- अंजुमन इंतजामिया व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिका पर सोमवार को सुनवाई टली

ज्ञानवापी मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से दाखिल निगरानी याचिका पर सोमवार को जिला जज डॉ। अजय कृष्ण विश्वेश के अवकाश पर रहने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। निगरानी याचिका पर सुनवाई के लिए अब 13 अक्टूबर की तिथि मुकर्रर की गई है। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) आशुतोष तिवारी के निर्णय के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी व उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका दायर कर रखी है।

ये है मामला

वर्ष 1991 में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिग भगवान विश्वेश्वरनाथ तथा अन्य पक्षकारों ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा ¨हदुओं को पूजा-पाठ करने के अधिकार देने को लेकर मुकदमा दायर किया था। सुनवाई के दौरान बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से मुकदमे की सुनवाई करने के सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) न्यायालय के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी गई। दलील थी कि वक्फ न्यायाधिकरण के गठन के बाद उक्त मामले की सुनवाई का सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) की अदालत को क्षेत्राधिकार नहीं है। इस पर वादी पक्ष की ओर से आपत्ति जताई गई कि उक्त विवादित परिसर स्वयंभू ज्योतिर्लिग भगवान विश्वेश्वरनाथ मंदिर का अंश है।

सिविल जज ने दोनों पक्षकारों की बहस सुनने तथा नजीरों के अवलोकन के बाद 25 फरवरी 2020 को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया की चुनौती को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि मुसलमानों के मध्य विवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार वक्फ न्यायाधिकरण को है जबकि गैर मुस्लिम के स्वत्व की सुनवाई का क्षेत्राधिकार सिविल कोर्ट को है।