वाराणसी (ब्यूरो)परंपराओं के अनुरूप महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर बृहस्पतिवार को शिवगणों ने धधकती चिताओं के बीच मसाने की होली खेलीभूत, प्रेत, पिशाच ही नहीं, यक्ष-गंधर्व भी अपने महादेव के रंग में रंगे नजर आएभीड़ इतनी थी कि मणिकर्णिका घाट पर हिलने तक की जगह नहीं थीगलियां भक्तों की भीड़ से ठसाठस रहीचारों तरफ हर-हर महादेव के उद्घोष संग भस्म उड़ता रहा.

एक ओर चिता, दूसरी ओर नाच-गाना

एक तरफ चिताओं पर शवों का दाह संस्कार तो दूसरी तरफ खेले मसाने में होली दिगंबर की धुन पर जबरदस्त नाच गाना और अबीर-गुलाल संग भस्म उड़ता रहालाखों की भीड़ मणिकर्णिका घाट से विश्वनाथ कॉरिडोर तक उमड़ी रहीहर-हर महादेव के महाघोष और डमरू की डिमिक डिमिक वाली डमडमाती गूंज के बीच चिता की भस्म से होली का हिस्सा बनने और इसे देखने के लिए घाट और वहां तक आने वाली गलियां लोगों से अटी पड़ी थीं.

हर कदम मणिकर्णिका की ओर

फगुआ मस्ती में हर उम्र चूर रहा और रंग-उमंग संग भांग-बूटी व ठंडई के सुरूर का गुरूर चढ़ता-उतरता रहासुबह से भक्त जन दुनिया की दुर्लभ, चिता भस्म से खेली जाने वाली होली की तैयारी में जुट गए थेजहां दु:ख व अपनों से बिछडऩे का संताप देखा जाता था, वहां शहनाई की मंगल ध्वनि, डमरुओं की निनाद गूंज रहा थाहर शिवगण अपने-अपने लिए उपयुक्त स्थान खोज कर इस दिव्य व अलौकिक दृश्य को अपनी अंतरआत्मा में उतार कर शिवोहम होने को अधीर रहासाधु, अघोरी और शिवगणों के साथ आम लोगों के चौखटे और लटें गुलाल और भस्म से लिपटी तर रहीं.

माहौल बना विस्मयकारी

भारी भीड़ में शामिल कई राज्यों से आए पर्यटकों के लिए भी यह एक विस्मयकारी माहौल रहाबाबा विश्वनाथ के साथ होली खेलने और उत्सव मनाने के लिए भूत-प्रेत, पिशाच, डाकिनी-शाकिनी, औघड़, संन्यासी, अघोरी, कपालिक, शैव शक्ति सभी आएपान और ठंडई के साथ एक-दूसरे को भस्म लगाएयह दृश्य देशी-विदेशी पर्यटक अपलक निहारते रहे और कैमरों में कैद करते रहे.

आरती की परंपरा

चिता भस्म की होली के पूर्व महाश्मशान नाथ की आरती की परंपरा का निर्वहन किया गयासंगीत घरानों के कलाकार बाबा की महिमा का गान करने पहुंचे थे.

बाबा मशाननाथ का भव्य श्रृंगार

महादेव शिव के भस्मांगराय महेश्वराय स्वरूप का दिव्य श्रृंगार घाट पर बाबा मशाननाथ का किया गयासुबह से ही साज- सज्जा और पूजन अनुष्ठान का दौर चला तो घाट भी महादेव के भस्म से सराबोर नजर आया्रराग रागिनियां सजीं और सुरों की टेर खनक उठीफाग के राग गूंजे और महादेव शिव जीवन- मरण के दिव्य दर्शन को अपने भक्तों को उत्सव रचाकर समझाने भ्रक्तों के बीच आ गएबाबा के साथ उनके गण और भक्त, सामान्य जीव भी चिता भस्म लगाकर शिवस्वरूप हो गए.

बाबा खेलते हैं होली

पौराणिक लोक मान्यता मान्यता है कि रंगभरी पर पार्वती का गौना लाने के बाद बाबा विश्वनाथ अपने गणों और भक्तों के साथ होली खेलने महाश्मशान पर आते हैंयहां धधकती चिताओं के बीच चिता भस्म से होली खेलते हैं.

इनकी रही मौजूदगी

महामंडलेश्वर संतोष दास सतुआ बाबा, महंत संजय झिंगरन, गुलशन कपूर, चैनू प्रसाद गुप्ता, विजय शंकर पांडेय, राजू पाठक, बिहारी लाल गुप्ता, संजय गुप्ता, मनोज समेत कई शिवगण मौजूद थे.