-लॉकडाउन में पब्लिसिटी पाने के लिए तमाम लोग बन रहे दानवीर

-थोड़ा सा सामान बांटकर कोई सोशल मीडिया पर कर रहा बखान तो कोई विज्ञप्ति जारी कर बन रहा अन्नदाता

एक बड़ी पुरानी कहावत है, नेकी कर दरिया में डाल मतलब भलाई करो दरिया में डाल दो उसका बखान न करो। क्योंकि अगर आप लोगों से इसकी बखान कर रहे हैं तो उस नेकी के पीछे कोई स्वार्थ नजर आने लगता है। इन दिनों शहर में कुछ ऐसा ही हो रहा है। कोरोना संक्त्रमण की वजह से पिछले 13 दिन से लॉकडाउन है। रोज कमाने खाने वालों की मुसीबत बढ़ गई है। ऐसे लोगों के लिए सरकार राशन पानी की व्यवस्था कर रही है। लेकिन इधर कुछ दिनों से सरकार के साथ कुछ तथाकथित अन्नदाता भी उभर आये हैं। जो किसी खास एरिया में जाकर कुछ लोगों को खाने को पैकेट या खाद्य सामग्री दे रहे हैं। खास ये है कि मदद करते हुए ये कई एंगल से फोटो निश्चित ही खिंचवा रहे हैं। ताकि अन्नदाता बनने के अपने नेक काम को सोशल मीडिया पर डाल सकें। कुछ ही देर में सोशल मीडिया पर मदद करते हुए फोटो वायरल हो जा रही है। इस काम में नेता से लेकर व्यापारी, कारोबारी। इंडस्ट्रिलिस्ट, टीचर्स, इंजीनियर लगे हैं। हालांकि कुछ लोग खाना तो खिला रहे हैं लेकिन उसका ढिढोरा नहीं पीट रहे।

कर रहे शर्मिंदा

विशेषज्ञों की मानें तो हाल फिलहाल ये आपदा सबसे बड़ी है। ऐसी स्थिति में अगर हम किसी जरूरतमंद की मदद कर रहे हैं तो इसके प्रचार की जरुरत नहीं होनी चाहिए। हर व्यक्ति का अपना मान सम्मान होता है। अगर किसी को अपना सम्मान खोकर ही खाना खाना होता तो वह ठेला खुम्चा नहीं लगाता, मेहनत मजदूरी नहीं करता। ऐसे में संकट की इस घड़ी में किसी को राशन बांटकर या दो वक्त की रोटी खिलाते हुए उसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में प्रचार करना ठीक नहीं है। इससे भले ही ये दानवीर लोगों की नजर में मसीहा बन रहे हो मगर उस गरीब की नजर में कही न कही गिर रहे है।

बचने के लिए दे रहे दलील

हालांकि सस्ती लोकप्रियता पाने वालों की अपनी ही दलीलें हैं। कुछ लोगों का कहना है अगर ऐसे समय में किसी की मदद करने के बाद अगर वह किसी से कहते है की उन्होंने जरुरतमंदो को खाना खिलाया या राशन दिया तो वे इसका ऐतबार नहीं करते। इसलिए फोटो खिंचवाना पड़ता है, वहीं सिगरा क्षेत्र में लोगों को खाना खिलने वाले राजकुमार का कहना है की सोशल मीडिया पर फोटो डालने का एक फायदा ये है कि दूसरे लोग भी प्रेरित होते हैं। अगर हमें देखकर कोई और भी सहायता को आगे आता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है।

बीत चुका है 14 दिन

आपको बता दे की 21 दिनों के इस लॉकडाउन में 14 दिन निकल चुका है। लॉकडाउन लगने के दो दिन बाद से एक एककर लोग जरुरतमंदों और गरीबों का मसीहा बनने के लिया आगे आते गए हैं। पिछले दिनों एक व्यापारी ने एक जरूरतमंद परिवार को राशन का पैकेट दिया। इसे देने के साथ ही उसने इसकी विज्ञप्ति भी जारी कर दी। कुछ ऐसा ही एक संस्था भी कर रही है। एक युवा द्वारा स्थापित संस्था ने कुत्तों को घर का बचा खाना खिलाने के बाद बाकायदा इसका प्रेस रिलीज जारी करने के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया। कुछ ऐसी बातें पीएम केयर फण्ड को लेकर भी आ रही है। लोग चाहे 100 रुपये का दान करें या 10, हजार का। इसकी प्रतिलिपि भी फेस बुक और व्हाट्सएप स्टेटस पर लगा रहे हैं।

लोगों की सोच अब वैसी नहीं रही जैसा पहले समाजसेवा के नाम पर हुआ करता था। आज भी कई ऐसे लोग है जो चंदा देने के बाद पर्ची नहीं मांगते। संकट में होने वाला काम सेवा भाव की तरह होना चाहिए। किसी की फोटो खींचकर इसका प्रचार करना सेवा नहीं है। इस समय भी कई ऐसे लोग है जो नेकी करने दरिया में दाल रहे है।

प्रो। रेखा भारती, सोशलॉजिस्ट