वाराणसी (ब्यूरो)वाराणसी भीषण गर्मी की चपेट में हैनौतपा लगने के साथ ही पारा 43 डिग्री हो गया हैबेतहाशा गर्मी से आसमान से बरस रही आग रही हैऊपर से अब मच्छर भी लोगों की परेशानी बढ़ा रहे हैंशायद ही कोई ऐसा एरिया हो, जहां मच्छर दिन और रात में परेशान न कर रहे होंइसके बावजूद जिम्मेदारों के कान में मच्छरों की भिनभिनाहट नहीं पहुंच रही हैमच्छरों के खिलाफ काम करने वाले विभाग का दावा है कि शहर भर में फागिंग का काम चल रहा हैलेकिन, हकीकत कुछ और ही बयां कर रही हैहैरानी की बात ये भी है कि जिन जिन एरिया में फॉगिंग कराई गई हैवहां मच्छरों की फौज अभी भी जमी हुई हैसीधी भाषा में कहे तो मच्छरों को मारने के लिए जिन केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा हैवो उन पर बेअसर है

विभागों की नहीं खुल रही नींद

मच्छरों पर कंट्रोल करने के नाम पर दोनों विभागों में सिर्फ खानापूर्ति ही रही हैइधर सिटी कमांड सेंटर में बने नगर निगम के कंट्रोल रूम में दवा छिड़काव और फॉगिंग को लेकर शहर के अलग-अलग एरिया से शिकायतें आ रही हैंपिछले एक माह में यहां 50 से ज्यादा शिकायतें आई हैं

500 से ज्यादा लोगों की फौज

आंकड़ों की मानें तो साफ-सफाई बनाए रखने और मच्छरों से प्रकोप से बचाने के लिए 500 से ज्यादा आशा वर्कर को जिम्मेदारी दी गई हैवहीं फॉगिंग और दवा के छिड़काव के लिए भी 100 से ज्यादा वर्कर हैंइसमें नगर निगम की ओर से 20 ट्रॉली फॉगिंग मशीन और 125 साइकिल फॉगिंग मशीन लगाई गई हैंइनमें भी 150 से ज्यादा वर्कर लगे हैं

यहां प्रकोप ज्यादा

बजरडीहा, खोजवा, सुंदरपुर, बल्लभ विहार, अलईपुर, जैतपुरा, अनमोल नगर, सारनाथ, रेवड़ी तालाब, लक्सा, गोदौलिया, रामापुरा, सोनारपुरा, भदैनी, शिवाला, लंका, भगवानपुर, चितईपुर, नई सड़क, अवलेशपुर, सुस्वाही, दाफी जैसे कई एरिया हैं, जहां बड़ी संख्या में लोग मच्छरों से परोशन हैं

फॉगिंग नहीं तो ऐसे करें बचाव

- ऐसे कपड़े ज्यादा पहनें, जिसमें शरीर का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा ढका रहे

-घर के अंदर और बाहर अच्छी साफ-सफाई रखें, जिससे मच्छर घर में प्रवेश ना करें

-मच्छर मारने या भगाने वाले तरीकों का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करें.

-कमरा बंद कर क्वॉयल का इस्तेमाल बिल्कुल न करें, क्योंकि ये काफी हार्मफुल होते हैं

-मच्छरों से बचाव के लिए मेडिकेडेट नेट यानि मच्छरदानी सबसे सुरक्षित तरीका है.

मच्छरों के ताकतवर होने की कई वजह हैमॉस्किटो रेगुलेंट करने के लिए हम इतना ज्यादा केमिकल का यूज कर रहे कि वे रेजेस्टिेंट होते जा रहे हैंउनके अंदर व जिन में बदलाव आ रहा है, जिससे ये केमिकल्स उन पर बेअसर साबित हो रहे हैंक्लाइमेट चेंज होने की वजह से भी ऐसा हो रहा हैगांव की तुलना में शहरों में ज्यादा समस्या हैक्योंकि सिटी में कंजेशन ज्यादा है

प्रोशशि पांडेय, पर्यावरण समन्वयक, डिपार्टमेंट ऑफ बॉटनी-बीएचयू

मलेरिया विभाग के साथ ही फॉगिंग की जिम्मेदारी नगर निगम की भी हैऐसा नहीं है कि फॉगिंग नहीं हो रही हैइसके साथ ही दवा का छिड़काव भी हो रहा हैफॉगिंग न होने शिकायत की जांच कराई जाएगीजल्द ही नगरीय मलेरिया इकाई व नगर निगम से कॉर्डिनेट कर फॉगिंग के लिए अलग व्यवस्था किया जाएगा

शरद चंद पांडेय, डीएमओ, मलेरिया विभाग

पब्लिक कमेंट

गर्मी के साथ बिजली कटौती ने तो परेशान किया ही हैसाथ ही अब मच्छरों ने भी जीना मुहाल कर दिया हैकूलर या फैन न चले तो बैठ भी नहीं सकते हैंनगर निगम में शिकायत के बाद भी प्रॉपर फॉगिंग नहंी होती है.

शालू गुप्ता, सोनारपुरा

एक माह पहले नगर निगम में शिकायत की थी। 15 दिन पहले निगम के कर्मचारियों ने आकर इस एरिया में फॉगिंग किया था, लेकिन उसका भी कोई असर नहीं हुआउस रात तो मच्छर भाग गए, लेकिन सुबह होते ही फिर वापस आ गए.

संदीप मोदनवाल, हनुमान घाट

दो माह पहले तक एक भी मच्छर नहीं थाजैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, वैसे-वैसे मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ गया हैशिकायत के बाद भी कोई सुनने वाला नहीं हैअब तो मॉस्किटो क्वॉयल और लिक्विड भी काम नहीं कर रहे हैं.

विशाल जायसवाल, शिवाला