मांग घाटी तो बढ़ गई घर में आने वाली दूध की शुद्धता

लॉकडाउन ने बिगाड़ी डेरी वालों की सेहत, दूध की बिक्री हुई कम

केस-1

सिद्धगिरीबाग में रहने वाली ममता शर्मा का कहना है कि इन दिनों उनके घर शुद्ध दूध आने लगा है। पहले दूध में काफी पतली मलाई जमती थी, लेकिन लॉकडाउन लागू होने के कुछ दिन बाद से मोटी मलाई जमने लगी है। दूध का स्वाद भी बदल गया है

केस-2

शिवधाम नगर में रहने वाली सुस्मिता अस्थाना का कहना है पहले एक लीटर दूध भी काम पड़ जाता था। लॉकडाउन के बाद अब वही दूध 1.5 लीटर के बराबर हो गया है और तो और दूध में महक भी नहीं आ रही। इसका मतलब की अब दूध में मिलावट नहीं है।

केस-3

महमूरगंज निवासी बैंक कर्मचारी जानवी का कहना है कि पहले तो दूध कम पानी जयादा रहता था। शिकायत के बाद भी कहा जाता था की भैंस ऐसा ही दूध दे रही है। लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ है तब से उसी भैंस का दूध गाढ़ा हो गया है। इसका मतलब की अब दूध में पानी नहीं मिलाया जा रहा।

ऐसा सिर्फ ममता सुस्मिता और जानवी नहीं कह रही हैं, बल्कि शहर के अधिकतर लोग भी यही बता रहे हैं। लॉकडाउन के बाद से ही इस तरह से शहर की आबोहवा शुद्ध हुई है वैसे ही अब लोगों के घर में हवा के साथ दूध भी बिलकुल शुद्ध आ रहे हैं।

लॉकडाउन के बाद से ही शहर में दूध की खपत में काफी कमी आ गई है। इसकी वजह है जिले के होटल, दुकानें और रेस्तरां का बंद होना। ये ऐसे प्रतिष्ठान हैं जहां रोजाना एक लाख लीटर के करीब दूध की खपत होती है लेकिन लॉकडाउन में इनके बंद होने से दूधियों का दूध बच रहा है। यह सप्लाई बंद होने की वजह से अब दूधिया दूध को अमूल, पराग जैसे दूध सेंटरों पर को बेचने में जुटे हैं। लेकिन उनकी भी लिमिटेड सेल होने से दूधियों का दूध खप नहीं पा रहा। जिसके चलते घरों तक पहुंचने वाला दूध प्योर हो गया है।

पहले बनी रहती थी कमी

दुग्ध सेंटरों पर सप्लाई पूरी करने के लिए पहले बनारस में अलग जिलों और प्रदेशों से दूध मंगाया जाता था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से इन जिलों से दूध नहीं आ रहा है। अब तो यहीं ही दूध की सप्लाई पूरी होने के साथ बच भी जा रहा है जिसका असर दूध की शुद्धता में साफ देखा जा रहा है। यही नहीं लॉकडाउन के कारण पैकेट वाले दूध की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

दूध की कीमत 40 से 45 रुपये से 30 रुपये प्रति लीटर पर आ गई है। इससे काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। दूध का रेट तो कम हो गया है मगर भैंस को चारा तो उतना ही खिलाना पड़ रहा है जितना हमेशा खिलते हैं।

कपिल यादव, दूधिया अवलेशपुर

रोजाना करीब 100 लीटर दूध सप्लाई करते थे लेकिन इन दिनों उसका आधा भी नहीं बिक रहा है। छोटी छोटी मिठाई की दुकानें भी बंद है। यहां सप्लाई न होने से भी दूध बच रहा है इसलिए कीमत कम करके दूध बेचना पड़ रहा है।

प्रमोद यादव, दूधिया शिवपुर