वाराणसी (ब्यूरो)स्वास्थ्य सेवा, सफाई अभियान और ऑपरेटिंग सिस्टम में बेहतर काम के लिए दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल को कायाकल्प अवार्ड, एनक्वास सर्टिफिकेशन और इको फ्रेंडली अवार्ड मिल चुका हैयह उपलब्धि करीब 10 महीने पहले की हैइतने समय के बाद जिला अस्पताल के हेल्थ सिस्टम में कितना और बदलाव आयायह जानने के लिए मंगलवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने जिला अस्पताल की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाली तस्वीर सामने आईरजिस्ट्रेशन काउंटर पर भीड़ नहीं थी, लेकिन अंदर प्रवेश करते ही कमरा नंबर-116 में जबर्दस्त भीड़ दिखीदो चैम्बर में डाक्टर नहीं दिखे, जबकि तीन कमरों में ताले लगे थेबावजूद इसके ओपीडी की गैलरी में मरीजों की भीड़ थी.

कमरा नंबर-116 में भीड़

जिला अस्पताल की ओपीडी के कमरा नंबर-116 में मरीजों की भीड़ थीहड्डी जोड़ एवं नस विशेषज्ञ डासंतोष कुमार से इलाज कराने के लिए मरीजों में होड़ थीमरीज राजेश बताते हैं कि डासंतोष के परामर्श से काफी आराम हैमीरा कुमारी बताती हैं कि दो सप्ताह में हड्डी में पेन की दिक्कत दूर हो गईजब भी आइए ये डाक्टर उपलब्ध मिलेंगे.

कमरा नंबर-107 114 में डाक्टर नहीं

ओपीडी में पड़ताल के दौरान कमरा नंबर-107 114 में डाक्टर नहीं मिलेपूछताछ करने पर पता चला कि डाक्टर साहब ओडी में गए हैंउन्हें दिखाने के लिए एक से दो घंटे तक मरीज इंतजार कर रहे थेकमरा नंबर-107 में हड्डी विशेषज्ञ डाबृजेश कुमार को दिखाने के लिए कई मरीज बैठे थेइसी तरह कमरा नंबर-114 में सर्जन डाशिवेश जायसवाल को दिखाने के लिए कई मरीज इंतजार में बैठे थेदोपहर एक बजे तक डाक्टर साहब नहीं आए.

तीन कमरों में लगे थे ताले

पड़ताल के दौरान ओपीडी के तीन कमरों में ताला लगा थाएक कमरे के बाहर कागज पर साफ लिखा था कि डाक्टर साहब 28 और 29 को अवकाश पर है, जबकि कमरा नंबर 108, 113, 115 में ताला लगे थे, लेकिन बाहर डाक्टर साहब के बारे में कोई सूचना नहीं चस्पा थीकई मरीज आपस में एक-दूसरे से पूछते रहे कि डाक्टर साहब आज नहीं आए क्या.

इमरजेंसी वार्ड में भीड़

ओपीडी के अलावा इमरजेंसी वार्ड में भी भीड़ थीलगभग सभी बेड पर मरीज लेट थेकोई बुखार, कोई पेट दर्द तो कई अन्य बीमारी का इलाज करा रहा हैमरीजों के साथ वार्ड में तीमारदार भी थे, जिससे वार्ड में भीड़ जैसी स्थिति दिखी.

दवा के लिए लंबी कतार

जिला अस्पताल के दवा वितरण कक्ष के बाहर भी कई लंबी लाइन लगी थीओपीडी में दिखाने में बाद अधिकतर मरीजों ने अस्पताल से ही दवा उपलब्ध कराने की गुजारिश कीपड़ताल के दौरान पता चला कि पर्ची पर चार दवा लिखी है तो दो या तीन दवा ही मिल रही थीयह किसी एक मरीज की पीड़ा नहीं थी, बल्कि दवा लेने पहुंचे 90 फीसद मरीजों का यही कहना था.

यह क्या लिखा है साहब

बीमारी से संबंधित सभी दवा अस्पताल में नहीं उपलब्ध हैइसलिए मरीजों के कहने पर डाक्टर बाहर की दवा भी पर्ची पर लिखकर दे रहे थे, लेकिन इनकी लिखावट सिर्फ ऐसी थी कि जिसे देखकर आपको भी चक्कर आ जाएगामरीज जब डाक्टर से पूछा कि साहब यह क्या लिखा है तो जवाब मिला कि बाहर दुकान पर जाओगे तो पता चल जाएगा.

पैथॉलाजी में लंबी कतार

ओपीडी में डाक्टर को दिखाने के लिए ही नहीं, बल्कि एक्सरे और अल्ट्रासाउंट समेत अन्य जांच के लिए पैथॉलाजी वार्ड में मरीजों की लंबी कतार लगी थीपूछने पर पता चला कि प्रतिदिन 200 से अधिक अल्ट्रासाउंट और 700 से अधिक डिजिटल एक्सरे होता हैहालांकि कई ऐसी जांच है, जो अस्पताल में नहीं था.

अस्पताल के सिस्टम को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य चल रहा हैबहुत जल्द ही बदलाव दिखेगासिस्टम में सुधार होगाओपीडी के जिन कमरों में ताले लगे थे, इसकी जानकारी की जाएगीहो सकता है वे डाक्टर मेडिकल पर हो या अस्पताल के कार्य से बाहर गए हो.

-दिग्विजय सिंह, सीएमएस