेते थे ऑडर, उसी पर होती थी पूरी डीलिंग

- अंतरराज्यीय बाइक गैंग पर कमिश्नरेट पुलिस ने कसा शिकंजा

::: प्वाइंटर :::

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बाइक के साथ गिरोह के सरगना समेत सात गिरफ्तार

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बाइक बिहार के कैमूर जिले की पुलिस पहले ही बरामद कर चुकी है

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लोग करते थे रेकी और चार लोग चुराते थे वाहन

बनारस से बाइक चोरी कर बिहार में सप्लाई करने वाले अंतरराज्यीय बाइक गैंग पर कमिश्नरेट पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। पुलिस कमिश्नर ए। सतीश गणेश के निर्देशन में लंका पुलिस ने एक बड़े बाइक चोर गिरोह का पर्दाफास करते हुए गिरोह के सरगना समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं पुलिस ने उनकी निशानदेही पर दस बाइक को भी बरामद कर लिया है। इसके अलावा पुलिस अभी इससे संबंधित अन्य मामलों के खुलासे पर लगी हुई है। मंगलवार को एडीसीपी काशी जोन विकास चंद्र त्रिपाठी ने प्रेस वार्ता में इस बात की जानकारी दी।

100 से ज्यादा बाइक चुराई

लंका थाने की पुलिस ने मंगलवार को बिहार के अंतरराज्यीय गिरोह के सरगना सहित सात आरोपियों को दबोचा है। पुलिस ने सातों की निशानदेही पर 10 बाइक बरामद की है। इस गिरोह के अन्य सदस्यों द्वारा चुराई गई 12 बाइक बिहार के कैमूर जिले की पुलिस पहले ही बरामद कर चुकी है। पुलिस की पूछताछ में गिरोह के सदस्यों ने स्वीकार किया कि बीते डेढ़ साल में उन्होंने बीएचयू कैंपस और इसके आसपास के इलाके से 100 से ज्यादा बाइक चुराई हैं।

शराब तस्करी में प्रयोग

गिरफ्तार हुए सातों आरोपियों ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि चोरी के वाहन की सबसे ज्यादा मांग बिहार में शराब की तस्करी करने वाले लोग करते हैं। उसी काम में इसको लगाया जाता था, ताकि पकड़े जाने के बाद पुलिस को उसका कोई रिकॉर्ड ना मिले। अभियुक्तों ने बताया कि वह बलिया, गाजीपुर और चंदौली आकर शराब ले जाते हैं, जिसकी सप्लाई बिहार में करते थे।

वाट्सएप ग्रुप पर लेते थे ऑडर

पकड़े गए चोरों ने पुलिस को बताया कि इसके लिए एक वाट्सएप ग्रुप बनाया गया है। उस ग्रुप में चोरी करने वाले, बेचने वाले और वाहन खरीदने वाले जुड़े रहते हैं। जिस वाहन की डिमांड लोग करते हैं, उसे वाराणसी से चुराकर उन्हें उपलब्ध कराया जाता है।

चोरी की एक बाइक 20 हजार तक

पकड़े गए शातिर चोरों ने बताया कि जो बाइक चोरी की जाती थी उसकी कंडीशन के हिसाब से रुपये मिलते हैं। उनका कहना है कि एक बाइक पर पांच से 20 हजार रुपये तक मिल जाते थे, लेकिन मौके पर जाकर बाइक की सप्लाई करनी होती थी।

बनारस से बिहार तक

शातिरों ने पुलिस को बताया कि वाराणसी से चुराए गए वाहनों को बिहार के ग्रामीण इलाकों में भी बेंचा जाता रहा है। जो खरीदता है, उसे फर्जी रजिस्ट्रेशन पेपर के साथ बिहार का नंबर लिखकर वाहन दिया जाता है।

जानकारी होगी साझा

पुलिस, आरोपियों के मोबाइल नंबर और वाट्सएप ग्रुप से संबंधित जानकारी वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस बिहार पुलिस से साझा करेगी। प्लान के तहत इस पूरे गिरोह को खत्म करने की योजना पुलिस बना रही है।

ये आए हैं पकड़ में

गिरफ्तार आरोपियों में बिहार के कैमूर का पंकज कुमार पासवान, रमजान अंसारी, जितेश कुमार, दीपक कुमार, संदीप चौरसिया व दीपक चौरसिया और औरंगाबाद का अमन सिंह शामिल है। गिरोह के सरगना पंकज पासवान ने पुलिसिया पूछताछ में बताया कि इस काम को करने में मेहनत कम लगती है, हां रिस्क थोड़ा ज्यादा रहता है।

चंदौली होते हुए बिहार में प्रवेश

पंकज ने बताया कि हम सभी सवारी वाहनों से बिहार से वाराणसी आते थे। तीन लोग रेकी करते थे और चार लोग वाहन चुराते थे। इसके बाद बाईपास से विश्व सुंदरी पुल पार कर चंदौली के गांवों के रास्ते से होते हुए बिहार में प्रवेश कर जाते थे।

::: कोट :::

लंका इंस्पेक्टर के नेतृत्व में चौकी इंचार्ज राजकुमार पांडेय व उनकी टीम ने पंकज को पकड़ा तो एक के बाद एक कर अन्य छह आरोपी भी गिरफ्तार कर लिए गए। आरोपियों को कोर्ट से पुलिस कस्टडी रिमांड में लेकर बिहार ले जाकर चोरी हुए अन्य वाहन भी बरामद कराए जाएंगे। गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम को पुलिस कमिश्नर ए। सतीश गणेश की ओर से 10 हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।

-विकास चंद्र त्रिपाठी, एडीसीपी काशी जोन