- कई बड़ी पार्टियों में निकाय चुनावों को लेकर अब तक उम्मीदवारों का नाम फाइनल नहीं होने से दूसरी पार्टियों का दामन थाम रहे हैं कैंडीडेट्स

- कई पार्टी से बागी होकर निर्दल ही कूदे मैदान में

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निकाय चुनावों को लेकर सपा, कांग्रेस और भाजपा की ओर से अब तक मेयर तो दूर पार्षद पद के लिए टिकट की लिस्ट जारी नहीं हुई है। इस ऊहापोह के चलते पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ने की इच्छा पाले नेताओं का पार्टी से मोहभंग कर रहा है। यही वजह है कि कई नेता टिकट के लिए पुरानी पार्टी छोड़कर नई पार्टी का दामन थाम रहे हैं। इतना ही नहीं कितने तो ऐसे भी हैं जो पांच साल तक पार्टी के कार्यकर्ता बनकर मोहल्लों में माहौल बनाते रहे और टिकट का इंतजार लंबा हो जाने के कारण पार्टी छोड़कर निर्दल ही चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं।

हर पार्टी एक दूसरे के इंतजार में

दरअसल, पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में 90 वार्ड समेत मेयर की सीट हर पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। इसलिए सपा, कांग्रेस और भाजपा अपने एक-एक प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने की तैयारी के साथ हर नाम फाइनल करने में जुटी है। जिस कारण लंबे वक्त से इंतजार कर रहे कई नेताओं का सब्र जवाब दे जा रहा है। इस वजह से जहां कई पार्टियों में टिकट के दावेदार अपनी पुरानी पार्टी छोड़कर दूसरे पार्टी के सिंबल से अपना प्रचार शुरू कर चुके हैं और कुछ ने तो पार्टी छोड़ निर्दल ही नामांकन तक दाखिल कर दिया है। इन सबका असर किस पर पड़ेगा ये तो बाद की बात है। लेकिन टिकट में हो रही देरी के कारण बागी हो रहे नेता उन पार्टियों के लिए मुसीबत जरुर पैदा कर सकते हैं जिनके बैनर के नीचे लंबे वक्त तक इन्होंने चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी की थी।

सपा को सता रहा भितरघात का डर

सपा की ओर से कैंडीडेट्स की लिस्ट जारी न होने की वजह भले ही पार्टी पदाधिकारी भाजपा की लिस्ट जारी होने का इंतजार बता रहे हों लेकिन सच्चाई इससे उलट है। सोर्सेज की मानें तो सपा को लोकल लेवल पर भितरघात का खतरा सता रहा है। दरअसल मेयर समेत कई पार्षद प्रत्याशियों की सूची कुछ पुराने सपा नेता अपने लेवल पर फाइनल कराना चाह रहे हैं। जबकि पार्टी के पदाधिकारी अपने स्तर पर नाम फाइनल कराने में जुटे हैं। इस वजह से लिस्ट अब तक रुकी हुई है।