-टोक्यो ओलंपिक में ब्रांज मेडल दिलाने वाली हॉकी टीम के मेंबर रहे काशी के लाल

-एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत के बाद बाबा दरबार में टेका मत्था

- ललित ने बाबा काशी विश्वनाथ को अपना मेडल समर्पित किया

टोक्यो ओलंपिक में ब्रांज मेडल दिलाने वाली भारतीय हॉकी टीम के मेंबर ललित उपाध्याय अपने शहर बुधवार को बनारस पहुंचे। एयरपोर्ट से शहर तक जगह-जगह उनका स्वागत करने को लोग उमड़ पड़े। वहीं ललित ने बाबा काशी विश्वनाथ को अपना मेडल समर्पित किया। यहां से वो डॉ। संपूर्णानंद स्पोर्ट्स पहुंचे। ललित के आने से पहले ही बड़ी संख्या में खिलाड़ी और बनारस के लोग उनकी अगवानी के लिए एयरपोर्ट पहुंच गए थे। एयरपोर्ट को तिरंगे झंडों से सजाया गया था। शहर उत्तरी के विधायक और स्टांप राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल भी एयरपोर्ट पर ललित का स्वागत करने के लिए उपस्थित रहे। लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ललित के पहुंचने पर सबसे पहले वीआईपी लाउंज में मंत्री रविंद्र जायसवाल ने बुके देकर उनका स्वागत किया।

ढोल नगाड़ों से किया वेलकम

एयरपोर्ट के लाउंज से बाहर आते ही गगनभेदी नारों से पूरा कैंपस गूंज उठा। इस दौरान उपस्थित लोगों ने फूल-मालाओं से ललित का स्वागत किया। इस दौरान ढोल नगाड़ों पर लोग थिरकते रहे। एयरपोर्ट परिसर में ही एक दूसरे को लोगों ने मिठाई खिलाकर खुशी जताई। एयरपोर्ट पर पहुंचे ललित के परिवार वालों की खुशी देखते ही बन रही थी। वो फूले नहीं समा रहे थे।

घर से पहले पहुंचे बाबा दरबार

एयरपोर्ट से ओलंपियन ललित उपाध्याय सीधे काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे। जहां उन्होंने बाबा का अभिषेक करने के साथ दर्शन पूजन किया। इस दौरान ललित ने टोक्यो में जीता पदक बाबा को समíपत किया। यहां मंदिर से बाहर निकलते ही एक बार फिर ललित समर्थकों से घिर गए। लोगों ने नारे लगाने के साथ ही उनका माला पहनाकर स्वागत किया। जबकि उनका घर बीच रास्ते में ही था।

हॉकी के प्रति बढ़ेगी दिलचस्पी

मंदिर में दर्शन पूजन के बाद ललित सिगरा स्थित स्टेडियम पहुंचे। यहां अभिनंदन के बाद मीडिया से रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि अब बनारस के युवाओं मे हॉकी के प्रति और दिलचस्पी बढ़ेगी। भविष्य में और भी मेडल देश को मिलेंगे। यह क्षण हमारे और देश के लिए गर्व की बात है। जब कोई टीम देश का प्रतिनिधित्व करती है और उसे विश्व स्तर पर पदक या ट्राफी मिलता है, तो उसकी खुशी शब्दों में बयां नहीं की जा सकती है। कहा कि इससे ज्यादा खुशी कभी नहीं मिल सकती जब अपने शहर के लोग भारी संख्या में स्वागत करने उमड़े हैं। कहा कि यह सब बाबा विश्वनाथ की कृपा और माता पिता के आशीर्वाद से ही संभव हो पाया। हॉकी कोच हमारे गुरु परमानंद मिश्रा का इस पदक को हासिल करने में बहुत बड़ा योगदान रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि काशी नगरी में एक बार फिर से हॉकी जिंदा हो गई।

आठ महीने बाद लौटे बनारस

स्टेडियम में जिला हॉकी एसोसिएशन की ओर से भी सम्मानित किया गया। इसके लिए सिगरा स्टेडियम में सम्मान समारोह आयोजित किया गया था। ललित ने यहां ओलंपिक के रोमांचकारी क्षणों और अनुभवों को भावी खिलाडि़यों से साझा किया। ललित लगभग आठ महीने बाद बनारस आए हैं। इससे पहले पीएम से बातचीत में भी उन्होंने जल्द से जल्द बनारस लौटने का जिक्र किया था।