-तुलसीघाट की नागनथैया लीला के आयोजन को लेकर चल रही है तैयारी

काशी के लक्खा मेला में शुमार तुलसीघाट की ख्यात नागनथैया लीला काíतक शुक्ल चतुर्थी पर बुधवार को सजेगी। तुलसी घाट पर गंगा कालिंदी का रूप लेंगी और नटवर नागर भगवान श्रीकृष्ण कंदुक खेलने आएंगे। कालिय के फन नाथेंगे और नृत्य मुद्रा में वेणु वादन कर दर्शन देंगे। इसके लिए तैयारियां अंतिम दौर में हैं। जानकीघाट पर कालिय नाग के प्रतिरूप को अंतिम रूप दे दिया गया। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 450 साल पहले शुरू कराई गई लीला का प्रमुख प्रसंग बुधवार को दोपहर तीन बजे जीवंत होगा। इसमें विशाल नाग के फन पर चढ़ प्रभु श्रीकृष्ण जल में परिक्रमा करते हुए दर्शन देंगे। लीला समिति सदस्यों के साथ मिल कर माझी समाज के लोगों ने लगभग 12 फीट लंबे नाग को आकार दिया है। लीला से ठीक पहले नाग को तुलसीघाट पर जल में डुबा दिया जाएगा।

कोरोना नियमों का होगा पालन

काशी में वर्ष भर लक्खा मेला संग पर्व, व्रत और त्योहारों की अनगिन कडि़यां जारी रहती हैं। इसी कड़ी में काíतक शुक्ल चतुर्थी के अनुसार बुधवार की शाम तुलसीघाट पर भगवान श्रीकृष्ण की नागनथैया लीला सजेगी। काशी में प्रतिवर्ष गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा स्थापित मानी जाने वाली इन नागनथैया के आयोजन की मान्यता काशी ही नहीं बल्कि समूचे पूर्वांचल में है। शिव की नगरी काशी में अनोखा नजारा होगा जब हर हर महादेव के साथ मोर मुकुट बंशी वाले की जय का नारा एक साथ फिजा में घुलेगा और काशी में माहौल पूरी तरह भक्ति भाव में डूब जाएगा। गंगा नदी कुछ देर के लिए यमुना बन जाएगी और कदंब की डाल से गेंद निकालने भगवान श्रीकृष्ण नदी में कालियनाग को नाथने के साथ ही फन पर काबिज होकर वेणुवादन करेंगे तो पूरी काशी भगवान कृष्ण की लीला से निहाल नजर आएगी। काशी नरेश भी आयोजन में शामिल होते थे और आयोजकों को स्वर्ण मुद्रा (सोने की गिन्नी) प्रदान करने की परंपरा का भी निर्वाह करते रहे। वहीं कोरोना काल को देखते हुए नियमों का भी सख्ती से पालन होगा।