वाराणसी (ब्यूरो)वाराणसी से लगातार तीसरी बार पीएम नरेंद्र मोदी सासंद निर्वाचित हुए हैं, लेकिन जीत का मार्जिन मात्र डेढ़ लाख होने के कारण भाजपा हाईकमान काफी नाराज हैपार्टी हाईकमान ने जिला, प्रांत और प्रदेश के प्रमुख नेताओं को दिल्ली तलब किया हैभाजपा जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा, काशी प्रांत अध्यक्ष दिलीप पटेल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सैनी के अलावा विधायक और मंत्री आदि शामिल हैंइसमें से कुछ बड़े नेता इस्तीफा भी दे सकते हैंहालांकि, प्रदेश से लेकर प्रांत व जिले में बदलाव के संकेत भी मिले रहे हैंदिल्ली में शुक्रवार को बूथ पर 370 प्लस से लेकर दस लाख मत दिलाने के टारगेट पर सवाल-जवाब हो सकता हैश्री काशी विश्वनाथ धाम होने के बावजूद दक्षिणी, सेवापुरी में गंजारी स्टेडियम और रोहनिया में रिंगरोड समेत तमाम विकास कार्यों के बावजूद उम्मीद से बहुत कम वोट पडऩे की मुख्य वजह पर मंथन होगा

जीत की चमक फीकी

तीसरी बार केंद्र में मोदी सरकार बनने के बावजूद जीत की चमक काशी और अयोध्या ने फीकी कर दी हैअयोध्या में भाजपा को 54 हजार वोट से सीट गंवानी पड़ी तो काशी में जीत का अंतर 3.15 लाख वोट कम हो गयाकुल पड़े वोट की संख्या में भी 62 हजार मतों की कमी हो गईअब इन आंकड़ों के आने के बाद वाराणसी भाजपा के नेताओं की नींद उड़ी हुई हैनरेन्द्र मोदी कभी भी किसी भी चरण में वोट के हिसाब से नहीं पिछड़े, लेकिन इस बार इतिहास बन गया और शुरुआती चरण में एक बार वो अजय राय से पीछे भी हो गएजीत के बावजूद पीएम मोदी के नाम एक और अनचाहा रिकॉर्ड बन गया कि किसी मौजूदा पीएम के चुनाव में हार जीत के अंतर के हिसाब से ये दूसरा सबसे कम आंकड़ा है.

पुराने कार्यकर्ताओं में गुस्सा

नतीजों के बाद से बनारस इकाई के भाजपाइयों खास कर पुराने कार्यकर्ताओं में जबरदस्त आक्रोश हैवाराणसी में उत्तर प्रदेश सरकार में तीन मंत्री, 8 विधायक व चार एमएलसी वाले पीएम के संसदीय क्षेत्र में महज डेढ़ लाख के अंतर से जितने पर अब संगठन के भीतर बड़े बदलाव, स्थानीय बड़े नेताओं की अतिविश्वास और कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैंइतना ही नहीं पुराने समर्पित कार्यकर्ता बेहद गुस्से में है और पुराने विचारधारा से जुड़े कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को इस नतीजे का प्रमुख कारण बता रहे है

प्रभारियों पर गंभीर आरोप

मोदी के जीत का मार्जिन कम होने पर पुराने भाजपाई बेहद निराश हैंकार्रवाई के डर से कोई खुलकर नहीं बोलना चाहते लेकिन दबी जुबान में मीडिया कर्मियों से बात करते हुए वो गंभीर आरोप राज्य से लेकर केंद्र द्वारा तैनात प्रभारियों पर लगाते हैंपार्टी की कार्यशैली से निराश एक कार्यकर्ता जो 2014 में प्रमुख पद पर थेवो बताते हैं कि नव नियुक्त लोकसभा प्रभारियों को गाड़ी, पैसा, बढिय़ा होटल, मोबाइल जैसे गिफ्ट देकर अपने सिंडिकेट का अघोषित हिस्सा बना लिया गया.