-हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज के पास मुर्दा वाहन स्टैंड को तीन माह पहले दिया था हटाने का ऑर्डर

-संस्कृत यूनिवर्सिटी के पास बनाया गया है मुर्दा वाहन स्टैंड, फिर भी मैदागिन में खड़ी हो रही हैं गाडि़यां

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अपने शहर से कुछ हद तक यदि एंक्रोचमेंट हटा है तो उसके पीछे अपने डीएम की कड़ी मेहनत रही है। सख्त डिसीजन लेने में भी वो कभी पीछे नहीं हटते। जो करना चाहते हैं उसे दो हाथ आगे बढ़कर करना जानते हैं। जनता की समस्याओं पर उनकी पैनी नजर भी है। लेकिन मैदागिन स्थित हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज के पास मुर्दा वाहन स्टैंड फिर से काबिज होना कहीं न कहीं डीएम के आदेश को ठेंगा दिखा रहा है। आई नेक्स्ट के मुहिम पर उन्होंने तीन माह पूर्व मुर्दा स्टैंड को संस्कृत यूनिवर्सिटी के पास ट्रांसफर कर दिया था। लेकिन आदेश को दरकिनार कर इन दिनों फिर से मुर्दा वाहन स्टैंड लग गया है।

थानाध्यक्ष भी नहीं है प्रभावी

एक बार फिर से संचालित हो रहे मुर्दा स्टैंड को लेकर कॉलेज के कुछ छात्रों ने कोतवाली थानाध्यक्ष से इस सिलसिले में कम्पलेन भी किया, लेकिन कोई ठोस पहल नहीं हो सकी। सबसे बीजी मार्केट में शुमार मैदागिन एरिया में आधा दर्जन से अधिक स्कूल्स, कॉलेजेज व कोचिंग सेंटर्स संचालित होते हैं। जबकि इन दिनों हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज सहित कई कॉलेजेज में एंट्रेस एग्जाम भी चल रहा है। हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज के मेन गेट के पास मुर्दा गाडि़यों के एक बार फिर से खड़ी होने के चलते स्टूडेंट्स को प्रॉब्लम फेस करना पड़ रहा है। ट्रैफिक के चलते स्टूडेंट्स बाइक या फिर साइकिल से गिरकर चोटिल हो रहे हैं। खास करके छात्राओं को काफी प्रॉब्लम फेस करना पड़ रहा है।

छात्रों की डिमांड पर हटा था स्टैंड

एचसीपीजी कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष शंभू बेनवंशी, छात्रनेता अमित विश्वकर्मा सहित कई छात्र-छात्राओं ने कैंपेन चलाकर मुर्दा वाहन स्टैंड हटाने की मांग की थी। सिग्नेचर कैंपेन चलाया था, जिनमें पांच हजार से अधिक लोगों ने मुर्दा स्टैंड हटाने पर अपनी रजामंदी जताई थी। व्यापारियों, श्रद्धालुओं और कॉलेजेज के शिक्षकों ने छात्रों को अपना समर्थन दिया था।

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यह डीएम के आदेशों को ठेंगा है। डीएम ने आदेश दिया था कि मुर्दा स्टैंड कॉलेज के पास से हटना चाहिए।

शंभू बेनवंशी

अध्यक्ष, छात्रसंघ

एचसीपीजी कॉलेज

एक बार फिर से मुर्दा स्टैंड संचालित होने से छात्र छात्राओं को काफी प्रॉब्लम का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस प्रशासन भी नहीं सुन रहा।

अमित विश्वकर्मा, स्टूडेंट

एचसीपीजी कॉलेज